भारत के 3 बड़े मेट्रो शहर, दिल्ली , मुंबई, अहमदाबाद, तीनों जगह सड़कों पर क्यों उतरा लाखों की तादाद में जैन सैलाब #saveshikherji

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1 जनवरी 2022/ पौष शुक्ल दशमी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी /

पूरे विश्व में अहिंसा, शालीनता, मैत्री , सद्भाव, प्रेम का शंखनाद करने वाले, जैन समाज की भी, शायद अब सीमाएं पार होने लगी है । इंतजार की भी एक हद होती है। हां यह जरूर है मौखिक आश्वासन तो कई बार मिले हैं, पर लिखित आश्वासन ,आज तक नहीं। अगर सरकारें, जैन समाज की मांग मानने को तैयार है , यानी उसके पवित्र तीर्थ स्थलों को पर्यटन की परिधि से हटाकर, पवित्र जैन तीर्थ घोषित करने के लिए कागजी कार्यवाही कर रही है , तो क्यों, उसको लिखित रूप से सार्वजनिक नहीं करती। जैन समाज, आज पूरी तरह अपने को असुरक्षित महसूस कर रहा है। अल्पसंख्यक का दर्जा मिलने पर, संवैधानिक सुरक्षा मिलने के बावजूद, आज वह निस्सहाय सा हो रहा है, और यही कारण है कि अब उसके सब्र का बांध टूटने लगा है।

2023 का पहला दिन और जैन समाज अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए, भारत के 3 बड़े मेट्रो शहर, दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद में सड़कों पर उतर आया। जगह-जगह पुलिस ने अपना बल दिखाया, गिरफ्तारी करी और जो कुछ कर सकता था, शायद अहिंसक समाज के साथ वही किया। इस शांतिप्रिय समाज के प्रति , उसने वे सब हथकंडे अपनाये। पिछले 8 महीने से जैन समाज , शांति से अपना भाव अभिव्यक्त कर रहा है ।

देशभर में लाखों की तादाद में जैन समाज के लोग सड़क पर उतर गए हैं। हाथों में तख्तियां हैं और जुबान पर नारे हैं। ये लोग जैन मुनियों का नाम के जयकारे लग रहे हैं। दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद और हर छोटे-बड़े शहर में ऐसी ही तस्वीर दिख रही है। जैन समाज ”श्री सम्मेद शिखर तीर्थ” को टूरिस्ट प्लेस बनाने और शत्रुंजय पर्वत पर भगवन आदिनाथ की चरण पादुकाओं को खंडित करने वालों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहा है। उनकी मांग है कि सम्मेद शिखर को टूरिस्ट सेंटर ना बनाया जाए। साथ ही आदिनाथ की चरण पादुकाओं को खंडित करने वालों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की जाए। शत्रुंजय पर्वत पालीताणा में है और सम्मेद शिखर के बाद जैन समाज का सबसे बड़ा तीर्थ स्थान है।

बार-बार नेताओं से मंत्रियों से मिल रहा है, पर हर कोई उसे मौखिक आश्वासन देकर, विदा कर रहा है । ऐसा कब तक चलेगा? इसलिए आज जैन समाज ने इस सीमा को पार कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। निश्चय ही, यह एक छोटी शुरुआत है या आने वाले तूफान से, पहले की शांत हवा। चाहे वह केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार, दोनों को ही इस अल्पसंख्यक, अहिंसक समाज के बारे में मंथन जरूर करना चाहिए और अविलंब उसकी मांगों को पूरा करना चाहिए।

कोई भी धार्मिक व्यक्ति नहीं चाहेगा, कि उसके तीर्थ पर जूते-चप्पल जाए, मांस मदिरा बिकती हो, खरीदी जाती हो । ऐसा कोई विश्व में व्यक्ति नहीं मिलेगा, जो इस बात को स्वीकार कर लेगा। पर जैन समाज कड़वे घूंट के साथ, इसको अब तक पीता आ रहा है। यही नहीं, उसके दूसरे बड़े तीर्थ पालीताणा पर , एक बहुसंख्यक संप्रदाय तोड़फोड़ करता है। पिछले कुछ वर्षों में, इस अल्पसंख्यक समाज से, कई तीर्थों को छीना जा चुका है , बदला जा चुका है।

