आचार्य श्री बाहुबली सागर , आचार्य श्री सिद्धांत सागर व आचार्य श्री विराग सागर जी के बाद, एक और बड़ा संघ आ रहा है दिल्ली की ओर

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18 नवंबर 2022/ मंगसिर कृष्ण नवमी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/

युगश्रेष्ठ तपस्वी सम्राट आचार्य शिरोमणी *श्री सन्मति सागर जी ऋषिराज के नायाब नंदन युवाऋषि चतुर्थ पट्टाचार्य श्री सुनील सागर जी गुरुराज ससंघ का सन 2015 से अर्थात विगत 8 वर्षो में राजस्थान गुजरात में विश्व व्यापी धर्म प्रभावना के उपरांत जयपुर वर्षायोग के समापन पर दिल्ली की जैन समाज को श्री संघ के आगमन की स्वीकृति का शुभाशीष प्रदान किया गया।

नमन करते हैं वागड़ की छोटी सी नगरी रिछा को जिनके पुण्य प्रयास द्वारा महाराष्ट्र से 1500 किमी का पद विहार करवाकर आचार्य श्री संघ का लाभ राजस्थान की माटी को मिला।

इन 8 वर्षो में पूज्य आचार्य श्री द्वारा 60 से अधिक जैनेश्वरी दीक्षाए,अनेकानेक भाव्यत्माओ को साधक जीवन का परम लक्ष्य उत्तम समाधि साधना पूर्ण करवाई।

इन वर्षो में पूज्य आचार्य श्री के मंगल सानिध्य में वाघोल,अंदेश्वर व शांतिनाथ प्रतापगढ़ तीर्थ सहित 15 से अधिक प्राचीन जिनालयो का जीर्णोद्धार तो लगभग 25 से अधिक पंच कल्याणक महोत्सव सम्पन्न हुए।

सन 2019 में पूज्य गुरुदेव की निश्रा में दशा हुमड जैन समाज की एकता,संगठन, दृढ़ संकल्प व अध्यक्ष श्री दिनेश जी खोड़निया की अगुवाई में डूंगरपुर बांसवाड़ा के मध्य स्थित दिगंबर जैन समाज के सबसे बड़े शिक्षण संस्थान हुमडपुरम छात्रावास का शिलान्यास माननीय मुख्यमंत्री श्री अशोक जी गहलोत व विधानसभा अध्यक्ष श्री सीपी जोशी जी की उपस्थिति में हुआ।

सन 2022 जयपुर वर्षायोग में भगवान महावीर स्वामी के 2550वे निर्वाण वर्ष के उपलक्ष्य में सम्पूर्ण देश में अहिंसा,शांति के साथ तीर्थंकरों के उपदेशों को जन जन तक शंखनाद करने के लिए पूज्य आचार्य श्री सुनील सागर जी,आचार्य लोकेश मुनि जी,आचार्य निश्चय सागर जी,आचार्य शशांक सागर जी व भट्ठारक स्वामी जी की पावन निश्रा व राज्यपाल श्री कलराज मिश्र जी की उपस्थिति में रथ यात्रा का प्रवर्तन किया गया जो देश भर में भ्रमण करते हुए अंत में देश की राजधानी दिल्ली में पहुंचेगा तब पुनः आचार्य श्री सुनील सागर जी गुरूराज सहित अनेकानेक साधु भगवंत व माननीय प्रधानमंत्री जी इस रथ का स्वागत अनुमोदन करेंगे। आचार्य श्री संघ का राजस्थान से दिल्ली को ओर विहार राजस्थान के गुरु भक्त श्रावको के ह्रदय में गुरु का प्रदेश से दूर जाने की भारी अंतरंग पीड़ा है।

लेकिन साधु तो बहता पानी निर्मला की तरह है जहाँ जाते है वहाँ सोना सा और जहाँ से विहार होता है वहाँ पर सूना।

अतः निश्चित रूप से श्वेतपिच्छाचार्य श्री विद्यानंदी जी महामुनिराज की साधना व समाधि भूमि दिल्ली का परम सौभाग्य है की राष्ट्र गौरव चतुर्थ पट्टाचार्य श्री सुनील सागर जी गुरूराज के विशाल संत संघ का मंगल आगमन वहा होगा।
जिस तरह से गणाचार्य श्री पुष्पदंत सागर जी,गणचार्य श्री विराग सागर जी व हमारे राष्ट्रीय क्रांतिकारी संत समाधिस्थ मुनि श्री तरुण सागर जी ने दिल्ली के प्रांगण से अहिंसमयी विश्व धर्म का डंका बजाया उसी तरह एक बार पुनः दिल्ली में अहिंसा, तप,त्याग व सदाचार का बिगुल बजेगा।

दिल्ली वालो के सौभाग्य की अन्नत अनुमोदना

श्री राष्ट्रीय जैन मित्र मंच भारत