#दशलक्षण पर्व के पूर्व जिनबिम्बों के मार्जन की परंपरा – विशेष सावधानियां रखें जिससे भगवान की अविनय न हो

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29 अगस्त 2022/ भाद्रपद शुक्ल द्वितीया/चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
दशलक्षण पर्व के पूर्व जिनबिम्बों के मार्जन की परंपरा है समाज जनों से अखिल भारतवर्षीय दिगंबर जैन शास्त्रि परिषद् विनम्र अपील करती है कि जिनबिंबों के मार्जन में विशेष सावधानियां रखें जिससे भगवान की अविनय न हो सके जैसे-

1-मार्जन करने वाले सभी शुद्ध वस्त्र पहने।
2-मूलनायक को अपने स्थान से न हिलाए न उठाएं।
3- पाषाण की प्रतिमाओं को बहुत सावधानी से उठाएं रखें।
4- पीतल की प्रतिमाओं का मार्जन करने के समय पीतम्बरा आदि अशुद्ध वस्तुओं का उपयोग न करें।
5-मार्जन के पूर्व मूलनायक भगवान से निवेदन करें श्रीफल भेंट करें और एक शांति विधान करें।
6- जो प्रतिमा जहां विराजमान है वहां ही स्थापित करें।

7- बड़ी प्रतिमाओं के नीचे या कमल के नीचे जल न पहुंचे इसका विशेष ध्यान रखें।
8- प्रतिमाओं को गर्दन और हाथ पकड़ के न उठाएं नीचे हाथ लगा कर के ही उठाएं ।
9- छोटी प्रतिमाओं को उल्टा ना करें।
10- कठोर एवं नुकीली वस्तुओं से मार्जन न करें ।जिससे प्रतिमा पर निशान बन सकते हैं। निशान न बने इसका ध्यान रखें।
11-प्लास्टिक आदि के व्रश का उपयोग न करके खजूर आदि वनस्पति की कूची का उपयोग करें।
12-मार्जन के उपरांत जल को प्रासुक स्थान पर डालें ।

13-मार्जन के लिए धातु एवं पोषण की प्रतिमाएं एक साथ न रखें।
14- धातु के पंचमेरू और मानस्तम्भ की छोटी प्रतिमाओं का मार्जन सावधानी पूर्वक करें।
15-मार्जन के उपरांत मार्जन करने वाले प्रायश्चित के रूप में एक माला णमोकार मंत्र की अवश्य करें।

अखिल भारतवर्षीय दिगंबर जैन शास्त्रि परिषद्