13 फरवरी 2023/ फाल्गुन कृष्ण अष्टमी/चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/ शरद जैन
सत्य है , त्याग,तपस्या की पराकाष्ठा हो और अपरिग्रही हो, तो सचमुच महामानव बन ही जाते हैं। जंगल के शेर की तरह सबसे आगे निकल जाते हैं और फिर सामने कोई भी हो , अपनी गर्जना से सबको सही बात कहने में नहीं रुकते। यही क्षण थे रविवार को, दिल्ली के रामलीला मैदान में, जब हिंदू , सिख, ईसाई, जैन सभी धर्मों का इतिहास जानबूझकर तोड़ मरोड़ कर कह रहे थे मौलाना अरशद मदनी। लाखों मुसलमान तालियां पीटते हुए मज़े से सुन रहे थे और फिर उठ खड़े हुए एक जैन संत, जिन्होंने सामने बैठे लाखों मुसलमानों को ना केवल खड़ा कर दिया, बल्कि उनके सामने सत्य की वह आवाज बोली, जिससे हर कोई मानो हिल गया।
एक जैन संत लाखों मुसलमानों के सम्मेलन में क्यों दहाड़े शेर की तरह?
सभी धर्म गुरुओं की उपस्थिति में क्यों उठ खड़े हुए एक जैन संत?
ब्रह्मा, विष्णु , महेश, श्री राम के प्रति हिंदू धर्म गुरुओं की चुप्पी पर भी पहले क्यों उठ खड़े जैन संत?
ओम का अनादर और अल्लाह से निकले सारे धर्म कहने वाला कौन था?
ऐसे अनेकों सवाल, जिनको जवाब देने के लिए उठ खड़ा लाखों मुसलमानों के बीच , एक जैन संत ।
तैयार शास्त्रार्थ के लिए और शहादत के लिए भी।
और फिर उठ खड़े हुए एक जैन संत, जिन्होंने सामने बैठे लाखों मुसलमानों को ना केवल खड़ा कर दिया, बल्कि उनके सामने सत्य की वह आवाज बोली, जिससे हर कोई मानो हिल गया।
इसकी पूरी जानकारी आज सोमवार 13 फरवरी को रात्रि 8:00 बजे के चैनल महालक्ष्मी के विशेष एपिसोड में जरूर देखिए गर्व होगा । एक जैन संत पर, जिसने ब्रह्मा, विष्णु, महेश, श्री राम जी के बारे में जो कुछ गलत कहा, उसका उतना ही कठोर जवाब दिया।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद (देश के बड़े इस्लामिक संगठनों में शामिल है, जमीयत उलेमा-ए-हिंद भारत के अग्रणी इस्लामिक संगठनों में से एक है। यह देवबंदी विचारधारा से प्रभावित है। इसकी स्थापना साल 1919 में हुई थी। कहा जाता है कि देशभर में जमीयत के फॉलोअर्स करोड़ों में हैं। जमीयत पदाधिकारियों के अनुसार, इस संगठन का इतिहास देश की आजादी में लड़ाई से भी जुड़ा रहा है) के अधिवेशन के आखिरी दिन मौलाना अरशद मदनी के बयान पर जबर्दस्त बवाल हो गया। मदनी RSS चीफ के उस बयान का जवाब दे रहे थे, जिसमें उन्होंने कहा था- हिंदुओं और मुसलमानों के पूर्वज एक जैसे हैं। मदनी ने कहा- तुम्हारे पूर्वज हिंदू नहीं, मनु थे यानी आदम। उनके इस बयान के विरोध में अधिवेशन में पहुंचे अलग-अलग धर्मगुरु मंच छोड़कर चले गए।
दिल्ली के रामलीला मैदान में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के 34वें अधिवेशन के आखिरी दिन मौलाना मदनी ने कहा- मैंने पूछा कि जब कोई नहीं था। न श्रीराम थे, न ब्रह्मा थे और न शिव थे; जब कोई नहीं था तो मनु पूजते किसको थे। कोई कहता है कि शिव को पूजते थे। बहुत कम लोग ये बताते हैं कि मनु ओम को पूजते थे। ओम कौन है? बहुत से लोगों ने कहा कि उसका कोई रूप-रंग नहीं है। वो दुनिया में हर जगह हैं। अरे बाबा इन्हीं को तो हम अल्लाह कहते हैं। इन्हें आप ईश्वर कहते हैं।
