29 जुलाई 2022/ श्रावण शुक्ल एकम/चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
श्रद्धात्मक और कलात्मक दोनों दृष्टि से यह विश्व की सर्वश्रेष्ठ रचनाओं में से एक: जैन समाज के वैभव वास्तुकला व धर्म के प्रति समर्पण का जीता जागता उदाहरण
राजस्थान के अजमेर में शुद्ध सोने से बना वास्तु कला व कलात्मक दृष्टि से अद्भुत दिगंबर जैन समाज का प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव का एक अत्यंत दर्शनीय जैन मंदिर है जिसे सोनी जी की नसिया के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर की नींव सन 1864 में रखी गई थी
राजस्थान के मशहूर सेठ श्री मूलचंद सोनी जी ने पुण्य कार्य और व्यापार से अर्जित अपने द्रव्य से इस मंदिर का निर्माण कराया था और उन्हीं के नाम पर आज इस मंदिर जी को “सोनी जी की नसिया” के नाम से पूरे भारतवर्ष में जाना जाता है।
श्रद्धात्मक और कलात्मक दोनों दृष्टि से यह विश्व की सर्वश्रेष्ठ रचनाओं में से एक है।
मंदिर जी में जैन धर्म से संबंधित घटनाओं का बहुत सुंदर चित्रण किया गया है। यह जैन मंदिर जैन समाज के वैभव वास्तुकला व धर्म के प्रति समर्पण का जीता जागता उदाहरण है