आज 1 नवम्बर ही के के दिन , वह जैन वीर सैनिक गोली खाकर भी बढ़ता चला गया और 3 को मौत के घाट उतार कर अपना बलिदान दे दिया

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1 नवंबर 2022/ कार्तिक शुक्ल अष्टमी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी
हां आज भी 1 नवंबर है , उस दिन भी एक नवंबर की तारीख कैलेंडर पर लटक रही थी, उसको गोली लगी, पर जैन वीर सैनिक ने, तब भी आगे बढ़ता गया और एक एक करके तीन आतंकवादियों को मौत के घाट उतार दिया और उसके बाद उसने भारत माता की जय करके अपना बलिदान दे दिया ।
घटना आज से 21 साल पहले की, आज ही के दिन की है । आज हम सब मिलकर चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी के साथ ऐसे जैन रणबांकुरे को हार्दिक विनियांजलि देते हैं और जानते हैं वह घटना , जिसने हर को अंदर कूट-कूट कर राष्ट्र भावना भर कर रख दी।

अमर शहीद गौतम जैन : एक सच्ची बलिदानी गाथा

29 मई, 1979 को मुंबई के उपनगर थाणे में गौतम का जन्म हुआ। वह श्री सुमतप्रकाश एवं सुधा जैन की सबसे छोटी संतान थी जिसे प्यार से सभी छोटू कहते थे। अपने कार्य की वजह से सुमतजी इन्दौर (म० प्र०) में बस गये। गौतम ने सत्यसाई विद्या स्कूल में सुसंस्कारित शिक्षा पूरी की।
राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के १९९९ बेच से पासआऊट कर अपने सत्र में सबसे कम उम्र वाले सेना के ऑफिसर की हैसियत से इंडियन मिलिट्री अकादमी देहरादून से मई 2000 में कमीशन प्राप्त किया।

१७३ फील्ड रेजीमेंट (आर्टिलरी) यूनिट को कश्मीर के राजौरी जिले में काला कोट थाना क्षेत्र में लेफ्टिनेंट गौतम जैन के नेतृत्व में तैनात किया गया था। कमांडिंग ऑफिसर कर्नल एम० के० सिंह का हुक्म आया कि कुछ खूँखार आतंकवादी पाकिस्तानी सीमा से भारतीय क्षेत्र में शामिल हो रहे हैं, उनको ढूँढ़ निकालना और इस राष्ट्र विरोधी आतंकवादी गिरोह का सफाया करना है। अपने ऑफिसर के आदेश पर लेफ्टिनेंट गौतम जैन अपने जवानों के साथ दुर्गम जंगल, खाई पहाड़ों और बर्फीली हवा में दुश्मन को ढूँढ़ने निकल पड़े।

१ नवम्बर, २००१, सुबह ६ बजे अपने जांबाज जवानों के साथ अपनी यूनिट का नारा “जय नारायण बजरंग बली, भारत माता की जय ” के नारों से आकाश गुंजायमान करते हुए इनकी टुकड़ी का सामना आतंकवादियों से हुआ जो झाड़ियों में छिपे बैठे थे। नायक सूबेदार भगवान सिंह ने जब सूचना दी कि सामने कोई है तभी ३-४ गोलियाँ उनकी जाँघों में लग चुकी थी, लेफ्टिनेंट गौतम जैन ने तुरन्त मोर्चा सम्भालते हुए अपने अन्य सैनिक जवानों का मनोबल बढ़ाते हुए दुश्मन पर गोलियाँ दागना शुरू कर दी, मुठभेड़ के दौरान आतंकवादियों ने अत्याधुनिक हथियारों का प्रयोग किया एक छिपे हुए आतंकवादी की अंधाधुंध गोलियों से २२ वर्षीय सेनानायक लेफ्टिनेंट गौतम जैन के सीने में गोली लगने के बाद भी ऑपरेशन NIAJ में आगे जाकर तीन आतंकवादियों को मौत के घाट उतार दिया जब अंत समय आया तो इस रणबांकुरे ने अपनी यूनिट के नारे भारतमाता की जय का उद्घोष करते हुए बलिदान दे दिया।

भारतीय सेना के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में अपनी शौर्य गाथा रचने वाले इस वीर को भारत शासन द्वारा स्पेशल सर्विस मंडल ‘सुरक्षा” व “बेज ऑफ सेकीफाईस एवं सर्टिफिकेट ऑफ ऑनर “दिया गया। कमांडिंग ऑफिसर 173 फील्ड रेजीमेन्ट द्वारा अशोक चक्र हेतु प्रमोट किया गया