जंतर-मंतर पर तीसरी बार प्रदर्शन- अब गिरिडीह में धरना देंगे- श्री सम्मेद शिखरजी के संबंध में रखी 5 प्रमुख मांगें

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16 जून 2022/ आषाढ़ कृष्ण दोज़ /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
शिखरजी में प्रशासन से 5 प्रमुख मांगें
1. वंदना से पहले शिखरजी में रजिस्ट्रेशन हो
2. वंदना द्वार पर पुलिस द्वारा स्कैनर सहित सुरक्षा जांच हो
3. श्री सम्मेद शिखरजी को पवित्र जैन तीर्थ घोषित किया जाए
4. पारसनाथ वन्य जीव अभ्यारण सूचना रद्द की जाए
5. टोंक रूपी मंदिरों पर जैन पद्धति से दर्शन – पूजा हो

नई दिल्ली। पहले 26 मार्च, फिर 06 जून और अब उस कड़ी में 15 जून 2022 को एक बार फिर जैन समाज ने जंतर-मंतर पर अखिल भारतीय शाकाहार परिषद के अध्यक्ष पवन जैन के आह्वान पर प्रदर्शन किया। पहले में शुरूआत थी, दूसरे में हजार की भीड़ थी और तीसरी बार में दिगंबर मुनिराज श्री विजयेश सागरजी के साथ, अहमदाबाद से श्वेतांबर समाज के डॉ. गणि श्री राजेन्द्र विजय जी म.सा., हरियाणा से महामंडलेश्वर स्वामी काली दास बाबा जी मंच पर आए। महज 09 दिन बाद ही फिर प्रदर्शन क्यों? इस सवाल के साथ दिल्लीवालों ने ज्यादा रुचि नहीं दिखाई, अधिकतम 150 की पुलिस से अनुमति मिली, पर सान्ध्य महालक्ष्मी ने वहां हस्ताक्षर अभियान चलाया तो इस बार दो सौ के लगभग जैन और डेढ़ सौ के लगभग अजैन भी रहे।

विशेष बात यह रही कि 70 के लगभग ऐसे जैन बंधु महिलायें थीं, जो लगातार तीसरी बार जंतर-मंतर पर पहुंचीं।
मुद्दे इस बार तीन थे, जिसमें प्रमुख था श्री सम्मेद शिखरजी को पावन तीर्थ क्षेत्र घोषित करना, दूसरा था सभी तीर्थ स्थलों को पवित्र क्षेत्र घोषित करना और उसके 500 मीटर के दायरे में मांस-मदिरा की बिक्री पर रोक लगाना और तीसरा था कि गऊ माता को राष्ट्र धरोहर घोषित करना। इस बार विशेष बात थी कि यह सब अकेले किया, अखिल भारतीय शाकाहार परिषद डोंगरगांव, छत्तीसगढ़ के पवन जैन (संयोजक) ने।

अपने समाज में एकता के अभाव की झलक दिल्ली में स्पष्ट दिखी। अकेले पवन जैन बाहर से आये, तो उन्हें किसी ने सहयोग नहीं दिया। केवल जैन धर्म संरक्षण महासंघ ने हाथ बढ़ाया। अधिकांश ने यही कहा कि इतनी जल्दी करने की क्या जरूरत है, यानि अपने शाश्वत तीर्थ के संवेदनशील मुद्दे पर भी अगर कोई दिल्ली में बाहर से आकर प्रदर्शन करना चाहता है, तो उसे कोई सहयोग देने को तैयार नहीं। निश्चय ही यह हमारी एकता व अखंडता की कमजोरी को दर्शाता है। पता नहीं, क्यों आज समाज में ऐसा है कि कोई आवाज लगाना चाहता है, तो अनेक उसके मुंह बंद करने की सलाह देते हैं, कोई दो कदम आगे आकर आवाज लगाना चाहता है, तो अनेक उसे खींचने को तैयार रहते हैं। अफसोस है कि इसमें संत और प्रतिष्ठित लोग भी शामिल हैं।

