तीर्थंकर अरिहंत होते हैं, पर सभी अरिहंत तीर्थंकर नहीं, 16 विशेष अंतर होते हैं तीर्थंकर और अरिहंतों में, आइए जानते हैं

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16 अप्रैल 2023/ बैसाख कृष्ण एकादशी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
1 तीर्थंकरों के कल्याणक होते हैं, सामान्य अरिहंतों के नहीं ।

2 तीर्थंकरों के चिह्न होते हैं, सामान्य अरिहंतों के नहीं ।

3 तीर्थंकरों का समवसरण होता है, सामान्य अरिहंतों के नहीं।उनकी गंधकुटी होती है।

4 तीर्थंकरों के गणधर होते हैं, सामान्य अरिहंतों के नहीं।

5 तीर्थंकरों को जन्म से ही अवधिज्ञान होता है, सामान्य अरिहंतों के लिए नियम नहीं है।

6 तीर्थंकरों को दीक्षा लेते ही मनः पर्ययज्ञान होता है, सामान्य अरिहंतों के लिए नियम नहीं है।

7 तीर्थंकर अपनी माता की अकेली संतान होते हैं, सामान्य अरिहंतों के अनेक भाई-बहिन हो सकते हैं।

8 तीर्थंकर जब तक गृहस्थ अवस्था में रहते हैं तब तक उनके परिवार में किसी का मरण नहीं होता है, किन्तु सामान्य अरिहंतों के लिए नियम नहीं है।

9 भाव पुरुषवेद वाले ही तीर्थंकर बनते हैं, किन्तु सामान्य अरिहंत तीनों भाववेद वाले बन सकते हैं।

10 तीर्थंकरों के समचतुस्र संस्थान ही होता है, किन्तु सामान्य अरिहंतों के छ: संस्थानों में से कोई भी हो सकता है ।

11 तीर्थंकरों के प्रशस्त विहायोगतिका ही उदय रहता, किन्तु सामान्य अरिहंतों के दोनों में से कोई भी हो सकता है।

12 तीर्थंकरों के सुस्वर नाम कर्म का ही उदय रहेगा, सामान्य अरिहंतों के दोनों में से कोई भी हो सकता है।

13 चौथे नरक से आने वाले तीर्थंकर नहीं बन सकते किन्तु सामान्य अरिहंत बन सकते हैं।

14 तीर्थंकरों की माता को सोलह स्वप्न आते हैं, सामान्य अरिहंतों के लिए यह नियम नहीं है।

15 तीर्थंकरों के श्रीवत्स का चिह्न नियम से रहता है, सामान्य अरिहंतों के लिए नियम नहीं है।

16 तीर्थंकरों की दिव्य ध्वनि नियम से खिरती है, सामान्य अरिहंतों के लिए नियम नहीं है। जैसे – मूक केवली की नहीं खिरती है।