ना जातिवाद, ना पंथवाद, ना संतवाद, बस जिनशासन जयवंत हो, छोटा सा जैन समुदाय, एक हो यह सोचकर ही मेरे पास आना आचार्य श्री विमर्श सागर जी

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15 जुलाई 2022/ श्रावण कृष्ण दोज़ /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
गाजियाबाद में आचार्य श्री विमर्श सागरजी की गुरु पूर्णिमा पर्व के साथ हुई चातुर्मास कलश स्थापना

गाजियाबाद। जैन धर्म में चारित्र शुद्धि का महापर्व है चातुर्मास। निर्ग्रन्थ वीतरागी मुनिराज अपने संयम की रक्षा के लिए गुरु पूर्णिमा पर्व से दीपावली पर्व तक एक निश्चित सीमा के अंदर अपनी साधना करते हुए अपने आत्मधर्म रत्नत्रय धर्म को विशुद्ध बनाने निरंतर उद्योग करते रहते हैं। इसका कारण यह है कि वर्षाकाल में बहुलता में त्रस जीवों की उत्पत्ति देखी जाती है, अत: उन जीवों की रक्षा के भाव से निर्ग्रन्थ मुनिराज एक स्थान पर ठहर कर अपनी साधना को निर्मल बनाते रहते हैं।

इन दिनों सम्पूर्ण भारत वर्ष में निर्ग्रन्थ तपोधनों के चातुर्मास की स्थापना के आयोजन अनवरत रूप से चल रहे हैं। ठउफ की गाजियाबाद धर्म नगरी में 13 जुलाई 2022 को परम पूज्य जिनागम पंथ प्रवर्तक भावलिंगी संत आचार्य श्री 108 विमर्शसागरजी के जिनागम पंथ प्रभावना चातुर्मास की मंगल कलश स्थापना हुई। आखिर प्रथम कलश को प्राप्त करने का सौभाग्य किसको प्राप्त हुआ, गुरुवर ने भक्तों का क्या विशेष आशीर्वाद दिया और कविनगर समाज के अध्यक्ष एवं चातुर्मास के प्रमुख संयोजक श्री जम्बू प्रसाद जैन ने गुरुवर से क्या निवेदन किया।

ये सब जानने के लिये पढ़िये सान्ध्य महालक्ष्मी के आगामी 21 जुलाई को प्राकशित होने वाले अंक में।