7 सितम्बर 2022/ भाद्रपद शुक्ल दवादिशि /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
उदयगिरि पहाड़ी 35 मीटर ऊंची है। जिसमें 18 गुफाएं भव्य एवं दर्शनीय हैं तथा 2500 वर्ष पुराना एक शिला लेख हैं। खंडगिरि पहाड़ी लगभग 40 मीटर ऊंची है। यहां 4 जिनालय एवं 5 गुफाएं हैं। अनंत गुफा में डेढ हाथ की कायोत्सर्ग जिन प्रतिमा है। इन्द्रकेसरी गुफा में 8 प्रतिमाएं अंकित है। आदिनाथ गुफा में 24तीर्थंकर की प्रतिमाएं हैं। यहां भगवान महावीर का समवशरण आया था अतः यह अतिशय क्षेत्र भी माना जाता है। यहां से जदरथ राजा के 500 पुत्र मोक्ष गये थे, अतः यह सिद्धक्षेत्र भी है।
उदयगिरि की गुफाएं लगभग 135 फुट और खंडगिरि की गुफाएं 118 फुट ऊंची हैं। ये गुफाएं ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी की हैं। ये गुफाएं ओडीशा क्षेत्र में जैन धर्म के प्रभाव को दर्शाती हैं। ये पहाड़ियां गुफाओं से आच्छादित हैं, जहां जैन साधुओं के जीवन और काल से संबंधित वास्तुकला कृतियां हैं।
ऐसी मान्यता है कि कुछ गुफाओं का निर्माण जैन साधुओं ने किया था और ये प्रारंभिक काल में चट्टानों से काट कर बनाए गए जैन मंदिरों की वास्तुकला के नमूनों में से एक है।
इस में प्राप्त लेख ब्राह्मी लिपि में हैं और जैनियों के मूल मंत्र- णमोकार मंत्र से शुरू होते हैं।
इसके बाद राजा खारावेल के जीवन और कार्यों से संबंधित दृश्य हैं, जो सभी धार्मिक व्यवस्थाओं का सम्मान करते थे और धर्म स्थलों का जीर्णोद्धार करते थे। अलग-अलग गुफाओं पर उनके संरक्षकों के नाम हैं। अधिकतर संरक्षक राजा के वंशज हैं।