पर्युषण से पूर्व श्री महावीरजी में आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी ने दी मुनि और आर्यिका दीक्षाएँ

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31 अगस्त 2022/ भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/ महावीर जी
वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी वर्ष 2022 का वर्षायोग श्री महावीर जी अतिशय क्षेत्र में कर रहे है इस बेला में दिनांक 29 अगस्त 2022 को श्री नरेन्द्र जी अखावत उम्र 68 वर्ष का नूतन नाम मुनि श्री प्रबुद्ध सागर जी तथा श्रीमती शांता देवी उम्र 60 वर्ष का नूतन नाम 105 आर्यिका श्री प्रणत माताजी नामकरण किया गया। इसके पूर्व दीक्षार्थियों की शोभा यात्रा श्री वर्द्धमान सागर सभागार में पहुँची । यहाँ पर आचार्य श्री वर्द्धमान सागर चातुर्मास कमेटी तथा श्री महावीर जी महामस्तकाभिषेक समिति के संयुक्त तत्वाधान में दीक्षा समारोह कार्यक्रम सभागार में आयोजित किया

श्री राजकुमार जी सेठी जयपुर अध्यक्ष आचार्य श्री वर्द्धमान सागर वर्षायोग समिति ने बताया कि प्रथमाचार्य चारित्र चक्रवती आचार्य श्री शांति सागर जीकी पूजन की गई। पूजन अजय पंचोलिया सनावद ने सुंदर भजनों से कराया सौभाग्यशाली
परिवार की 5 महिलाओं द्वारा चोक पूरण की क्रिया की गई।दीक्षार्थी श्री नरेंद्र जी एवम श्रीमती शांतादेवी ने आचार्य श्री ने दीक्षा की याचना की तथा आचार्य श्री एवम समस्त साधुओ दीदी भैया श्रावक श्राविकाओं तथा समाज से क्षमा याचना की।

वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री को शास्त्र भेंट के पुण्यार्जक श्री अखावत रहे। आचार्य श्री का प्रवचन हुआ।इस बेला में आचार्य श्री के द्वारा दीक्षार्थी के पंच मुष्ठी केशलोच किये गए तथा दीक्षा संस्कार मस्तक तथा हाथों पर किये गए। इसके बाद आचार्य श्री ने नामकरण किया।श्रीमती शांता देवी का दीक्षा पश्चात नूतन नाम 105 श्री प्रणत मति माताजी किया गया । पुण्यार्जक परिवार सज्जन जी नितिन जी भुरावत उदयपुर द्वारा नूतन मुनिश्री जी को पिच्छीभेंट की गई।श्री सुशील जी पारस जी जयपुर द्वारा कमंडल भेंट किये गए। श्री अनिल जी कांतिलाल जी मेहता उदयपुर द्वारा शास्त्र भेंट किये गए।
इसी प्रकार श्रीमती शांता देवी का दीक्षा उपरांत नूतन नाम 105 प्रणतमति माताजी किया गया।

प्रातः 5 बजे श्री शांता देवी के केशलोचन हुए जब केशलोच हो रहे थे, तब सभी वैराग्यमयी पलों से सभी द्रवित हो रहे थे। परिजनों के दोनों नेत्रों में एक नेत्र में खुशी के आंसू दूसरे नेत्र में दुख के आंसू भी थे। दीदीयो के भजनों से वातावरण वैराग्यमयी हो रहा था।

संघस्थ माताजी के अलावा आर्यिका105 श्री सरस्वतीमति माताजी आर्यिका श्री सृष्टि भूषण माताजी ने भी दीक्षार्थियों के केशलोचन किये।परिजनों एवम अन्य भक्त जिन्हें केशलोच झेलने का अवसर मिला। वह अपने को पुण्यशाली मान रहे है। दोनो दीक्षार्थियों के मंगल स्नान के बाद दोनों ने भगवान का अभिषेक किया।
राजेश पंचोलिया इंदौर