श्री सम्मेद शिखरजी के लिए मुनि श्री ने दिया अपना बलिदान और दूसरे ने शुरू कर दिया अनशन, कितनी आहुतियां चाहिए सरकारों को, बता दे, एक साथ दे देंगे

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3 जनवरी 2022/ पौष शुक्ल दवादिशि /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी /
आज कुछ शहरों में ही नहीं, पूरे देश में और अनेकों जगह विदेश में भी, आज चर्चा का विषय बन गया है कि जैन समाज की सबसे उचित मांग को, सरकारें क्यों नहीं सुन रही?

क्या धर्म प्रधान देश में ऐसा भी हो सकता है कि किसी बड़े तीर्थ को अब अपवित्र होते , कोई देख भी सकता है?
क्या कभी किसी मंदिर में जूते , चप्पल , मांस , मदिरा जैसी बातों के बारे में कोई सोच भी सकता है?
बड़ी ही अजीबोगरीब बात लगती है ,आज पूरे विश्व को और वही हमारी सरकार, अभी कागजों में ही उलझी पड़ी है।

क्या यह उत्पीड़न नहीं है जैन समाज का और इसी को अपने मन में धारण करते हुए आचार्य श्री सुनील सागर जी संघ के सुशिष्य मुनि श्री सुज्ञेय सागर जी ने 25 दिसंबर को आमरण अनशन शुरू कर दिया कि सरकारें अनादि निधन श्री सम्मेद शिखरजी को पर्यटन क्षेत्र कहने की कोशिश ना करें, और उसे तत्काल अहिंसक, शाकाहार, पवित्र, जैन तीर्थ घोषित करें ।
प्रकृति की मार पड़ती रही , उपसर्ग होते रहे , मुनि श्री सहते रहे और उन्हीं को सहते सहते आज अनशन के दसवें दिन, प्रातः 6:00 बजे, उनकी सांसो ने साथ छोड़ दिया, पर उन्होंने अपने अनशन को नहीं छोड़ा। और श्री सम्मेद शिखरजी आंदोलन में उनकी है आहुति और बलिदान जैन समाज को हतप्रभ कर गया, गमगीन कर गया।

सत्ता के गलियारों में शायद अभी नींद से उठने का समय पूरा नहीं हुआ। इसके बारे में पूरी रिपोर्ट चैनल महालक्ष्मी आज मंगलवार 3 जनवरी को रात्रि 8:00 के एपिसोड में दिखाएगा।

जयपुर सांगानेर में विराजित परम पूज्य चतुर्थ पट्टाधीश आचार्य श्री सुनीलसागरजी मुनिराज के शिष्य अन्धेरी मुंबई गौरव मुनि श्री 108 सुज्ञेयसागर जी महाराज का आज 3-1-2023 मंगलवार को प्रातः 6ः00 बजे सम्मेदशिखर बचाओ- अनशन के दौरान आज 10वें दिन मुनिराज की समाधि मरण हो गया है। वे मध्यम सिंहनिष्क्रिड़ित व्रत में उतरते हुए सात उपवास कर रहे थे। सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल की घोषणा वापिस लेने की मांग को लेकर 25-12-2022 से वे आमरण अनशन कर रहे थे। उनकी नजुक स्थिति देखते हुए उनके गुरुवर ने उन्हें समाधि-सल्लेखना दे दी थी। पंचपरमेष्ठी का ध्यान करते हुए उन्होंने देह त्याग दिया।

झारखंड सरकार ने गिरिडीह जिले में स्थित पारसनाथ पहाड़ी को टूरिस्ट प्लेस घोषित किया है। इसके खिलाफ देशभर में जैन समाज के लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। पारसनाथ पहाड़ी दुनिया भर के जैन धर्मावलंबियों में सर्वोच्च तीर्थ सम्मेद शिखर के तौर पर प्रसिद्ध है।

मुनीश्री ने ने सम्मेद शिखर को बचाने के लिए बलिदान दिया है। वे उससे जुड़े हुए थे।

जैन मुनि महाराज सुनील सागर ने कहा की पवित्र तीर्थ सम्मेद शिखर हमारे लिए शान की तरह है, आज 6 बजे मुनि सुज्ञेय सागर महाराज का समाधि मरण हो गया। जब उन्हें मालूम पड़ा कि सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल घोषित किया गया है, तो वे इसके विरोध में लगातार उपवास पर थे। राजस्थान की इस भूमि पर धर्म के लिए अपना समर्पण किया है, उनका अनुसरण करते हुए आज मुनि समर्थ सागर ने भी अन्न का त्याग कर तीर्थ को बचाने के लिए पहल की है।

क्या सरकारें चाहती हैं कि जैन संतों का बलिदान दिया जाता रहे ? एक सही आवाज के लिए सुनिएगा जरूर, आज रात्रि 8:00 बजे।