16 अप्रैल 2023/ बैसाख कृष्ण एकादशी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/ शरद जैन / EXCLUSIVE/
जी हां, गणिनी आर्यिका श्री ज्ञानमती माताजी की जिद थी, कि अब मैं अयोध्या जाऊंगी। वह दिन था, 23 अक्टूबर 1992 का, जी हां धनतेरस। दो दिन बाद ही दिवाली थी, महावीर स्वामी का मोक्ष कल्याणक । सुबह के लगभग 4:00 बजे थे। सामायिक के बाद पिंडस्थ ध्यान कर रही थी। उसी में विशालकाय खडगासन भगवान ऋषभदेव के दर्शन हुए। ऐसी अनुभूति हुई कि यह अयोध्या के भगवान हैं । आज तक उनको देखा नहीं था, पर मस्तिष्क पटल पर वह छवि अंकित होकर बार-बार यही कह रही थी। हां इस छवि को मन में जैसे कैद कर लिया हो, मन में बस गई थी, कि इनका महामस्तकाभिषेक महोत्सव होना ही चाहिए। ध्यान पश्चात माता चंदनामति माताजी को सारी बात बताई । उन से क्षुल्लक मोती सागर जी, ब्रह्मचारी रविंद्र स्वामी जी तक बात पहुंच गई। पर सबने एक सिरे से टाल दिया कि माता जी आपका स्वास्थ्य विहार के लिए ठीक नहीं है , डॉक्टर इजाजत नहीं देंगे। कुछ दिन शांत रहने के बाद, माताजी ने फिर श्रावकों से अयोध्या का मार्ग पूछ कर , डायरी में लिखना शुरू कर दिया। यह स्पष्ट संकेत हो गया कि अब माताजी अयोध्या अवश्य जाएंगी।
इस बीच 6 दिसंबर 1992 का वह दिन आ गया। वह बड़ी घटना घट गई । रामभक्तों ने बाबरी मस्जिद के विवादास्पद ढांचे को गिरा दिया । तब आचार्य श्री विद्यानंद जी तक ने कह दिया कि अयोध्या जल रही है , आप उधर नहीं जाओ। पर इस बार या कहें , पहली बार, माताजी ने तो कस कर जिद पकड़ ली । मन मजबूत होता जा रहा था कि मैं तो अहिंसा के अवतार भगवान ऋषभदेव के पास जाना चाहती हूं। अतः यह संघर्ष मेरा क्या बिगाड़ लेंगे? दूसरी बात और मन में बराबर बराबर कौंध रही थी कि अभी तक, अयोध्या केवल राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद के नाम से दुनिया में जानी जा रही है , तो भगवान ऋषभदेव के नाम से क्यों नहीं जानी जाती? यह पीड़ा और ज़िद का कारण बनी हुई थी।
फिर कैसे माताजी चली अयोध्या के लिए? जब रायगंज में बड़ी मूर्ति के पास पहुंची, तो वहां के क्या हालत थे ?
क्या लगा माताजी को वहां देख कर?
व्यवस्थाएं किस तरह की थी ?
इस बारे में स्वस्तिश्री रविंद्र कीर्ति स्वामी जी ने चैनल महालक्ष्मी को पूरा विस्तार से बताया ।
उसके बाद माताजी ने क्या देखा वहां पर ?
और अचानक उनकी तीव्र धारा के साथ रोना निकल आया। वह फफक फफक कर रो पड़ी। अब तक के जीवन में, किसी ने माताजी को इस तरह आंसू बहाते नहीं देखा था। वह लगातार रोती जा रही थी ।
आखिर क्या बात थी? इस बारे में चैनल महालक्ष्मी ने स्वस्तिश्री रविंद्र कीर्ति स्वामी जी के साथ, तथा गणिनी आर्यिका श्री ज्ञानमती माताजी से भी सीधी बात की और उन्होंने स्वयं खुलासा किया कि आखिर क्यों रो पड़ी और आज भी कई बार वह रो पड़ती है, भावुक हो जाती है। ऐसा क्या है? इस बारे में चैनल महालक्ष्मी , आज सोमवार रात्रि 8:00 बजे, अपने एपिसोड नंबर 1809 में जानकारी देगा, जिसे जानकर आप भी हैरान हो जाएंगे। देखिएगा जरूर , आज सोमवार , रात्रि 8:00 बजे चैनल महालक्ष्मी का विशेष एपिसोड 1809, आखिर क्यों ज्ञानमती माताजी फफक फफक कर रो पड़ी?