अरशद मदनी बोले- हम जिसे आदम कहते हैं, वही मनु
मौलाना मदनी ने कहा, ‘हजरत आदम जो नबी थे, सबसे पहले उन्हें भारत की धरती के भीतर उतारा। अगर चाहता तो आदम को अफ्रीका, अरब, रूस में उतार देता। वो भी जानते हैं, हम भी जानते हैं कि आदम को दुनिया में उतारने के लिए भारत की धरती को चुना गया।’
मदनी बोले- मैंने बड़े-बड़े धर्मगुरुओं से पूछा कि अल्लाह ने जिस पहले आदमी को धरती पर उतारा वो किसकी पूजा करता था। दुनिया के अंदर अकेला आदम था, उसे कहते क्या हो। लोग अलग-अलग बातें कहते थे। धर्मगुरुओं ने कहा कि हम उसे मनु कहते हैं, हम आदम कहते हैं, अंग्रेजी बोलने वाले एडम कहते हैं। हम आदम की औलाद को आदमी और ये मनु की औलाद को मनुष्य कहते हैं।
उन्होंने कहा, ‘मैंने धर्म गुरु से पूछा जब कोई नहीं था, न श्री राम, न ब्रह्म, तब मनु किसे पूजते थे? कुछ लोग बताते हैं कि वे ओम को पूजते थे तब मैंने कहा कि इन्हें ही तो हम अल्लाह, आप ईश्वर, फारसी बोलने वाले खुदा और अंग्रेजी बोलने वाले गॉड कहते हैं।’ मौलाना ने कहा कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) का बयान गलत था, अल्लाह और ओम एक हैं।
आचार्य लोकेश मुनि जी ने विरोध किया, कई संत उठकर चले गए
मौलाना मदनी के बयान का आचार्य लोकेश मुनि जी ने विरोध किया। उन्होंने कहा कि यह अधिवेशन लोगों को जोड़ने के लिए हो रहा है। ऐसे में इस तरह का बयान कहां तक जायज है। आचार्य लोकेश मुनि जी ने मंच पर यह बात कही। इसके बाद वे कार्यक्रम से उठकर चले गए। उनके बाद दूसरे धर्मों के संतों ने भी कार्यक्रम छोड़ दिया।
सवाल ये उठ रहे हैं कि क्या अरशद मदनी ने जानबूझकर सनातन को नीचा दिखाने की कोशिश की? क्या सभी धर्म के धर्मगुरुओं के सामने मदनी ने भगवान राम, शिव को लेकर बयानबाजी कर सनातन के खिलाफ साजिश रची? अरशद मदनी के इस बयान का उसी मंच पर जमकर विरोध हुआ – हिंदू – जैन औऱ सिख धर्मगुरुओं ने नाराजगी जताते हुए मंच छोड़ दिया। आचार्य लोकेश मुनि जी ने उसी मंच से साफ कहा कि वो मदनी के बयान का विरोध करते हैं। मदनी के इस बयान के पीछे का मकसद क्या है? दरअसल डंके की चोट पर पिछले काफी समय से घर वापसी कार्यक्रम चल रहे हैं – तमाम मुसलमान खुद मानते हैं कि उनके पूर्वज हिंदू थे मदनी को मुसलमानों की घर वापसी का डर सताने लगा है तो मदनी ऐसी बयानबाजी कर रहे हैं जिससे वो मुसलमानों को भड़का सकें।
जमीयत के मंच से हिंदुओं की भावनाओं को भड़काने की कोशिश की गई। दिल्ली में जमीयत उलेमा ए हिंद के 34वें सम्मेलन के आखिरी दिन मंच से जमकर भड़काऊ बयानबाजी की गई। वैसे तो इस सम्मेलन को एकता का नाम दिया गया लेकिन जमीयत के इस मंच पर खूब विवादित बयानबाजी ही हुई। मौलाना अरशद मदनी ने ये जताने की कोशिश की मुसलमानों के पूर्वज हिंदू नहीं थे बल्कि आदम यानि मनु थे .इतना ही नहीं मदनी ने यहां तक कह दिया कि जब ना राम थे ना शिव थे तब मनु किसे पूजते थे ऊं यानि अल्लाह को पूजते थे। बयान की चौतरफा आलोचना हुई तो मदनी ने माफी मांग ली।
पूरी जानकारी आज सोमवार 13 फरवरी को रात्रि 8:00 बजे के चैनल महालक्ष्मी के विशेष एपिसोड में जरूर देखिए गर्व होगा ।