हम श्वेतांबर स्थानकवासी तेरापंथी दिगंबर बीसपंथी तेरह पंथी मनोभाव को भुलाएँ और आप सी समन्वय से एक सुर एक स्वर मे गिरनार जी रक्षा में जुट जाएं

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30 अगस्त 2022/ भाद्रपद शुक्ल तृतीया /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
श्री गिरनार जी के पाँचवीं टोंक से नेमिनाथ जी भगवन का मोक्ष गमन हुआ है, पूरे पहाड़ी के अन्य स्थल में प्रभु ने साधना व विचरण किया अनेक जैन सन्तों , जैन साध्वी-माताओं , जैन आचार्यों-मुनियों ने तप ध्यान साधना किया.
1. सरकारी इरादे साफ़, तीर्थंकर नेमिनाथ जी को गिरनार से भुलाया जायेगा?
PM – गिरनार पर्वत पर मां अंबे भी विराजती हैं, गोरखनाथ शिखर भी है, गुरु दत्तात्रेय का शिखर है और जैन मंदिर भी है
गिरनार पर्वत के आध्यात्मिक एवं एतिहासिक महत्व की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने जैन मंदिर की चर्चा तो की लेकिन जिस तरह से उन्होंने मां अंबा, भगवान दत्तात्रेय और गौरखनाथ के गौरव और धार्मिक आस्था का बखान किया लेकिन जैन धर्म के 22 वें तीर्थकर भगवान नेमीनाथ का नाम तक नहीं लिया।

2. पण्डों का टोंक पर आना-जाना लगभग 25-30 साल सालों से ज्यादा हो गया । us se pahle तब पण्डों की वहाँ कोई हलचल नहीं थी।

3. दत्तात्रय से संबंधित उनके ग्रंथ में कहीं उल्लेख नहीं है कि दत्तात्रय कभी भी वहाँ गये थे। उनका आवागमन भी नहीं हुआ था। न्यायालय में प्रमाण माँगा जाना चाहिए कि दत्तात्रय वहाँ कब आयें

4. उनकी मूर्ति कैसे kab प्रतिष्ठापित, मूर्ति की प्रमाणिकता से सिद्ध हो जाएगा कि उसका निर्माण 20-22 वर्ष से पहले नहीं हुआ है।

5. पाँचवी टोक पर नेमिनाथ जी के पाषाण से निर्मित चरण और चरण के पीछे निचले भाग प्रभु की पाषाण में उत्कीर्ण प्राचीन हमारे आम्नाय की प्रतिमा जी है।

6. पाँचवीं टोंक पर निर्मित छत्रियां जो बिजली से क्षतिग्रस्त हुई है, उनका पुनरुद्धार संबंधित शासक से अनुमति लेकर बण्डीलाल कारखाने की ओर से किया गया है।

7. हम लोगों ने आधे-अधूरे मन से पाँचवीं टोंक पर hi ध्यान दिया है। उसका परिणाम यह हुआ है कि पण्डों ने पूरे पहाड़ पर पिछले 15-20 वर्षों से नये-नये निर्माण और अधिकार संबंधित कार्य कर लिए हैं।

8. चरण अब कपडे से नहीं, फूलों से ढकने कर दिए शुरू चरणों पर लगा दिया केसरिया रंग, पुरानी को हटाकर लगा दी गई नई स्टील रेलिंग दत्तात्रेय की मूर्ति पर अब लगा दिया मेहराब, पुराने मूल फर्श को हटाकर लगा दी नई काली ग्रेनाइट

9. अभी भी वास्तव में हम अपने धर्म तीर्थ को पाना चाहते हैं, अधिकार चाहते हैं, तो अन्य सामाज, धर्म की अपेक्षा अपने धर्म के समर्पित वकीलों का साथ लेकर न्यायालय और अन्य स्तर पर क़दम उठावें। और जैन संस्थानों में सिर्फ जैन व्यक्तियों को ही उच्च पदों जैसे व्यवस्थापक मैनेजर कोषाध्यक्ष आदि को नियोग करे चाहें वह महंगे हो , अच्छा पाना है तो सस्ता आदमी की अवधारणा को भुला दे अन्यथा तीर्थ उपाश्रय और मंदिर को भुला दे .

10. श्वेतांबर दिगम्बर दोनों समाज के साधु और भक्त हर दृष्टि से सक्षम और समर्थ हैं। पर तीर्थ रक्षा मे उदासीन है– अब यह उदासीनता समाप्त हो, कहने को तो हम कहते हें कि बहुत पुण्य से हमें जिन शासन मिला, फिर हम क्या कर रहे हैं आदि परमात्मा भगवान ऋषभ देव के प्रभु महावीर के शासन के रक्षा के लिए ???

11. परस्पर आरोप-प्रत्यारोप लगाकर हमने अपना बहुत नुक़सान कर लिया है। मन से कब एक हो पावेंगे ?

अभी भी तीर्थ रक्षा के लिये हम श्वेतांबर स्थानकवासी तेरापंथी दिगंबर बीसपंथी तेरह पंथी मनोभाव को भुलाएँ और आप सी समन्वय से एक सुर एक स्वर मे अपने तीर्थ रक्षा में जुट जाएं .समाज और धर्म के हित के लिए हमारे साधु और समाज मन से एक होना होगा

20/22 वर्षों से अवैध निर्माण हुआ है , अतः , जैन एकता के साथ साथ आर्थिक सहयोग चाहिए क्योंकि यह लड़ाई लंबी चलेगी और बढ़ा गिरनार [ गुजरात ] पर कब्ज़ा… धार्मिक भावना कितनी और कहा तक आहात करेंगे हमारी ? गुजरात सरकार और प्रशासन कृपया ध्यान दे !!