श्री सम्मेद शिखरजी : दोनों समाजों को भी लड़वाने की जितनी कोशिश की, वह स्थानीय समाज की एकता के सामने एकता की वह मिसाल पेश की, जो वर्षों तक लोगों को याद रहेगी #SaveShikharji

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17 जनवरी 2022/ माघ कृष्ण नवमी/चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी /

सभी रिकॉर्ड टूट गए श्री सम्मेद शिखरजी में, जब रविवार 15 जनवरी को पारसनाथ मधुबन में खिचड़ी मेला के साथ, मकर सक्रांति मेला में, मूल रूप से आदिवासी श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ गया।

जिन नेताओं ने अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने थी, जिन्होंने अपना चेहरा दिखाना था, उन्होंने दोनों समाजों को भी लड़वाने की जितनी कोशिश की, वह स्थानीय समाज की एकता के सामने फीकी पड़ गई , बल्कि यह कहे कि उन्होंने सब की बातों को दरकिनार कर, एकता की वह मिसाल पेश की, जो वर्षों तक लोगों को याद रहेगी।

2021 में जहां 25000 चढ़े थे, 2022 में यह गिनती दुगनी होकर 50,000 को पार कर गई, लेकिन इस बार तो यह गिनती 100000 से भी कहीं ज्यादा थी । इस बात का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि मेला समिति की पार्किंग , जिसमें बाइक खड़ी थी वह तक छोटा पड़ गया। इस सैलाब को संभालने के लिए एसडीएम और एसडीपीओ ने अपनी पैनी नजर बना कर रखी थी। यही नहीं, ड्रोन कैमरे से भी पूरे मेले पर निगरानी की जा रही थी ।

पार्किंग के लिए वाहनों से पार्किंग स्थल दोपहर तक भर चुका था । उसके बाद जैन संस्थाओं ने भी पार्किंग के लिए अपना स्थान दिया। तब जाकर लोग पारसनाथ पहाड़ पर चढ़ पाए। रविवार को शांतिमय वातावरण रहा। इसके लिए पूरी नजर रखी गई । कोई भी पहाड़ के ऊपर स्पीकर या गाना बजाने का साधन लेकर नहीं गया। सभी ने चेक पोस्ट के पास, उस उपकरण को जमा करवाएं। पूरे वंदना मार्ग पर , प्रशासन की चाक-चौबंद व्यवस्था पर्वत के ऊपर जाने वालों की जांच प्रक्रिया से गुजरने के बाद ही, सबको ऊपर जाने दिया गया और यही कारण था कि पूरा माहौल शांतिपूर्ण रहा।

विशेष बात रही कि पारसनाथ मेला , मांस और मदिरा वर्जित पूर्ण रूप से रहा। जगह-जगह तलाशी हुई, अधिकांश के पास खिचड़ी ही मिली। मेले में मनोरंजन के साधनों के लिए लोगों ने खूब आनंद उठाया। लोगों का ऊपर जाना सुबह 11:00 बजे ही शुरू हो चुका था, जो वापस लौटने का सिलसिला रात्रि 7:30 बजे के बाद तक रहा।

मधुबन तलहटी में जैन समाज की सभी संस्थाएं मधुबन का जैन समाज पंचायत और साथ ही अन्य समाज की कमेटी अभी स्वच्छता समिति सहित सभी ने जैसे बंदोबस्त की कमान अपने पास लेकर सामूहिक रूप से संभाली थी जिनमें पंचायत प्रमुख सरपंच उप मुखिया थाना प्रभारी आदि का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा यही नहीं सुबह 11:00 विमल सागर जी समाधि के पास एक बड़ा स्टोल आचार्य श्री प्रसन्न सागर जी महाराज के आशीर्वाद से, उनकी सोच से, सबने मिलकर लगाया और आप हैरान होंगे कि उनके द्वारा 60,000 से ज्यादा गुड़ चूड़ा के पैकेट बांटे गए

सबसे बड़ी जैन समाज को चौंकाने वाली बात यह रही कि कोई भी गाने बजाने का सामान ऊपर लेकर नहीं गया ,जिनके पास भी थे वह नीचे ही चेकिंग पोस्ट पर सब ने जमा करवा दिए और चमत्कार हुआ जब डाक बंगले से आगे कुछ दूरी पर अधिकांश ने अपने जूते उतार कर पारसनाथ चौक पर दर्शन किए और उनके मुख से जयकारे निकल रहे थे पारस नाथ बाबा की जय अंतरमाना प्रसन्न सागर जी महाराज की जय सचमुच नारे पावन पर्वत धरा को आज गदगद कर रहे थे जो जैन समाज चाहता था ,आदिवासी भाइयों ने मिलकर उस बात को पूरा कर दिया।