जिनके पांचों कल्याणक एक ही जगह पर , ऐसे पहले बाल ब्रह्मचारी तीर्थंकर का आज है गर्भ कल्याणक #vasupoojya_swami

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19 जून 2022/ आषाढ़ कृष्ण षष्ठी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
11 वे तीर्थंकर श्री श्रेयांस नाथ जी के 54 सागर 4 लाख वर्ष बाद, महा शुक्र स्वर्ग में आयु पूर्ण कर 12 वे तीर्थंकर श्री वासुपूज्य स्वामी जी का जीव, तब चंपापुर के महाराजा वसुपूज्य की महारानी जयावती , जिन्हें विजया भी कहा जाता है , के गर्भ में आए और वह दिन था आषाढ़ कृष्ण षष्ठी यानी आज , 19 जून है।

24 तीर्थंकरों में पहले बाल ब्रह्मचारी तीर्थंकर, जिन के बाद श्री मल्लीनाथ जी , श्री नेमिनाथ जी, श्री पार्श्वनाथ जी और श्री महावीर जी भी बाल ब्रह्मचारी तीर्थंकर हुए। 24 तीर्थंकरों में से केवल एक मात्र तीर्थंकर, श्री वासुपूज्य स्वामी हैं तो , जिनके पांचों कल्याणक एक ही जगह यानी चंपापुर में हुए।

जैसा सभी तीर्थंकरों के गर्भ में आने के समय होता है, यानी आप के गर्भ में आने से 6 माह पहले से ही सौधर्म इंद्र की आज्ञा से कुबेर ने राज महल पर साढ़े करोड़ रत्न सुबह दोपहर शाम , तीनों पहर बरसाता है, जो लगातार जन्म तक यानी 15 माह बरसते रहते हैं । कुछ शास्त्रों में चारों पहर का भी उल्लेख आया है।

चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी, आप सभी को हार्दिक मंगलकामनाएं देता है और बोलिए 12 वे तीर्थंकर श्री वासुपूज्य स्वामी जी के गर्भ कल्याणक की जय जय जय।