धार के घूमने फिरने खेलकूद मोबाइल के शौकीन अचल श्रीमाल 16 साल की उम्र में करोड़ों की संपत्ति छोड़ बनेंगे जैन मुनि, डेढ़ साल से कर रहे कठिन साधना

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9 सितम्बर 2022/ भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
उम्र मात्र 16 साल है। वे करोड़ों की संपत्ति के मालिक- – डेढ साल से वह एसी तो क्या ,पंखे की हवा में भी नहीं सोए – खेलने-कूदने की उम्र में वह बढ़े तप की ओर । धार के नागदा गांव के कारोबारी मुकेश श्रीमाल के बेटे अचल । अब चार दिसंबर को जैन संत जिनेंद्र मुनि से गांव में दीक्षा लेंगे। अचल से बड़ी बहन याचिका अभी नौवीं क्लाब में पढ़ रही है। अचल जब छुट्टियां में मुनियों के साथ विहार करने गया, तभी से उसने मुनि बनने का सपना देखा था। वह आष्टा, भोपाल जैसे कई शहरों में एक हजार किमी से ज्यादा की लंबी पैदर यात्रा भी कर चुके हैं।

हमेशा धर्म-सामाजिक कामों में आगे रहता है परिवार
अचल के पिता मुकेश श्रीमाल बड़े कारोबारी हैं। पूरा परिवार धार्मिक और सामाजिक कार्यों में आगे रहता है। इनके परिवार में पहले किसी ने दीक्षा नहीं ली है। अचल ने दो साल पहले नागदा में मन में संयम की राह पर चलने का विचार आया था। संयतमुनि जी महाराज के साथ विहार किया। इसके पहले जो क्रिया जैसे बिना पंखे रहना, पैदल चलना करना था वो कर चुके हैं।

फैसले से माता-पिता को गर्व
अचल के पिता मुकेश और मां रानी अपने बेटे के फैसले से काफी खुश हैं। उन्होंने कहा कि इस संसार में कुछ नहीं है। केवल दिखावा है। कितना भी पैसा, धन, संपत्ति हो जाए, शांति नहीं मिलती। इसीलिए हमने बेटे को नहीं रोका। हम सौभाग्यशाली माता-पिता हैं। वहीं मालवा महासंघ के कार्यवाहक अध्यक्ष संतोष मेहता ने बताया कि नागदा में सबसे कम उम्र की दीक्षा होने जा रही है। नागदा में अब तक 17 दीक्षा हो चुकी हैं। 1980 में नागदा की बेटी साध्वी मधु मसा की दीक्षा हुई थी। अब सबसे कम उम्र की पहली दीक्षा अचल की होगी।

बदनावर के नागदा में 4 दिसंबर को होगी दीक्षा, अब तक करीब 1000 से 1200 किलोमीटर तक कर चुके विहार

नागदा के हार्डवेयर के कारोबारी मुकेश श्रीमाल का 16 वर्षीय बेटा अचल करोड़ों की संपत्ति छोड़कर 4 दिसंबर से जैन मुनि बन जाएगा। घर का इकलौता चिराग जिसकी हर ख्वाहिश एक जिद पर एक पल में पूरी होती थी।
बाइक से लेकर घूमने फिरने खेलकूद मोबाइल के शौकीन अचल ने संयम और त्याग की राह पर चलने का प्रण लिया है और अब जैन मुनि बनने की राह पकड़ ली है।

अचल ने 9वीं कक्षा तक पढ़ाई की है। छुट्टियों में मुनियों के संग विहार करने लगा फिर पढ़ाई छोड़ दी। अब तक आष्टा, भोपाल, शाजापुर, शुजालपुर आदि नगरों सहित 1000 से 1200 किलोमीटर तक विहार कर चुका है।

चर्चा में अचल से पुछा की आपके परिवार में अभी तक किसी ने दीक्षा नहीं ली, आपके मन मे जैन मुनि बनने का ख्याल कैसे आया, तो अचल ने बताया की 2 वर्ष पहले 2020 मैं नागदा में वर्षावास हुआ था, तभी सेमन मे संयम की राह पर चलने का विचार कर लिया था। जब से मेन गुरूदेव के साथ विहार कर लिया। जिसमें जो क्रिया होती है। वह पूरी कर चुका हूं।

