22 नवंबर 2022/ मंगसिर कृष्ण चतुर्दशी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
आठवें तीर्थंकर श्री चंद्रप्रभु जी के, इस धरा से, मोक्ष जाने के 90 करोड़ सागर बीत जाने के बाद, आरण स्वर्ग में देव की माला मुरझाना शुरू करती है और फिर ठीक उसके 15 माह बाद काकंदी नगरी में महाराजा सुग्रीव की महारानी जय रामा देवी के गर्भ से, मंगसिर शुक्ल की एकम तिथि को, यानि जो इस वर्ष 24 नवंबर को है, ठीक उसी दिन 2 लाख वर्ष पूर्व की आयु वाले , दूध सी धवल काया वाले 9वे तीर्थंकर, श्री पुष्पदंत जी का जन्म होता है। आपका कुमार काल 50000 वर्ष पूर्व का रहा और हां कद आपका एक सौ धनुष ऊंचा, श्वेत वर्ण के तीर्थंकर थे आप ।
आपने 50000 वर्ष पूर्व 28 पुरवांग राज्य किया था और फिर एक दिन अपने राजमहल से उल्कापात को देखा और फिर लगा कि यह जीवन भी क्षणभंगुर है, ऐसे तो यह शरीर के साथ , हमारा जीवन भी खत्म हो जाएगा क्यों ना कुछ इस पर ऐसा किया जाए कि जन्म मरण के सिलसिले को ही खत्म कर दिया जाए। यही भावना भाते हुए चल दिए पुष्पक वन की ओर, सूर्यप्रभा पालकी में और साथ चल दिए 1000 अन्य राजा।
उन्होंने अपने पुत्र सुमति को राज पाठ सौंपा और फिर इसी दिन यानी मंगसीर शुक्ल एकम को ही नाग वृक्ष के नीचे, पंचमुष्टि केश्लोंच करके तप को धारण किया यानी हमारे नवे तीर्थंकर श्री पुष्पदंत जी का जन्म और तप कल्याणक एक ही दिन आता है। मंगसिर शुक्ल एकम को। आपने 4 वर्ष तक कठोर तप किया था और तब आपको केवल ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।
बोलिए चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी के साथ नवे तीर्थंकर श्री पुष्पदंत भगवान जी के जन्म और तप कल्याण की जय , जय , जय।