विज्ञान भी नतमस्तक! पहली बार हो रहा ऐसा, कि एक ही वेदी पर 10-12 बार , आज भी बिखर रही केसर, कौन है? सच्चाई देखिए

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6 मार्च 2023/ फाल्गुन शुक्ल चतुर्दशी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/ शरद जैन/EXCLUSIVE
आज के विज्ञान के युग में यह विश्वास करने से परे होता है कि किसी मंदिर में केसर की बरसात हो रही हो, आज के समय और वह भी एक बार नहीं, और रुक रुक कर डेढ़ माह में 10 से ज्यादा बार।

हां , कौन विश्वास करेगा? पर जब अपनी आंखों से देखते हैं, तो सचमुच अविश्वसनीय लगता है। मानना पड़ता है कि इस धरा पर मनुष्य के अलावा भी कोई और है, जो दिख तो नहीं रहा है, पर जिन्हें रक्षक देवी देवता कहा जाता है। कुछ ऐसा ही हो रहा है , भारत के दिल दिल्ली के पुराने शहर पहाड़ी धीरज के श्री पारसनाथ दिगंबर जैन मंदिर की प्राचीन मूल वेदी पर।

वैसे 40-45 वर्ष पहले, मूल वेदी को बदल दिया गया था। जहां पर 2009 में आचार्य श्री बाहुबली सागर जी महाराज ने पंचकल्याणक करवाएं और कहा कि यह अतिशयकारी तीर्थ है और उस बात के 14 साल बाद, अब यहां पर जो अतिशय देखा जा रहा है, वह सीसीटीवी कैमरे में भी कैद हो रहा है । कोई व्यक्ति नहीं कर रहा है, तो फिर यह कैसे हो रहा है? चैनल महालक्ष्मी ने यहां के उपप्रधान अमित जैन जी से बहुत लंबी इस बारे में चर्चा की।

स्पष्ट कहा कि यह दान चिट्ठा इकट्ठा करने की कोई चाल तो नहीं, क्योंकि इससे पहले चैनल महालक्ष्मी एक अतिशयकारी तीर्थ पर निकलने वाले प्राचीन सिक्कों का, खुलासा कर चुका है कि वे सिक्के वहां बरसते नहीं , बरसाए जाते हैं । एकाएक उसकी कायापलट हो गई थी । भक्तों के विश्वास से खिलवाड़ करना , कोई पुण्य कर्म नहीं , पाप कर्म का उदय है। तो क्या ऐसा ही कुछ यहां तो नहीं हो रहा?

अमित जैन जी ने बहुत चित्र भेजें और स्पष्ट कहा कि यहां पर सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, पूरी फुटेज है । कोई भी आकर जांच सकता है । प्रातः 6:30 बजे अभिषेक होता है, उससे पहले ही केसर बिखरी हुई मिल जाती है। शाम को 5:30 बजे द्वार खुलने के बाद आरती होती है , तो भी छीटकी हुई केसर दिख जाती है। डेढ़ माह पहले ही यहां मूलवेदी के तीर्थंकर श्री वासुपूज्य स्वामी की प्रतिमा पर शुरू हुई, जिस पर 5-7 बार केसर बरसा या , कहीं छीटकी और उसके बाद से 4 बार उसी वेदी पर, चंदा प्रभु भगवान की प्रतिमा पर अब ऐसा हो रहा है। इस मंदिर के इस अतिशय के बारे में , पूरी जानकारी मंगलवार 7 मार्च को, चैनल महालक्ष्मी के रात्रि 8:00 बजे के एपिसोड में जरूर देखिए।

क्या विज्ञान भी आज इन बातों को विश्वास कर पाएगा?
ऐसा क्या है इस मंदिर के अंदर ?
क्या रक्षक देवी देवता आज भी इन मंदिरों में अपनी तरह से पूजा पाठ करते हैं?
क्यों एक ही प्रतिमा पर ही केसर बिखर रहा है?
सीसीटीवी कैमरे में सब कुछ रिकॉर्ड हो रहा है।
दोपहर 12:30 बजे मंदिर बंद होता है, शाम आरती से पहले खुलता है, तो बंद दरवाजों में ऐसा कौन करता है या फिर रात के बंद दरवाजे में ऐसा क्या हो जाता है कि जब दरवाजे खुलते हैं , तो बिखरी हुई केसर, प्रतिमा पर नजर आती है।

विश्वास कीजिए, कई बार भक्ति और नमस्कार से चमत्कार होते ही रहते हैं।