3 जून 2022/ जयेष्ठ शुक्ल चतुर्थी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
आपने कभी ये देखा है कि कई लोग मूर्ति के सामने लेट कर माथा टेकते है। जी हां इसी को साष्टांग दंडवत प्रणाम कहा जाता है।
शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि इस प्रणामें व्यक्ति का हर एक अंग जमीन को स्पर्श करता है। जो कि माना जाता है कि व्यक्ति अपना अहंकार छोड़ चुका है। इस आसन के जरिए आप ईश्वर को यह बताते हैं कि आप उसे मदद के लिए पुकार रहे हैं। यह आसन आपको ईश्वर की शरण में ले जाता है। लेकिन आपने यह कभी ध्यान दिया है कि महिलाएं इस प्रणाम को क्यों नहीं करती है। इस बारें में शास्त्र में बताया गया है। जानिए क्या?
शास्त्रों के अनुसार स्त्री का गर्भ और उसके वक्ष कभी जमीन से स्पर्श नहीं होने चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि उसका गर्भ एक जीवन को सहेजकर रखता है और वक्ष उस जीवन को पोषण देते हैं। इसलिए यह प्रणाम को स्त्रियां नहीं कर सकती है। जो करती भी है उन्हें यह प्रणाम नहीं करना चाहिए।