11 किवंटल की स्फटिक शिला 18 माह तराशी गई तब बनी सिद्ध भगवान की प्रतिमा गिनीज रिकार्ड में दर्ज, दर्शन के लिए लगा रहता है तांता, विशेष सुरक्षा का है इंतजाम

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सागर। सभी जानते हैं कि गिनीज बुक में विश्व रिकॉर्ड दर्ज किए जाते हैं। जैन समाज का यह सौभाग्य है कि सिद्ध भगवान की जैन प्रतिमा को गिनीज रिकार्ड में दर्ज किया गया है । सागर में सिद्धायतन में विराजमान सिद्ध भगवान की प्रतिमा गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज कर ली गई है। गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड द्वारा जारी प्रमाण पत्र में दुनिया की सबसे बड़ी क्वार्टज क्रिस्टल (स्फटिक) की प्रतिमा की ऊंचाई 32.5 इंच एवं चौड़ाई 24 इंच है। स्फटिक मणि की ऐसी प्रतिमा संसार में कहीं नहीं है।
इस अवसर पर प्रो. अरुण कुमार शांडिल्य ने बताया कि सिंगल क्रिस्टल से बनी दुनिया की एकमात्र प्रतिमा है। जो पाषाण प्रतिमा बनने के बाद 130 किलो वजनी है। जिसके मूर्ति प्रदाता सागर के श्री प्रमोद बारदाना हैं।
पांच सदस्यीय समिति ने भेजी रिपोर्ट : ब्र. डी. राकेश भैया जी ने बताया कि आन्ध्र प्रदेश के गुंटूर जिले में स्थित नेल्लूर की खदान से 51 इंच लंबा, 2.5 मी. व्यास वाला लगभग 1100 किलोग्राम वजन का सफेद स्फटिक पाषाण प्राप्त हुआ था। जहां से लंबी दूरी तय कर लगभग 6 माह में यह पाषाण शिला जयपुर पहुंची थी। जयपुर की अधिकृत जेम टेस्टिंग लेब ‘भारत जेम्स टेस्टिंग लेब’ के द्वारा परीक्षण किया गया था। इसके साथ ही डॉ हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय के भू-गर्भ शास्त्रियों ने व्यावहारिक परीक्षण के बाद पाषाण से बिम्ब निर्माण का निर्णय लिया था।
प्रो. एलपी चौरिसया ने बताया कि गिनीज बुक रिकार्ड में दर्ज के पहले पाँच सदस्यीय समिति गठित की गई थी।
विशेषताएँ : स्फटिक मणि से निर्मित विश्व की सर्वाधिक बड़ी प्रतिमा है।
सिद्ध बिम्ब में होने वाली विशेषताओं का समावेश , जो कहीं देखने नहीं मिलता है।
सिद्धशिला पर स्थापित प्रथम बिम्ब है यह प्रतिमा।
इसकी प्रतिष्ठा का आयोजन अनेक विशेषताओं के साथ आदर्श रूप में किया गया।
एकबार जरूर पधारें और विश्व के अभूतपूर्व आश्चर्य के साक्षात दर्शन करें।
यह स्थान सागर में भाग्योदय से 1 किलोमीटर दूरी पर है। सागर खुरई रोड स्थित महावीर नगर स्थित सिद्धायतन में यह अभूतपूर्व, अनुपम सिद्ध भगवान की प्रतिमा विराजमान है, जो विश्व की सबसे बड़ी स्फटिक मणि की प्रतिमा बताई गई है।