29 जुलाई 2022/ श्रावण शुक्ल एकम/चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
बूढ़े माँ बापों क़ो जो रिब रिब तड़काते हैं,वे नरक के द्वार पहुँच जाते हैं..!
ये अमर उक्तियाँ हमारे योगभूमि भारत के तमाम सभी महान धार्मिक ग्रन्थों में विशेष रूप से लिखी हुई हैं.देश के सभी यशस्वी समाज शास्त्रियों व श्रेष्ठतम धर्मनायकों ने इसे इंसानों के लिए सर्वाधिक सर्व ज़रूरी पुण्य व प्रालब्ध बताया.मग़र धर्म नायकों व दार्शनिकों की इस महान उच्च शिक्षा व नैतिक आदर्श को कुचल इस विश्वआदर्श भारत देश में ही सबसे अधिक बूढ़े माँ बाप ही सर्वाधिक अन्याय से सताए जाते यातनाओं के शिकार है.
घरों में जहाँ एक ओर बेटे, बहुएँ,पोते, पोतियाँ सुबह से रात तक माल,मलिंदे व छप्पन भोगों के लज़ीज़ पकवान खाते चटकारें लेते अपूर्व वातानुकूलित अय्याशी में डूबे रहते हैं वहीं उन्ही घरों में ही बूढ़े माँ बाप टुकड़े टुकड़े के लिए तड़फते व गर्मी में पंखे की हवा तक के लिए तरसते हैं.सर्दी में खूद मख़मली रालियों की गर्मी में भरी नीन्द लेते पसरे रहते हैं और बुज़ुर्ग माँ बाप फटी चद्दर तक के लिए भी औलादों से भीख माँगते थर थर काँपते हाथों को फैलाते अपनी बदनसीबी पर रोते-बिलखते हैं,
ऐसी ही क्रूर व कुमाणसी औलादों के अत्याचार से पल पल सिसकते असहाय,बेबस, लाचार व निरीह बूढ़ी काया के माँ बापों को ऐसी ही सजा देने की ठान चूकी इसी दमन पर उतरी केंद्रीय सरकार व उसके रेलमंत्री बड़ी बेशर्मी,निर्लज्जता व बेदर्दी से कह रहे हैं कि हमारी सरकार रेल सफ़र में ज़ो बूढ़ी काया के साथ जी रहे हैं ऐसे बूढ़े माँ बापों को कई वर्षों पहले से मिल रही रेल भाड़े में राहत की रियायत हरगिज़ नही देंगे. सुपररीच लोगों को रिज़र्व बैंक के रिज़र्व फ़ंड से उठाकर एक लाख छियतर हज़ार करोड़ रुपयों की रियायत देने वाली,विराट धन कुबेरों के एक लाख इकतालीस हज़ार दौ सो अड़तालीस करोड़ का बैक लोन बट्टे खाते में ड़ाल उन्हें राहत देने वाली और कोरपोरेट घरानों को ख़ुश करने वास्ते उनको टैक्सों में अरबों की छूट दें राहत देने वाली केंद्रीय सरकार की ओर से मात्र कुछ सौ करोड़ की बूढ़ों की राहत को बोझ मानकर बूढ़ों को घोर अपमानित करने वाले ऐसे घटिया, ओछी व घृणित विचारों की अति बीमार मानसिकता वाले रेलमन्त्री कैसे असहनीय व्यवहार पर उतर आये हैं, उनके बोल निंदनीय ही नही शर्मसार करने वाले भी हैं.
केंद्र सरकार अपने चहेते नेताओं की Y से Z सुरक्षा पर प्रति वर्ष करोड़ों करोड़ पानी की तरह लूटा रही हैं, केंद्रीयमन्त्रियों,सांसदों व केंद्रीय बोर्डों के अध्यक्षों पर हर माह करोड़ों का ख़ज़ाना लूटा रही हैं,खुद को अपनी माँ का श्रवणकुमार प्रचारित करने वाले प्रधानमंत्री खुद अपने लिए अरबों के आधुनिक हवाई जहाज़, करोड़ों की कारें और करोड़ों करोड़ के अपने शाही महल बनवा सकते हैं मग़र देश के बारह करोड़ बूढ़े लोगों के लिए अतीव तुच्छ राहत नही दे सकते जो देश के मन्त्रियों के बिजली व पेट्रोल के ख़र्चों से कहीं कम हैं और सारे सांसदों व पी एम ओ के अधिकारियों के घरों में पल रहे विदेशी नस्ल के कुत्तों पर होने वाले खर्च से भी कम हैं.
दुनिया के सबसे अमीर व गरीब देश बूढ़े माँ बापों को हर ज़रुरी राहत और सामाजिक सुरक्षा पर अच्छा खासा खर्च करते हैं और हमारे देश की सरकार बूढ़े माँ बापों को पहले से मिली राहत का निवाला छिन रिब रिब सजा देकर अत्याचार करते अपने छद्म व झूठे अहंकार में डूबी अँधी,बहरी,गूँगी,निष्ठुर व निर्दयी बन बूढ़ों के प्रति अत्याचार को एक ओर बड़ी धुर्तता से प्रताड़ित करते बूढ़े माँ बापों पर जुल्म ढ़ा रही हैं और दूसरी ओर अपने को महान बताने का ढोल भी पीट रही हैं.
सोहन मेहता’क्रान्ति’जोधपुर,राज०