17 तीर्थंकर श्री कुंथूनाथ जी भी छठे चक्रवर्ती , 13 वें कामदेव रहे- बोलिए 17वे तीर्थंकर श्री कुंथूनाथ जी के गर्भ कल्याणक की जय जय जय

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23 जुलाई 2022/ श्रावण कृष्ण दशमी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/

श्रावण कृष्ण की दशमी , हां यह वही दिन है , जब 17वे तीर्थंकर स्वर्ग में अपनी आयु पूर्ण कर हस्तिनापुर की पावन धरा पर, महाराजा शूरसेन की महारानी श्रीकांता के गर्भ में आए। वही हस्तीनापुर , जिसने 16, 17, 18वें तीर्थंकरों के गर्भ, जन्म , तप और ज्ञान कल्याणक की साक्षी रही।

वही धरा, जहां पर हमारे प्रथम तीर्थंकर श्री ऋषभ नाथ जी को नवधा भक्ति से आहार देकर राजकुमार श्रेयांश ने तीसरे काल में ही मुनि आहार चर्या को पुनः जन सामान्य को अपने जाति स्मरण से प्रदर्शित कर, उस अक्षय तृतीया को ऐसा पावन कर दिया कि वही आहार चर्या चौथे काल से पांचवें काल में, आज भी जैन संत , उसी पर, उसी तरह आहार के लिए नवधा भक्ति से किसी श्रावक के घर पहुंचते हैं। तीर्थंकर श्री शांतिनाथ जी की तरह, 17 तीर्थंकर श्री कुंथूनाथ जी भी छठे चक्रवर्ती , 13 वें कामदेव रहे ।

यही पावन धरा है, हस्तीनापुर की , जहां पर 3 तीर्थंकरों ने जन्म लिया , वे तीनों ही कामदेव और चक्रवर्ती भी रहे ।

ऐसे पावन दिन, बोलिए 17वे तीर्थंकर श्री कुंथूनाथ जी के गर्भ कल्याणक की जय जय जय।