07 अक्टूबर 2022/ अश्विन शुक्ल दवादिशि /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी
परमपूज्य परम तपस्वी अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महामुनिराज सम्मेदशिखर जी के स्वर्णभद्र कूट में विराजमान अपनी मौन साधना में रत होकर अपनी मौन वाणी से सभी भक्तों को प्रतिदिन एक संदेश में बताया कि
खुशी पैसे पर नहीं – समय और परिस्थितियों पर निर्भर करती है..!
एक बच्चा गुब्बारा बेचकर खुश होता है, तो एक बच्चा खरीद कर और एक बच्चा उसे फोड़कर खुश होता है। सच में – खुशी का कोई मापदंड नहीं है – बस! खुशी मिलनी चाहिए, फिर वो कहीं से भी मिले।वैसे इन्सान से इन्सान को जितनी खुशी नहीं मिलती, उतनी खुशी इन्सान को जानवरों से मिलती है। कभी इन्सान कुत्तों से खुश हो रहा है, तो कभी चीतों को देखकर खुश हो रहा है। लोग महंगा से महंगा कुत्ता खरीद लेते हैं अपनी खुशी के लिये।महंगी से महंगी गाड़ी में अपने कुत्ते को घुमाकर खुश हो रहे हैं। इसके पीछे सिर्फ एक ही वजह है, खुद की खुशी। क्योंकि *खुद के बच्चे आपकी आज्ञा नहीं मानते, लेकिन कुत्ता आपकी हर आज्ञा का पालन करता है।
आप बोलते हैं – सिट डाउन, वह बैठ जाता है। कुत्ता सुबह आपके साथ जॉगिंग पर भी चला जाता है, उसे डांटने फटकारने पर वह पलट कर जवाब नहीं देता, ना गुर्राता है। डाॅगी अपने मालिक को हर हाल में खुश रखता है। इतनी खुशियाँ तो — आज खुद के बच्चे भी नहीं देते, क्योंकि आपका कुत्ता आपके बच्चे की तरह आप से आई फोन नहीं मांगता, ना पाकेट खर्च, ना वाई फाई। शायद यही सब कुछ देखकर, हमारी सरकार ने देश वासीयों की खुशी के लिये विदेश से एक, दो नहीं — पूरे आठ चीते मंगाई और चीतों को देखकर पूरा देश खुशी से झूम उठा। हर एक न्यूज चैनल चीतामय हो गया।
_सौ बात की एक बात_ —
आज हम जानवरों से खुशियाँ ले रहे हैं। कहीं कल जानवर हम आप से रिटर्न गिफ्ट ना मांग ले…!!!
नरेंद्र अजमेरा पियुष कासलीवाल औरंगाबाद