निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव श्री सुधासागर जी महाराज ने प्रवचन मे कहा-
पारसनाथ और महादेव दोनों के ऊपर नाग है नाग नकारात्मक उर्जा का शोषण करता है इसीलिए लोग ज्यादा पूजा करते हैं
1.पारसनाथ भगवान की प्रतिमा में सबसे ज्यादा ऊर्जा मिलती है क्योंकि फन वाली प्रतिमा पारसनाथ भगवान की बनती है फण वाली भगवान बहुत मांगलिक होती है फण जो होता है पारसनाथ भगवान पर वह नकारात्मक ऊर्जा को खाता है इसीलिए वह पारसनाथ भगवान की प्रतिमा सर्प जो होता है नकारात्मक ऊर्जा का शोषण करता हैं।
2.जितना जितना उपसर्ग परीषय मुनिराज पर संकट आते हैं उतने ही मांगलिक होते हैं हम लोगों उन्ही महाराज के चित्र मंदिर और शास्त्रों में महिमा लिखी है जिन पर संकट आए।
3.रात भर का फेला अधंकार सूर्य निकलते ही विलीन हो जाता है अंजन चोर रात भर का महापापी,व्यसनी जैसे कि सूरज निकला महा निरंजन भगवान बन गये,जिन को रात भर पूरी सेना राजा ढूंढ रहे थे चोर को ढूंढते ढूंढते मुनि महाराज के चरणो में पहुंचे तो वहां मुनि महाराज ने जब बताया कि वह अंजन तो निरंजन बन गये।
4.उन समस्याओं के समाधान पर हम विचार कर रहे हैं कि जो समस्याएं नियत हैं,नियत है जो जिसमे परिवर्तन नहीं किया जा सकता,पूरे कार्य जो आपने लिए है वह आपकी जिंदगी में पूरे नहीं हो पाएंगे क्योंकि आप मे समर्थ ही नहीं।
5.संकट से घिरा है फिर भी धर्म कर रहा है,धर्म से नहीं डिग रहा है वह सबसे ज्यादा ऊर्जा देता है तुरंत सकारात्मक ऊर्जा मिलती है दुख का प्रतिकार नहीं कर रहा है,किसी पर आरोप भी नहीं लगा रहा है इस प्रकार के तीन व्यक्ति होते हैं१अतीत में किसी पर दुख के संकट आ चुके हैं वह शगुन होंगे क्योंकि वह आपकी वेदना जानते हैं।
6.यदि आपको शील का आरोप लगा हो आप सीता का अग्नि वाला चित्र देखना उसका दर्शन करो प्रतिदिन उसके सामने ध्यान करो दर्शन करो सीता को जय जिनेंद्र वंदना करो आपको तीन-चार दिन में आपको फायदा मिलेगा और 6 महीने में जिन्होंने आप पर आरोप लगाया वहीं पश्चाताप करेंगे और आपको माफी मांगते नजर आएगे।
शिक्षा-संकट से गिरा व्यक्ति यदि धर्म में लगा हुआ है मांगलिक है शुगन है ऊर्जा प्रदान करता है।उसका ध्यान,जाप करो।