बहुत खास दिन होता है वह, जिस दिन इस बार दसलक्षण महापर्व शुरू होता है

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29 अगस्त 2022/ भाद्रपद शुक्ल द्वितीया/चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
जी हां, इस बार भाद्रपद शुक्ल पंचमी को शुरू होने वाले दस धर्म की शुरुआत 1 दिन पूर्व भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को हो रही है, क्योंकि बीच में एक दिन का शय है और यह भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी यानी 31 अगस्त इस वर्ष , बहुत खास होती है । यही दिन है जब सावन माह की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से सुवृष्टि प्रारंभ होती है और यह 49 वा दिन भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को होता है, जब पृथ्वी हरी भरी होकर वातावरण शांत हो जाता है। यह पंचम काल 21000 वर्ष का है। जिसमें से 2548 वर्ष बीत गए। इसके बाद छटा कॉल आएगा , वह भी 21000 वर्ष का, जिसके 49 दिन पूर्व भरत, एरावत क्षेत्रों के आर्य खंडों में प्रलय पर प्रारंभ हो जाती है। हां यह प्रलय मलेच या अन्य कहीं नहीं होती।

7-7 दिन विनाशक वायु चलती है, मेघ क्षार जल की वर्षा करते हैं । विष जल बरसाते हैं, धूम बरसाते हैं, धूल बरसाते हैं , वज्र बरसाते हैं और अग्नि बरसाते हैं । इस क्रम से पहले मात्र 72 जोड़ों को विज्यार्थ पर्वत की गुफा में देव और विद्याधर सुरक्षित ले जाकर रख देते हैं । यह जेष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की द्वादशी से शुरू होता है और आषाढ़ माह की पूर्णिमा को समाप्त होता है, जब तक यह प्रलय का स्वरूप चलता है और फिर इस प्रलय के बाद, जब इस अवसर पर ही काल का समापन होगा ।

इस तरह प्रकृति इंसानों द्वारा किए गए अतिक्रमण का पूरी तरह विनाश कर देती है। तब फिर छठा काल का उदय होगा और तब सृष्टि का प्रारंभ होगा यानी अब 7-7 दिनों के अंदर सुख की अनुभूति देने वाले जल की वर्षा , शीर जल की वर्षा , घृत की वर्षा, अमृत की वर्षा, दिव्य रस की वर्षा, शीतल गंध का प्रवाह और फिर विभिन्न औषधियों से परिपूर्ण हवा वर्षा के बाद , भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को एक नई शुरुआत होती है। 72 जोड़े विज्यार्थ पर्वत से बाहर आते हैं और फिर नया काल आगे बढ़ने लगता है । उससे अगले दिन भाद्र शुक्ल पंचमी को 10 दिन के दसलक्षण की शुरुआत हो जाती है।

तभी भाद्रपद का दसलक्षण सबसे ज्यादा लोकप्रिय है । वैसे यह दसलक्षण महापर्व साल में तीन बार आता है। इस बार आने वाले का तो एक कारण बनता है , अन्य दो का कोई कारण नहीं दिखता , कोई उल्लेख नहीं मिलता, ये पर्व अनादि निधन, पर किस को इंगित करते हैं। यही कहा जाता है कि कषाय अनांतन बंधी ना बन जाए, इसलिए कषायों को कम करने के लिए इन पर्वों की महत्ता बढ़ जाती है।