शिखरजी के इतिहास में पहली बार क्या-क्या हुआ

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इस बार शिखरजी में 14-15 जनवरी को जो हुआ, वो आज तक नहीं हुआ। चैनल महालक्ष्मी ने जहां 08 जनवरी को भारतवर्षीय जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी सहित, 34 कमेटी संस्थाओं को पत्र लिखे थे, उसके बाद 10 व 12 जनवरी को आपके समक्ष खुलासा इसी चैनल महालक्ष्मी से भी किया था। यह भी घोषणा की थी कि 14 व 15 जनवरी को शाश्वत तीर्थ की वंदना करने जैन नहीं जाएंगें और बड़ी संख्या में अजैन जाएंगे। जूते-चप्पल पहन कर पावन पहाड़ पर चढ़ना, ऊपर अभक्ष्य खाने की संभावना, पावन पारस चरणों को छूकर अपावन करने की संभावना। सारी शंकायें अवगत कराई थी। जब-जब हम आवाज उठाते हैं, जागरूक रहते हैं, तो परिवर्तन संभव होता है, हाथ पर हाथ धरकर कुछ नहीं होगा।

तीर्थक्षेत्र कमेटी हरकत में, प्रशासन चौकस
हमारी 10 जनवरी की आवाज पर तीर्थक्षेत्र कमेटी हरकत में आ गई, 11 को मुम्बई मुख्यालय से पत्र जारी हुआ और 12 को डीसी, प्रशासन, एसपी पुलिस, वाइल्ड-लाइफ, रेंजर सभी से मुलाकात की गई गिरडीह में, चर्चा की। क्योंकि 14-15 को ऐसा कुछ न हो, जिससे हमारा तीर्थ अपवित्र हो जाये, क्योंकि इस बार 25 दिसम्बर 2020 से हजारों की संख्या में अजैन पहाड़ पर चढ़ रहे थे, और हजारों में हर बार चढ़ने वालें जैन यात्री, चंद सैकड़ों में भी मुश्किल से वंदना कर रहे थे।


शिखरजी के इतिहास में पहली बार हुआ- हजारों बाइक, पर एक भी नहीं गई ऊपर
और फिर 14-15 जनवरी 2021 को बहुत कुछ हुआ, ऐसा जो आज तक नहीं हुआ। तीर्थक्षेत्र कमेटी की माने, तो जो हुआ वो शिखरजी के इतिहास में पहली बार हुआ। पहाड़ पर चढ़ने वालों की गिनती यहां पर खड़े वाहनों के तांते से आप लगा सकते हैं कि कितने लोग यहां आये होंगे। हजारों बाइकें, कार वाहन, पर मार्ग में जगह-जगह बेरिकेड लगाये गये, जिसमें कोई बाइक ऊपर नहीं गई।

50 हजार से ज्यादा अजैन चढ़े पावन पर्वत पर
जी हां, 14 को 6-8 हजार ही थे, पर 15 को इनकी संख्या इतनी थी, जितनी आज तक कभी नहीं, 8-10 हजार नहीं, 40 से 50 हजार, इतनी भीड़ जत्थे-जत्थे बढ़ते जा रहे थे, निमियाघाट से भी भीड़ का कारवां और वंदना मार्ग से भी कारवां। मकर संक्रांति पर अजैनों की इतनी बढ़ी संख्या आज तक नहीं देखी गई।

शिखरजी को गिरनारजी नहीं बनने देंगे
इतनी भीड़ के बारे में सोचा नहीं था और ऐसे दृश्य देख कर खतरे की घंटियां बजने लगती है। ऐसे ही गिरनार में हुआ, जब जैन गायब और अजैन जम गये, श्री नेमिनाथ जी के चरण वहां छिपा दिये गये, तो क्या ऐसी भीड़ के चलते पारस प्रभु के चरणों की पावनता बरकरार रह पाएगी? बहुत बड़ा प्रश्न था सामने!

पहली बार पारस चरण की हुई बेरिकेडिंग
पहली बार किया तीर्थक्षेत्र कमेटी ने इस तरह का कार्य किया। अलार्म हमने बजाया था, जाग उठी तीर्थक्षेत्र कमेटी। पहली बार शिखरजी के इतिहास में, शाश्वत ट्रस्ट के महामंत्री राजकुमार जी के अनुसार, गर्भगृह में चरणों की बैरिकेटिंग की, जिससे कोई चरणों को न छू सके। उसकी पावनता भंग न हो और सफल रही ऐसी पहल।

पहली बार नीचे-ऊपर, जगह-जगह चैकपोस्ट
पहाड़ की पवित्रता बरकार रखने के लिये मधुबन थाने से लेकर वंदना मार्ग के प्रवेश द्वार तक, तीन जगह और वंदना मार्ग से ऊपर पहाड़ पर चार जगह चेकपोस्ट लगाई गई, पहली बार।

जगह-जगह तलाशी अभियान
तलाशी भी हुई कर्इं कीं। तलाशी में किसी के पूरी-सब्जी निकली, किसी की पकौड़ी। कोई खिचड़ी लाया, कोई चूड़ा दही, या तिलकूट यानि अभक्ष्य को रोकने के लिये सघन तलाशी रंग लाई। रेंजर-पुलिस प्रशासन द्वारा इस कार्य को किया गया। इस तरह पहली बार पर्वत की पावनता को बरकरार रखने की कोशिशें की गई।