1947 की यथास्थिति कायम रखने के अधिनियम के बावजूद, उसके तीर्थों पर हमले होते हैं, छीने जाते हैं और इस पर या तो राजनीतिक संरक्षण या सामाजिक संरक्षण मिलता है ।
और जैन समाज अपने को असहाय महसूस करता है । यह कब तक चलेगा ? बर्दाश्त करने की सीमाएं , जैसे अब टूटने लगी है ।
सोचना चाहिए, सरकारों को इस सर्व धर्म प्रिय देश में , किसी के धार्मिक तीर्थ पर कोई चोट करें , उससे पहले कर्तव्य बनता है सरकार का, कि उसकी सुरक्षा का जिम्मा उसके कंधे पर हो। झारखंड में शिखरजी और गुजरात में पालीताना, आज जैन समाज के 2 सबसे बड़े तीर्थ होने के बावजूद, असुरक्षित हो रहे हैं । अपावन हो रहे हैं। एक तरफ शिखरजी में उसकी पवित्रता को तार-तार किया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ गुजरात में पालीताना, सबसे पहले शाकाहारी क्षेत्र, को जैसे हड़पने की साजिश हो रही है। इसके लिए भारत ही नहीं, पूरे विश्व के धार्मिक लोगों को भी, मिलकर आवाज उठानी होगी , क्योंकि अन्याय किसी पर हो, यह किसी भी धर्म प्रेमी को स्वीकार्य नहीं होना चाहिए ।

चैनल महालक्ष्मी इस पर एक विशेष एपिसोड सोमवार, 2 जनवरी को रात्रि 8:00 बजे के अपने एपिसोड में , आप सभी को देगा । क्या जैन समाज चुप रहकर सहते रहे या फिर करहाते तीर्थ, उनसे खड़े होने को नहीं पुकारे। देखिएगा जरूर सोमवार 2 जनवरी को, जैन समाज का दर्द। पूरे विश्व के लिए इस अपील के साथ कि साथ दें ,जब गलत किसी के साथ हो, तो उसके हित में आवाज जरूर उठानी चाहिए।

देशभर में लाखों की तादाद में जैन समाज के लोग सड़क पर उतर गए हैं। हाथों में तख्तियां हैं और जुबान पर नारे हैं। ये लोग जैन मुनियों का नाम के जयकारे लग रहे हैं। दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद और हर छोटे-बड़े शहर में ऐसी ही तस्वीर दिख रही है। जैन समाज ”श्री सम्मेद शिखर तीर्थ” को टूरिस्ट प्लेस बनाने और शत्रुंजय पर्वत पर भगवन आदिनाथ की चरण पादुकाओं को खंडित करने वालों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहा है। उनकी मांग है कि सम्मेद शिखर को टूरिस्ट सेंटर ना बनाया जाए। साथ ही आदिनाथ की चरण पादुकाओं को खंडित करने वालों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की जाए। शत्रुंजय पर्वत पालीताणा में है और सम्मेद शिखर के बाद जैन समाज का सबसे बड़ा तीर्थ स्थान है।

जैन समाज के पवित्र तीर्थ स्थल सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल बनाने के फैसले का विरोध हो रहा है। देशभर में जैन समाज के लोग इस फैसले का विरोध कर रहे हैं। झारखंड सरकार (Jharkhand Government) ने ‘श्री सम्मेद शिखरजी’ को पर्यटन स्थल घोषित किया था। श्री सम्मेद शिखरजी को जैन समाज का पवित्र तीर्थ स्थल माना जाता है।
प्रगति मैदान से इंडिया गेट तक मार्च
दिल्ली में जैन समाज के हजारों लोग प्रगति मैदान में इकट्ठे हुए और इंडिया गेट तक मार्च किया। जैन समाज के लोगों का कहना है कि वह झारखंड सरकार के फैसले के खिलाफ राष्ट्रपति भवन में ज्ञापन देंगे। जैन समाज के लोगों का मानना है कि फैसले से सम्मेद शिखर को नुकसान होगा और उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचेगी।

मुंबई में भी विरोध प्रदर्शन
वहीं गुजरात के पलिताना में जैन समाज के मंदिर में तोड़फोड़ करने के खिलाफ जैन समुदाय के सदस्यों ने मुंबई में विरोध प्रदर्शन किया।पालीताना में शत्रुंजय पहाड़ी पर लगे बोर्ड और लोहे के खंभे को क्षतिग्रस्त किया गया था। पूरी घटना खंबे में लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हुई थी। इसके बाद से दो समुदायों, सेठ आनंदजी कल्याणजी ट्रस्ट और नीलकंठ महादेव सेवा समिति के बीच तनावपूर्ण माहौल बना हुआ है। इस विरोध प्रदर्शन में महाराष्ट्र सरकार में मंत्री एमपी लोढ़ा भी शामिल हुए। उन्होंने कहा कि हम तोड़फोड़ करने वालों की गिरफ़्तारी की मांग करते हैं।

विरोध प्रदर्शन को लेकर महाराष्ट्र सरकार में मंत्री एमपी लोढ़ा ने कहा कि हम झारखंड सरकार के फैसले का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “हम पलिताना में मंदिर की तोड़फोड़ और झारखंड सरकार के फैसले का विरोध कर रहे हैं। गुजरात सरकार ने कार्रवाई की है लेकिन हम उनके (जिन्होंने मंदिर में तोड़फोड़ की) खिलाफ सख्त कार्रवाई चाहते हैं। आज 5 लाख से ज्यादा लोग सड़कों पर हैं।