नाहाना धोना नहीं, जंगल मे शोच करने जाना, बिना पंखे में रहना, पैदल चलना आदि क्रिया मैं डेढ वर्ष से कर रहा हू। इसलिए मुझे दीक्षा लेने की स्वीकृति मिल गई है। अचल को जैन संत जिनेंद्रमुनि नागदा में दीक्षा देंगे।

अचल के पिता मुकेश व माता रानी श्रीमाल से जब चर्चा कर अपने इकलौते बेटे को संयम मार्ग के लिए रोका नहीं तो उन्होंने कहा की इस संसार मे कुछ नहीं है। केवल दिखावा है। कितना भी रूपया धन संपती जमीन जायदाद हो जाए फिर भी शांति नहीं मिलती। इसलिए हमने नहीं रोका।

अचल के पिता का कहना है कि हम सोभाग्यशाली माता पिता है। जिनका बेटा जैन मुनी बनेगा। नागदा मे अब तक 17 दीक्षा हो चुकी है। जो सन 1980 मे नागदा की बेटी साध्वी मधु मसा की दीक्षा हुई थी। अब सबसे कम उम्र की पहली दीक्षा अंचल की होगी।

धार जिले के नागदा गांव में हार्डवेयर और ऑटो पार्ट्स कारोबारी मुकेश श्रीमाल के 16 साल के बेटे अचल करोड़ों की प्रॉपर्टी छोड़कर जैन मुनि बनेंगे। खेलने-कूदने, घूमने-फिरने और मोबाइल के शौकीन अचल ने संयम और त्याग की राह पर चलने का प्रण लिया है। डेढ़ साल से वह AC तो क्या पंखे तक में नहीं सो रहे हैं। 4 दिसंबर को उनका दीक्षा समारोह होगा। जैन संत जिनेंद्रमुनि अचल को गांव में ही दीक्षा देंगे।

अचल परिवार के इकलौते बेटे हैं। उनसे बड़ी एक बहन याचिका श्रीमाल हैं। अचल ने 9th क्लास तक पढ़ाई की है। छुटि्टयों में मुनियों के साथ विहार करने लगे और यहीं से मुनि बनने का निर्णय लिया। अब तक वे आष्टा, भोपाल, शाजापुर, शुजालपुर समेत कई शहरों में 1200 किलोमीटर तक पैदल विहार कर चुके हैं।

बड़े कारोबारियों में पिता की गिनती

अचल के पिता मुकेश श्रीमाल की गिनती नागदा और आसपास के इलाके के बड़े कारोबारियों में होती है। घर में मम्मी-पापा के अलावा दादा-दादी और बड़ी बहन है। ये परिवार नागदा का प्रतिष्ठित परिवार है। धार्मिक और सामाजिक कार्यों में आगे रहता है।

अचल ने बताया- कैसे आया मुनि बनने का विचार
अचल के अनुसार- मेरे परिवार में मुझसे पहले किसी ने दीक्षा नहीं ली। 2 साल पहले साल 2020 में नागदा में वर्षावास हुआ था, तभी से मन में संयम की राह पर चलने का विचार कर लिया था। संयतमुनि जी महाराज के साथ विहार कर लिया और इसमें जो क्रिया होती है, वो पूरी कर चुका हूं- जैसे बिना पंखे रहना, पैदल चलना… इसका पालन डेढ़ साल से कर रहा हूं। इसीलिए मुझे दीक्षा लेने की अनुमति मिल गई।

नागदा में सबसे कम उम्र की पहली दीक्षा होगी
मालवा महासंघ के कार्यवाहक अध्यक्ष संतोष मेहता, राजेंद्र बोकड़िया, सुनील चौधरी, नितेश सुराना ने बताया कि नागदा में सबसे कम उम्र की दीक्षा होने जा रही है। नागदा में अब तक 17 दीक्षा हो चुकी हैं। 1980 में नागदा की बेटी साध्वी मधु मसा की दीक्षा हुई थी। अब सबसे कम उम्र की पहली दीक्षा अचल की होगी। मेहता ने बताया कि अचल के परिवार में किसी ने भी कभी दीक्षा नहीं ली थी। अब यह परिवार की पहली दीक्षा है। दीक्षा समरोह को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं।