क्या तीर्थ कल्याणक और सिद्ध क्षेत्र पर खतरे की घंटी लगातार बनी रहेगी? प्रतिष्ठा की इंतजार कर रही 1008 प्रतिमाएं बाढ़ के पानी में डूबी पड़ी थी

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12 अक्टूबर 2022/ कार्तिक कृष्णा तृतीया /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी

सवाल गंभीर है पर अतीत और वर्तमान यही कह रहा है, 15 बरस पहले श्रावस्ती में बाढ़ आ गई थी, 3 वर्ष पहले भी श्रावस्ती डूबा था। अब पिछले 3 दिन वही हालत रही, जब तीसरे तीर्थंकर श्री संभवनाथ जी के चार कल्याणक की धरा-गर्भ, जन्म , तप और ज्ञान कल्याणक जहां हुए , जहां पर 13 अक्टूबर को उन्हीं तीर्थंकर का ज्ञान कल्याणक मनाना था,


जहां पर शीघ्र पंचकल्याणक हो रहे थे। वहां पर 1008 प्रतिमाएं , जो प्रतिष्ठा की इंतजार कर रही थी, वे सब बाढ़ के पानी में डूबी पड़ी थी । यह त्रासदी पहली बार नहीं हुई । जब जब अधिक वर्षा होती है , तब तब इस क्षेत्र के पानी से नहीं, बल्कि यहां से 80 किलोमीटर दूर नेपाल बॉर्डर से आगे , बने बांध में, जब जल स्तर बढ़ जाता है, तब उस से मात्रा से अधिक पानी छोड़ा जाता है और उसकी भयंकर मार इस तीर्थ पर पड़ती है।

इसी श्रावस्ती में, जहां तीसरे तीर्थंकर के चार कल्याणक हुए, वहीं पर उनका समोशरण भी आया था तथा 24 वे तीर्थंकर श्री वर्धमान स्वामी जी का भी समोशरण आया था। यह तीर्थ, लगभग 120 किलोमीटर, शाश्वत तीर्थंकर जन्मस्थली कहे जाने वाले अयोध्या से दूरी पर है।

यहां पर वर्तमान में आचार्य श्री सुबल सागर जी महाराज ससंघ विराजमान है। वही आचार्य, जो बरसों से कभी लेटे नहीं , बैठे-बैठे ही एक-दो घंटे मात्र की निद्रा लेते हैं, पर लेटे कभी नहीं। जिनकी पूरे दिन की चर्या में स्वाध्याय, वाचन, ध्यान , सामायिक, में व्यतीत होता है। उनके संघ की चर्या में भी काफी व्यवधान पड़ा ।

यहां तक कि एक आर्यिका श्री को 2 फुट गहरे पानी में से, संदूक के अंदर बैठा कर, सुरक्षित जगह ले जाना पड़ा। मंदिर के अंदर 2 फुट तक पानी भर गया और यह सिलसिला अब हर दो-तीन वर्षों में जब होता है, तो चिंता की लकीरें हर जैन समाज के व्यक्ति पर पड़ ही जाती हैं ।

इस बारे में सांध्य महालक्ष्मी ने अध्यक्ष और वहां के मैनेजर ज्ञानचंद जैन जी से भी बात की। उन्होंने बताया कि इसका उन्हें कोई विकल्प नजर नहीं आ रहा , क्योंकि विकल्प के लिए केवल मात्र, इस तीर्थ को ऊपर उठाना होगा, जो कि वर्तमान में संभव नहीं लगता। क्यों कि अभी तो यह निर्माणाधीन भी है ।
इस बारे में एक रिपोर्ट चैनल महालक्ष्मी मंगलवार रात्रि 8:00 बजे के एपिसोड नंबर 1427 में दिखाई है, जिसका लिंक यह है

श्रावस्ती का यह इतिहास बहुत रोचक भी है। यहां पर मूलनायक तीर्थंकर श्री संभावनाथ जी की कमल मुद्रा में 105 सेंटीमीटर की श्वेत प्रतिमा विराजमान है । कहा जाता है कि सम्राट अशोक और उनके पोते राजा ने भी कई जैन मंदिर बनवाए थे। यहां पांचवी और सातवीं सदी में चीनी यात्रियों ने भ्रमण किया और अपने संस्मरण में यहां का उल्लेख भी किया।

इसका नाम तब यह जेत वन मठ बताया गया । उसके बाद इसका नाम मनिकापूरी भी हो गया। यही वह क्षेत्र है, जहां पर मोहम्मद गजनबी को आक्रमण में सबसे अपमानजनक हार का मुंह देखना पड़ा था। चौदहवी सदी में जब यहां पर वार्षिक उत्सव होता था , तो आरती के समय जंगल से एक बाघ निश्चित स्थान पर बैठ जाता था और आरती के बाद चला जाता था। ऐसा कई बरस चलता रहा ।

अलाउद्दीन खिलजी ने क्षेत्र को तहस नहस कर दिया । 18 वीं सदी में इसका पुनर्निर्माण हुआ ।

आज क्षेत्र नेपाल बांध के अधिक पानी छोड़े जाने से, बाढ़ की मार में घिर जाता है और मंदिर के अंदर कई फुट पानी जमा हो जाता है , जो इस मंदिर के लिए लंबे समय की अवधि में खतरा बन सकता है , और इसका विकल्प किसी के पास नहीं सूझ रहा।