जिनका आज गर्भ कल्याणक, उन्हीं की कर्म स्थली कहे जाने वाले, गिरनार पर दूसरे संप्रदाय ने कब्जा

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30 अक्टूबर 2022/ कार्तिक शुक्ल षष्ठी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी
22 वे तीर्थंकर श्री नेमिनाथ जी का गर्भ कल्याणक पर्व :कार्तिक शुक्ल षष्ठी, वी.सं.2549, रविवार, 30 अक्टूबर, 2022
आज 30 अक्टूबर दिन रविवार तीर्थंकर नेमिनाथ जी का है गर्भ कल्याणक, शौरीपुर में हुआ था | आज के ही दिन रात्रि के पिछले प्रहर व उत्तराषाढ नक्षत्र में मातारानी शिवा देवी के गर्भ में अवतीर्ण हुए थे |
(उत्तर पुराण के आधार से)
श्री नेमिनाथ तीर्थंकर के पूर्व भव:

1.राजपुत्र चिन्तागति:पुष्करार्ध द्वीप के पश्चिम सुमेरु की पश्चिम दिशा में सीतोदा महानदी के उत्तर तट पर गंधिल महादेश के विजयार्ध पर्वत की उत्तर श्रेणी में सूर्यनगर के स्वामी सुर्यप्रभ व उनकी स्त्री धारिणी के पुत्र थे चिंतागति।
चिन्तागति ने मेरुपर्वत की तीन प्रदक्षिणा में जीत हासिल कर प्रितिमति को छोटे भाई से विवाह करने को कहा।पर प्रितिमति (बाद में एक भव में बनी राजुल)ने उस विवाह से इंकार कर आर्यिका दीक्षा ली।

2.चिंतागति ने दोनो भाइयों के साथ दीक्षा ले कर समाधिपूर्वक मरण प्राप्त कर चौथे स्वर्ग में वे देव हुए।

3.राजा अपराजित: चारणऋध्दिधारी दो मुनिराजों से आगे पांचवे भव में अपने तीर्थंकर की होने की बात सुन राजा अपराजित ने अपने पुत्र को राज्य दे कर प्रायोपगमन संन्यास विधिसे मरण कर सोलहवे स्वर्ग में अच्युतेंद्र पद पाया।

4.अच्युतेंद्र: 16 वे स्वर्ग में पुण्यात्मा ने दिव्य भोगों का अनुभव किया।

5.राजा सुप्रतिष्ठ:मुनिराज यशोधर को आहारदान देकर सुप्रतिष्ठ ने पंचाश्चर्य प्राप्त किये। आगे जैनेश्वरी दीक्षा ले कर
ग्यारह अंग और चौदह पूर्वो का उन्होंने अध्ययन किया। सर्वतोभद्र, सिंहनिष्क्रिडित जैसे अनेकों व्रतों का उन्होंने अनुष्ठान किया। सुप्रतिष्ठ मुनिराज ने सोलहकारण भावनाओं द्वारा तीर्थंकर नाम कर्म का बंध किया।

6.अहमिन्द्र: सुप्रतिष्ठ मुनिराज ने आयु के अंत में समाधिमरण से प्राण त्याग कर जयंत नामक अनुत्तर विमान में अहमिन्द्र पद पाया। वहाँ तैतीस सागर की उनकी आयु थी और एक हाथ ऊंचा शरीर था।

7.तीर्थंकर नेमिनाथ:

तीर्थंकर श्री नेमिनाथ भगवान का परिचय
पिता:हरिवंशी राजा समुद्रविजय, माता:रानी शिवादेवी, नारायण श्रीकृष्ण के चचेरे भाई श्री अरिष्टनेमि तीर्थंकर,

जन्मस्थान:द्वारावती नगरी, जयंत विमान के अहमिन्द्र अवतीर्ण, गर्भकल्याणक तिथि:कार्तिक शुक्ल 6, गर्भनक्षत्र:उत्तराषाढा,

जन्मकल्याणक तिथि:श्रावण शुक्ल 6,
जन्म नक्षत्र:चित्रा,चिन्ह: शंख, वर्ण:नील, शरीर की ऊंचाई: 10 धनुष,आयु:1000 वर्ष, कुमारकाल:300 वर्ष,

वैराग्यकारण:जातिस्मरण,दीक्षा तिथि:श्रावण शुक्ला 6, दीक्षा नक्षत्र:चित्रा, दीक्षावन:सहकार,दीक्षास्थान : गिरनार,

केवलज्ञान तिथि:आश्विन शु 1, केवलज्ञान नक्षत्र: चित्रा, केवलोत्पत्ति काल:पूर्वाह्न,

मोक्षकल्याणक तिथि:आषाढ़ शुक्ल सप्तमी, नक्षत्र:चित्रा,निर्वाणकाल:रात्रिके प्रारम्भ में,सहमुक्त:533 मुनि, मुक्तिस्थान:ऊर्जयंतगिरी

चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी की ओर से श्रीनेमिनाथ भगवानके चरणों में कोटी कोटी वंदन, सभी धर्मानुरागी जनों को बहोत बहोत बधाई व ढेरों हार्दिक शुभकामनाये

तीर्थंकरों के जीवन की ऐसी घटना जो अन्य जीवों के कल्याण का बनती हैं कल्याणक कहलाते हैं। वर्तमान में साक्षात में तो भगवान के कल्याणक देख पाना संभव नहीं अतः कल्याण पर्वों के शुभ अवसर पर भगवान की भक्ति, पूजन आदि द्वारा पुण्योपार्जन करना चाहिए।