वीरान घने वन में पहाड़ पर ही उकेरी भगवान आदिनाथ जी की विशालकाय प्रतिमा, भीमसेन केव जैन मंदिर

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21 मार्च 2023/ चैत्र कृष्ण अमावस /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/

चंदेरी, मप्र से केवल 24 किमी दूर उर्वशी नदी के तट पर बनी एक जैन गुफा की है, जहां भगवान आदिनाथ जी की विशालकाय प्रतिमा पहाड़ पर ही उकेरी गयी है ।

चंदेरी में चौबीसी मंदिर में स्थित एक बोर्ड पर निकटवर्ती जैन तीर्थ के नाम लिखे गए हैं, जिनकी कोई विशेष पहचान नही है, जैसे की ममोन, भियादांत, आमनचार, गुरिल्ला पहाड़, बिठला बूढ़ी चंदेरी आदि ।

इन तीर्थ के बारे में आप पता करने पर जानकारी होती है कि यह क्षेत्र वीरान है, घने वन में है, जाने के कोई मार्ग नहीं है, लेकिन कुछ प्राचीन जैन अवशेष आदि है इन स्थानो पर, लेकिन अधिक जानकारी नहीं है, वहां कोई नहीं जाता है ।

आज हम इन्ही में से एक जैन गुफा मंदिर, भियादान्त (भीमसेन केव जैन मंदिर) के बारे में जानेंगे ।

इस क्षेत्र के बारे में सरकारी पुरातत्व विभाग के पास पर्याप्त जानकारी है, यहां के आसपास जितनी भी जैन प्रतिमाएँ प्राप्त होती है, वह चंदेरी संग्रहालय में लाई जाती रही है जिनमे लगबज सभी प्रतिमाएँ हजारों वर्ष प्राचीन है ।

आज से लगभग 163 वर्ष पूर्व कुछ अंग्रेज यहां पहुंचे थे, जिसका जिक्र व फ़ोटो इत्यादि १८६० ईसवी में उनके द्वारा लिखित एक पुस्तक में मिलता है, जिनसे एक दो स्थानो के बारे में ये पता चलता था की वहां सबसे खास क्या है – जैसे की भीमकाय जैन तीर्थंकर प्रतिमा इत्यादि । जिसके कारण ही इन गुफाओं को भीमसेन गुफा कहा जाने लगा ।
मध्यप्रदेश की सरकारी वेबसाइट पर इस जगह का नाम भीमसेन से संबोधित किया गया है, तथ्यो से पता लगता है, भीमसेन गुफा और भियादन्त दोनों एक ही स्थान है ।

चूंकि यह स्थान तीर्थ क्षेत्र थूबोन जी, चंदेरी और, खंदारगिरी से बिल्कुल नजदीक है, अतः इन तीर्थ कमेटियों को भियादन्त स्थान के विकास के लिए अवश्य आगे आना चाहिए । यहां पहुंचने के लिए 8 किमी कच्चा मार्ग है, जिसे व्यवस्थित करके जैन समाज व तीर्थ यात्रियों को इस तीर्थ से जोड़ा जा सकता है। अभी इस स्थान पर ठहरने व भोजन आदि, किसी भी प्रकार की कोई व्यवस्था नही है । यहां सिर्फ अपने वाहन से पहुंचा जा सकता है ।

एक बार इस पावन अतिशय तीर्थक्षेत्र के दर्शन अवश्य करें ।