ध्यान रहे, जब तक बार-बार, लगातार चोट नहीं की जाएगी, सफलता नहीं मिलेगी। नेतृत्व अगर नहीं कर सकते, तो दूसरे के पीछे तो खड़े हो ही सकते हैं। निश्चित ही पहले दो प्रदर्शन की तरह यह सफलता की गारंटी नहीं, पर उस मंजिल तक पहुंचने का रास्ता तो बनता है।

प्रदर्शन के बाद संयोजक पवन जैन ने दिल्ली के अनुभव को अच्छा नहीं बताया, और कहा कि दिल्ली वाले कभी हमारे क्षेत्र में आयें, तो देखिये हम कैसे सहयोग करते हैं, हमारी अहिंसा यात्राओं में दस से बीस हजार लोग जुड़ते हैं। खैर कोई बात नहीं। अब जुलाई में वो अगला कदम उठायेंगे और उसमें 20-25 दिन झारखंड में गिरडीह कलेक्टर कार्यालय पर लगातार धरना दिया जाएगा।

राकेश जैन गाजियाबाद : मंच संचालन करते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी आपने जो आज तक किया, वह कोई नहीं कर पाया। इन्हीं कार्यों में दो काम और जोड़ दें – श्री सम्मेद शिखरजी को पवित्र क्षेत्र घोषित करना और गऊ माता को राष्ट्रीय धरोहर।

पवन जैन संयोजक (अ.भा. शाकाहार परिषद रायपुर) : श्री सम्मेद शिखरजी पवित्र स्थल बना रहे, अपने प्राणों की बाजी लगाकर भी धर्म की रक्षा करनी होगी। ये मंच आज महाराजों की उपस्थिति से इतना बड़ा हो गया, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। आज तीर्थस्थलों में मौज मस्ती से पवित्रता खंडित हो रही है। उन्होंने दूसरे मुद्दे पर कहा कि गऊ माता, भारत माता है उसकी रक्षा करनी होगी।

सुनील जैन, अध्यक्ष जैन धर्म संरक्षण महासंघ : हमारा सबसे बड़ा तीर्थ है श्री सम्मेद शिखर, जिसे कुछ लोग व सरकार हमसे छीनना चाहती है। 24 में से 20 तीर्थंकर व करोड़ों मुनि जहां से मोक्ष गये, उसे सरकार पर्यटन स्थल बनाना चाहती है। ध्यान दें कि जब कोई भी किसी धार्मिक स्थल को छेड़ती है तो वह सरकार रहती नहीं है। हमारे एक भी संत ने थोड़ी सी भी आंख टेड़ी की तो कुछ भी नहीं बचेगा। हम से हमारा तीर्थ गिरनार छीन लिया, अन्य समाज का कब्जा है। साधुओं पर चाकू से हमला होता है, सरकार सोचती है जैन समाज कुछ बोलती नहीं। जैन समाज सरकार को एक चौथाई रेवन्यु देती है। तीर्थ की पवित्रता किसी हाल में खंडित नहीं होने दी जाएगी।

निशा नंदनी भारती : मां शब्द हमें गऊ माता से मिला है, उसे सम्मान मिलेगा तो भारत और आगे बढ़ेगा।

मोनिका जैन, द्वारका जैन महिला मंडल: हम अहिंसावादी लोग हैं, अल्पसंख्यक हैं, पर जब भी टैक्स या कार्य की बात आती है, तो जैन समाज हमेशा आगे रहता है, पर हमारे धार्मिक स्थलों से क्यों छेड़छाड़ की जाती है। संगीता जैन, द्वारका : जब हम वंदना करने जाते हैं तो पानी तक नहीं पीते, जूते-चप्पल तो दूर की बात है।

दीपा जैन, अध्यक्षा द्वारका महिला मंडल : सम्मेद शिखरजी के कण-कण में भगवान हैं, उसकी पवित्रता भंग नहीं होने देंगे। गऊ माता को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करे, उसका दूध अमृत के समान है।

दीपक जैन, बंथला जैन रक्षा दल: हमारे मंदिर कब्जायें जा रहे हैं। अपने धर्म, साधुओं, मंदिरों की रक्षा करना हिंसा नहीं है। सरकार जो हमारा है, वह हमें लौटा दे। पदमचंद जैन अनमोल चक्की ने भी अपना वक्तव्य दिया।

