हजार वर्ष प्राचीन मंदिर की पुकार, अभी समय है कर लो जीर्णोद्धार, नहीं तो मेरा इतिहास मिट जाएगा-#पांचोलास_दिगंबर_जैन_मंदिर

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21 सितम्बर 2022/ अश्विन कृष्ण एकादिशि /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
आज चैनल महालक्ष्मी जैन तीर्थ संरक्षण की कड़ी में, आपको पश्चिमी भारत के, राजस्थान के उस नगर में ले जा रहा है, जहां बहुत अविश्वसनीय बात है। जिनालय, जैन मंदिर , जहां से सिर्फ पॉजिटिव ऊर्जा निकलती है, वहां से क्यों, वहीं पर रहने वाले भक्त कहते हैं कि यह मंदिर पिछले 25 सालों से नेगेटिव ऊर्जा दे रहा है, जबकि वहां रोज वह बिन नागा अभिषेक पूजा करते आ रहे हैं। हां, तो आज हम बात करें हैं, राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में, वहां से कोटा रोड पर है यह पांचोलास दिगंबर जैन मंदिर , यानी सवाई माधोपुर के चमत्कार जी दिगंबर जैन मंदिर से ठीक 32 किलोमीटर की दूरी पर है आप वहां से कोटा रोड पर 28 किलोमीटर आगे बढ़ते हैं, फिर बाईं तरफ हाईवे से मुड़ते हैं। यह 4 किलोमीटर अंदर पड़ता है और शायद इसी कितनी दूरी में अंदर होने के कारण, कोई भी साधु संत पिछले 50 साल से यहां पर नहीं आये है ।

मंदिर की स्थिति बहुत जर्जर है । चैनल महालक्ष्मी को उस मंदिर के साथ रहने वाले एकमात्र जैन परिवार के बड़े भाई महावीर जैन ने बताया कि 100 साल पहले यहां पर 8-9 जैन परिवार थे, पर पिछले 50 सालों से, हमारा ही एक परिवार रह गया है । 25 साल पहले तक हमारे पिताजी यहां नियमित पूजा अभिषेक करते थे, लेकिन उनकी ब्रेन हेमरेज से मृत्यु हो गई और तब 25 साल से हम दोनों भाई यहां नियमित पूजा अभिषेक करते हैं , जबकि इनके बेटे जयपुर में पढ़ते हैं । महावीर जैन ने चैनल महालक्ष्मी को मंदिर की वर्तमान स्थिति की पूरी जानकारी दी कि जगह जगह से अब प्लास्टर झड़ रहा है। इस बरसात में तो हद हो गई, जब छत से पानी भी आने लगा। कुछ सहयोग मिला है, जिससे बाहर की बाउंड्री करवा दी गई है ।

उन्होंने बताया कि हम दोनों नियमित पूजा अभिषेक के कारण, कभी दोनों यहां से बाहर नहीं गए। पिछले 25 सालों में केवल 3 बार, ऐसा अवसर आया कि हम दोनों बाहर थे। लेकिन चाहे 200 किलोमीटर दूरी पर हों, हम अभिषेक के समय से पहले लौट आए । यहां पर कोई ज्यादा श्रावक नहीं आते। महावीर जैन जी ने बताया कि उन्होंने अपने जीवन में किसी साधु को यहां आते हुए नहीं देखा। जैन लोग भी कभी कबार आते हैं, कभी सप्ताह में, कभी महीने में, कभी 6 माह तक भी कोई नहीं आता। यह मंदिर 800 सालों से ज्यादा प्राचीन है । सभी प्रतिमाओं पर यहां प्रशस्ति है। मूलनायक प्रतिमा पारस प्रभु की है। कुल 13 प्रतिमाएं हैं यहां पर, जिसमें चौबीसी भी है।

अब जानते हैं कारण नेगेटिव ऊर्जा का।
इस मंदिर में एक बेसमेंट भी है, जिसे रहस्यमयी बेसमेंट कहा जाए , तो ज्यादा ठीक होगा , क्योंकि लगभग 60-70 सालों से बेसमेंट कभी नहीं खोला गया। क्या है उसमें ,आज भी रहस्य बना हुआ है । महावीर जैन जी स्वयं बताते हैं कि उनके जीवन में इसे कभी नहीं खोला गया । टेंपरेरी रूप से बंद कर रखा है। उसमें से लगातार चमगादड़ निकलते रहते हैं । बदबू व गंदगी की भरमार है । वह साफ कहते हैं चैनल महालक्ष्मी से कि बेसमेंट में जाने की हमारी हिम्मत ही नहीं होती।

यहां एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि यहां पर बड़ी संख्या में हस्तलिखित ग्रंथ और अनेक प्राचीन ग्रंथ यूं ही पड़े पड़े नष्ट हो रहे हैं । एक समय मुगलों ने हमारे शास्त्रों की 6 माह तक , लगातार होली जलाकर सब को नष्ट किया था । पर जैसे यहां कुछ बच गए हैं । ऐसे ही अनमोल ग्रंथ आज प्रकृति की मार से नष्ट हो रहे हैं और बहुत नष्ट भी हो चुके हैं।

अभी हाल में एक परिवार, यहां पर आया था। उन्होंने उनको कुछ साफ करके, लेबलिंग करें और जो पूरी तरह लगभग नष्ट हो रहे हैं । उनको बोरों में भर दिया, तब भी इनका रखरखाव अति आवश्यक हो गया है।

यहां पर 700 वर्ष प्राचीन अनोखे छोटे से चरण भी हैं , एक साधु के चरण भी है , जिस पर पिछी और कमंडलु भी उकेरा हुआ है । ऐसे चरण बहुत कम ही देखने को मिलते हैं। 3 इंच के लगभग की चतुर्मुखी तीर्थंकर प्रतिमा समोशरण के रूप में भी है। यहां पर ऐसी अनेक छोटी प्रतिमाएं हैं। यहां के जीर्णोद्धार के लिए ज्यादा बड़े खर्च की जरूरत नहीं है, पर जीर्णोद्धार अति आवश्यक हो गया है , अपने इस हजार वर्ष प्राचीन जैन मंदिर की सुरक्षा के लिए, जहां पर पिछले 100 वर्षों से ज्यादा ना कोई साधु आया है, और श्रावक भी कभी कबार ही आते है। जानकारी में सहयोग दिया अंकुश जैन, सवाई माधोपुर ने भी
– शरद जैन –