पांचों पद वाले साधु संघ सर्वमान्य होते हैं , वर्तमान में संभवतः यह पहला संघ , विरागोदय महामहोत्सव में गणाचार्य विराग सागर जी ने दी 21 दीक्षाएं

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14 फरवरी 2023/ फाल्गुन कृष्ण नवमी/चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/ पथरिया

प्रमुख विद्वान डॉक्टर श्रेयांश कुमार जैन, बड़ौत ने चैनल महालक्ष्मी को बताया कि जैसा आचार्य श्रीमहावीर कीर्ति जी के संघ में थे, अब उसी तरह से गणाचार्य श्री विराग सागर जी के संघ में 5 पद हैं और पांचों पद वाले साधु संघ सर्वमान्य होते हैं। इसी रूप में वर्तमान में संभवतः यह पहला संघ होगा, जिस में पांचों पद अब प्रदान कर दिए गए।- विरागोदय महामहोत्सव जो जैन धर्म के विशाल एवं ना ” भूतो ना भविष्यति ” के भव्य आयोजन के तेरहवां दिवस स्वर्णिम इतिहास में लिखा गया । जहां भारत गौरव, बुन्देलखण्ड के प्रथमाचार्य श्री 108 विराग सागर जी महाराज ने अपने करकमलों से आचार्य, स्थविर, गणधर, उपाध्याय, प्रर्वतक, मुनि, छुल्लक, तथा गणनी के आगमानुसार पद प्रतिष्ठाएं एवं जैनेश्वरी दीक्षाओं के संस्कार विधिपूर्वक दियें । जिसमें आचार्य पद मुनि श्री विहर्ष सागर जी को और उपाध्याय पद जनसंत मुनि श्री विरंजन सागर जी को भी दिया गया। इस अवसर पर तीस हजार से भी अधिक श्रद्धालुओं ने साक्षी बनकर पुण्य लाभ प्राप्त किया ।

श्री विरागोदय क्षेत्र, पथरिया में फाल्गुन कृष्ण सप्तमी 13 फरवरी 2023 को युग प्रतिक्रमण प्रवर्तक गणाचार्य श्री 108 विराग सागर जी यतिराज के कर कमलों से आगमनूकुल पद प्रतिष्ठा एवं जैनेश्वरी दीक्षा महोत्सव संपन्न किया गया।

१) पूज्य श्रमण रत्न श्री १०८ विहर्ष सागर जी मुनिराज – आचार्य श्री 108 विहर्ष सागर जी मुनिराज

२) श्रमण श्री विहित सागर जी मुनिराज – स्थविर श्रमण 108 श्री विहित सागर जी मुनिराज

३) श्रमण श्री विशोक सागर जी मुनिराज – उपाध्याय 108 श्री विशोक सागर जी मुनिराज

४) श्रमण श्री विनिश्चल सागर जी मुनिराज – उपाध्याय 108 श्री विनिश्चल सागर जी मुनिराज

५) श्रमण श्री विवर्धन सागर जी मुनिराज – गणधर श्रमण 108 श्री विवर्धन सागर जी मुनिराज

६) श्रमण श्री विश्रुत सागर जी मुनिराज – उपाध्याय 108 श्री विश्रुत सागर जी मुनिराज

७) श्रमण श्री विहसंत सागर जी मुनिराज – उपाध्याय 108 श्री विहसंत सागर जी मुनिराज

८) श्रमण श्री विभंजन सागर जी मुनिराज – उपाध्याय 108 श्री विभंजन सागर जी मुनिराज

९) श्रमण श्री विकसंत सागर जी मुनिराज – उपाध्याय 108 श्री विकसंत सागर जी मुनिराज

१०) श्रमण श्री विश्व नायक सागर जी मुनिराज – प्रवर्तक श्रमण 108 श्री विश्वनायक सागर जी मुनिराज

११) श्रमण श्री विरंजन सागर जी – उपाध्याय 108 श्री विरंजन सागर जी मुनिराज

१२) ऐलक १०५ विनियोग सागर जी – मुनि श्री १०८ विनियोग सागर जी

१३) क्षुल्लक १०५ विसौम्य सागर जी – मुनि श्री १०८ विसौम्य सागर जी

१४) क्षुल्लक १०५ विवक्षित सागर जी – मुनि श्री १०८ विवक्षित सागर जी

१५) क्षुल्लक १०५ विश्वसाम्य सागर जी – मुनि श्री १०८ विश्वसाम्य सागर जी

१६) क्षुल्लक १०५ निर्वेद सागर जी – मुनि श्री १०८ निर्वेद सागर जी

१७) आर्यिका १०५ विशिष्ट श्री माताजी – गणिनी आर्यिका १०५ विशिष्ट श्री माताजी

१८) ब्र. प्रकाश चंद भैया जी – क्षु. १०५ विश्वोत्कीर्ण सागर जी

१९) ब्र. कैलाश भैया जी – क्षु. १०५ विश्वाशीष सागर जी

२०) ब्र. पुष्पा दीदी जी – क्षु. १०५ विपथ श्री माताजी जी

२१) बा.ब्र. निकिता दीदी जी – क्षु. १०५ विनिकेता श्री माताजी जी