सिद्ध भूमि गिरनार जी के उर्जयंत शिखर पर तीर्थंकर श्री नेमिनाथ जी के चरण के दो पुख्ता सबूत, क्या जैनों को अधिकार मिल पाएगा? #SAVEGIRNARJI

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17 जनवरी 2022/ माघ कृष्ण नवमी/चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी /

यह सभी जानते होंगे कि जहां जैन समाज श्री सम्मेद शिखरजी को पवित्र जैन तीर्थ घोषित कराने के लिए आंदोलित है , वही जैन समाज का दूसरा बड़ा सिद्धक्षेत्र गिरनार जी भी जैनों के हाथ से निकलता जा रहा है। जिसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। अखिल भारतवर्षीय दिगंबर जैन तीर्थ क्षेत्र कमेटी और बंडी लाल कारखाना, 2004 से इस तीर्थ को बचाने के लिए अदालत में कई मुकदमे लड़ रहे हैं। पर उसमें कुछ सफलता मिलने के बावजूद, आज कोई भी जैन श्रद्धालु पांचवी टोंक पर, यानी तीर्थंकर श्री नेमिनाथ जी के चरण पर अर्घ नहीं चढ़ा सकता है, ना जयकारा बोल सकता है , ना ही दो मिनट के लिए ध्यान कर सकता है ।

ऐसे में अक्टूबर 2022 में दो जैन बंधु , अलवर के खिल्लीमल जैन जी और ग्वालियर के सुभाष चंद्र जैन जी ने जूनागढ़ कोर्ट में एक और याचिका दायर कर दी, जिसमें मुख्य सचिव गुजरात सरकार, जूनागढ़ के जिला कलेक्टर , भारत सरकार के गृह मामलों के सचिव , भारत सरकार के अल्पसंख्यक मामलों के सचिव और भारत सरकार के ही भारतीय पुरातत्व विभाग के सचिव, इन पांचों को वादी बनाया गया और इसमें स्पष्ट रूप से अदालत से यह मांग की गई कि इस तीर्थ पर 15 अगस्त 1947 की स्थिति को बहाल किया जाए । पिछले केसों में इस बारे में कोई याचिका को नहीं जोड़ा गया, जिससे हम अपना अधिकार पा सके। आप में से कई इस बारे में जानते होंगे की जेम्स वर्गीज ने अपनी यात्रा के दौरान जो रिपोर्ट बनाई थी, उसमें लिखा था कि वहां पर नेमिनाथ के पादुका के चरण बने हुए हैं और एक दिगंबर साधु वहां की पहरेदारी करता है और एक बड़ा घंटा भी वहां लगा है।

पर क्या आपने वह पुस्तक देखी है? किसने प्रकाशन किया उसको? उसमें क्या जानकारी है? और वही इस याचिका के लिए फिर दिव्यभास्कर और टाइम्स ऑफ इंडिया अखबार में नोटिस प्रकाशित कराया , जिसमें जिसके जवाब में 3 श्वेतांबर भाइयों के आवेदन आए तथा बाद में 12 जनवरी को मुकदमे की तिथि पर विश्व हिंदू परिषद जूनागढ़, पूर्वी दिल्ली से पहले सांसद बन चुके महेश गिरी आदि, श्री वैष्णव साधु समाज एजुकेशन एंड चैरिटेबल ट्रस्ट राजकोट, राष्ट्रीय विद्वत परिषद दिल्ली, जूना अखाड़ा के चार महंत तथा अमृत भाई आदि जूनागढ़ के 4 व्यक्तियों द्वारा और आवेदन दिए गए ।

अब जैन समाज के सामने वर्गीस की रिपोर्ट के अलावा, एक और प्रमाण, जो लगभग 113 वर्ष प्राचीन है, वह भी सामने आया है। इन दोनों की पूरी जानकारी, चैनल महालक्ष्मी , मंगलवार 17 जनवरी के रात्रि 8:00 के एपिसोड में जैन समाज के सामने लाएगा। क्या ये सबूत, जैन समाज के लिए काफी होंगे कि 1947 की स्थिति को, बहाल किया जाए? यानी 1947 में जो चरणों का रूप था, उसी रूप में रहने चाहिए ? यह दत्तात्रेय, चरण पर कब लिखा गया? और चरणों को कब बदला गया?, इसकी भी जांच होनी चाहिए।

गिरनारजी पर कुछ पहले बनाये एपिसोड भी आप क्लिक करके देख सकते हैं