तीर्थक्षेत्र कमेटी ने चलाया सघन जागरूकता अभियान
शाश्वत ट्रस्ट के महामंत्री श्री राजकुमार जैन ने चैनल महालक्ष्मी को बताया कि तीर्थक्षेत्र कमेटी ने वंदना पर्वत की जागरूकता के लिये जगह-जगह बैनर लगाये- ‘पर्वत की वंदना निर्मल भाव से करें, चमड़े की वस्तुएं न ले जायें। अभक्ष्य वस्तुओं का सेवन न करें, धूम्रपान-मद्यपान निषेध है। गंदगी न फैलायें, मल-मूत्र का त्याग न करें।’
पहली बार लोगों के बीच रहे पुलिस, वन-विभाग वाले

पहाड़ पर चढ़ रहे 50 हजार लोग, कोई अनहोनी न हो, इसके लिये पुलिस व वन विभाग कर्मचारी, सीआरपीएफ वाले जगह-जगह तैनात ही नहीं थे, बल्कि वंदना मार्ग में भी लगातार पेट्रोलिंग करते रहे, ऐसा पहली बार हुआ।

जूते-चप्पल पहन कर गये लोग,पहली बार अनेक नंगे पैर भी
पहाड़ पर 50 हजार से ज्यादा अजैन चढ़े, निमियाघाट और मधुबन से चढ़े, कई जूते-चप्पल से चढ़े तो पहली बार जागरूकता से बदलाव आया। इस बार देखा गया कि अनेक आजैन, जैनों की तरह पर्वत की पावनता का आदर करते, नंगे पैर भी चढ़े और पारस टोंक पर जो गये, सबने जूते-चप्पल उतार कर दर्शन किये।

अभक्ष्य पर लगी लगाम
यह लगातार शिकायत रही है कि अजैन लोग ऊपर जाकर अभक्ष्य खाते हैं, पर इस बार मोटे तौर पर कह सकते हैं कि अभक्ष्य को पहाड़ पर नहीं खाया गया, इस तरह पर्वत पर अभक्ष्य पर पहली बार लगी लगाम।

तीर्थक्षेत्र कमेटी ने बांटे 10 हजार नि:शुल्क मास्क
जैनों के लिये तो ऐसा अभियान तीर्थक्षेत्र कमेटी ने आज तक नहीं लगाया, पर अजैन बंधुओं के लिये पूरी तरह चौकस रही, दस हजार से ज्यादा नि:शुल्क बांटने के लिये, अपने आॅफिस के बाहर पूरा इंतजाम किया, शाश्वत ट्रस्ट के साथ, लोगों का हेण्ड सेनेटाइजेशन किया गया।

अगर जज्बा हो तो, बहुसंख्यकों को भी नियंत्रित कर सकते हैं
बार-बार कहते रहते हैं कि जैनों के आवागमन कम होने और बहुसंख्यकों की कई गुणा भीड़ से हमारा गिरनार, सुरक्षित नहीं हो रहा। पर यहां देर नहीं हो, इस बारे में पहली बार कई पहल की और उनकी सफलता दिखी भी। निश्चय ही कदम हमें उठाने की जरूरत, जागने की जरूरत है, हाथ पर हाथ रखकर नहीं बैठना होगा।

प्रशासन की भरपूर कोशिशें पर सोशल डिस्टेंसिंग हुई तार-तार
प्रशासन द्वारा गाड़ी द्वारा, लाउड स्पीकरों द्वारा हेण्ड सेनेटाइजेशन, मास्क पहनना, सामाजिक दूरी पर लगातार घोषणायें होती रहीं। पर वंदना करते इन नियमों की धज्जियां खूब उड़ी। मास्क उतार दिये, सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों को ताक पर रख दिया। अब तक यहां कोई यात्री कोरोना का शिकार नहीं हुआ। भावना भायें, इस भीड़ को भी, यहां की पावन वर्गणायें बचा कर रखें।

अब हमारे जागने की बारी करें सुनहरे कल की तैयारी
यह अंत नहीं, सफल शुरूआत है, पर हमें तैयारी करनी है। फैशनबाजी से बाज आयें, इस पावन तीर्थ पर शुद्ध धोती-दुपट्टा में जायें, सफेद कपड़ों में जायें, अलग पहचान बनायें। इसे पिकनिक स्पॉट, घूमने सैर-सपाटे का स्थान न बनने दें। ऊपर कुछ भी नहीं खाएंगें, इसके कण-कण को पावन मंदिर बनायें रखेंगे। सबसे श्रेष्ठ धर्म की पहचान, हम को मजबूत करनी है।

धन्यवाद सभी को
चैनल महालक्ष्मी ने आवाज उठाई थी, आलोचना की थी, पर मेहनत रंग लाई। सभी को धन्यवाद, तीर्थक्षेत्र कमेटी को, जिसके अगुवाई की शाश्वत ट्रस्ट के महामंत्री राजकुमार अजमेरा जी ने, शाश्वत ट्रस्ट सहित श्वेताम्बर-दिगंबर सभी कमेटियां, कोठी – सभी ने अपने-अपने स्थानों के बाहर हेलोजन लगाकर रोशनी की, चाहे जैनों के लिये आज तक नहीं की हो। प्रशासन, पुलिस, वाइल्ड लाइफ टीम सभी ने पूरी मेहनत की, हृदय से सभी को धन्यवाद। सबसे पावन तीर्थ है, इसको सुरक्षित रखना हम सबका कर्तव्य है।