त्रिलोक जैन : आज धार्मिक स्थलों की पवित्रता की मुद्दे पर जैन और जैनत्तर समाज एक मंच पर है, इसे देखकर खुशी है।

बिजेन्द्र जैन, अ.भा. युवा परिषद : 22 अगस्त 1984 को बिहार सरकार द्वारा एक सूचना जारी की, जहां पारसनाथ क्षेत्र को वन अभयारण जीव क्षेत्र घोषित किया, जबकि जैनों का यह पवित्र तीर्थस्थल है, जहां से 20 तीर्थंकर मोक्ष गये। अब सरकार इसे पर्यटक स्थल बनाना चाहती है। अगर शरीर का कोई अंग निकाल लिया जाये तो क्या आपको स्वीकार होगा, नहीं होगा। हमने गिरनार को खो दिया। अल्पसंख्यक विभाग के माध्यम से हमने मोदी जी व अमित शाह तक अपनी बात पहुंचाई है।
हीरा दीदी, कबूल नगर महिला मोर्चा : श्री सम्मेद शिखरजी के लिये जो भी हमने बन सकता है, वो हम करेंगे।

राजेश डोगरा : मंदिर और गऊमाता दोनों ही विषय महत्वपूर्ण हैं। भारत में धर्म और गऊ का विनाश होता जा रहा है, जो नीतियां हैं, हमारी वो नियत नहीं है। हमें नीतियों और नीयत दोनों को साथ लेकर चलना होगा।

शरद जैन चैनल महालक्ष्मी : भारत सरकार से हमारा निवेदन है कि सभी धार्मिक स्थलों को 500 मीटर तक पवित्र क्षेत्र घोषित किया जाना चाहिए। उन्होंने सरकार से श्री सम्मेद शिखरजी के संबंध में पांच मांगों पर विस्तृत चर्चा की। हम अहिंसावादी जरूर हैं, पर जब पाप का घड़Þा भर जाता है तो पता भी नहीं चलता किसकी कुर्सी गई, किसकी बची।

डॉ. मणि श्री राजेन्द्र विजय जी म.सा.: आज तीर्थ की भूमि मदिरा की भूमि बनने जा रही है। शाकाहार भूमि मांसाहार क्षेत्र बनाने की चाल चली जा रही है। वैराग्य की भूमि, भोग भूमि बनाने की सरकार की तैयारी है। अहिंसा की संस्कृति मंदिरों से, मुनिराजों से पनपती है। उसी को नष्ट कर दोगे तो अहिंसा कहां बचेगी। हम दिगंबर नहीं, श्वेतांबर नहीं, जैन हैं और अहिंसा परमो धर्म की बात करते हैं। आज पूरा विश्व युद्ध की चिंगारी में जल रहा है। आज युद्ध की नहीं, महावीर की जरूरत है।

मुनि श्री विजेयश सागरजी : मोदी जी जब विदेश गये और खेल मैदान में पहुंचे तो उन्होंने वहां लिखा अहिंसा परमो धर्म:। तीर्थंकर केवल जैनों के नहीं सर्व समाज के हैं। भारत अहिंसा का पुजारी है। हिन्दुओं को हिन्दू इसीलिए कहा जाता है, क्योंकि वो भी अहिंसा के पुजारी हैं। श्री सम्मेद शिखरजी की पवित्रता को नष्ट किया जा रहा है, शासन को ध्यान देना चाहिए। संथारा मामले पर जब सारी जैन समाज एक हो गई और सरकार को अपना फैसला वापस लेना पड़ा, तो उसी तरह सर्व जैन समाज को शिखरजी मामले पर एकसाथ आना होगा।

महामंडलेश्वर स्वामी काली दास बाबा: जब तक गाय दूध देती है, तब तक घर में रखते हैं और बाद में उसे निकाल दिया जाता है। गऊ धन, सोना धन, भू धन माना जाता है। मैं, मोदी जी से निवेदन करता हूं कि आप जिन मुद्दों को लेकर सरकार में आये, आपने 8 साल निकाल दिये, कुछ समय बचा है। भारत सरकार इस कदम को उठाये तो भारत विश्व गुरु बन जाएगा। गऊ माता राष्ट्रीय धरोहर घोषित हो।