जैन परदेशिया भिखमंगा , जैन साधु को पहले चड्ढी पहनाओ – क्रांति सेना के प्रदेश अध्यक्ष अमित बघेल पर हुई FIR , पर नहीं अब तक गिरफ्तार

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28 मई 2022/ जयेष्ठ कृष्णा चतुर्दशी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि एफआईआर दर्ज हो चुकी है, कार्यवाही होगी। किसी भी समाज और उनके संतों के खिलाफ बाेलने का किसी को कोई अधिकार नहीं है। साधुओं का सम्मान हमारा धर्म है।

प्रदेशभर में अमित बघेल के खिलाफ मचे बवाल के बाद आखिरकार बालोद पुलिस को केस दर्ज करना ही पड़ा। अमित बघेल के खिलाफ IPC की धारा 295 ए के तहत केस दर्ज है। भारतीय दंड संहिता की धारा 295 के अनुसार, जो कोई किसी उपासना के स्थान को या किसी वर्ग के धर्म का अपमान करेगा उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाती है। जैन समाज ने इसे सिर्फ खानापूर्ति करने वाली कार्रवाई बताई है। चूंकि अमित बघेल ने बली देने की बात की तो पशू क्रूरता, लोगों में हिंसा भड़काने की कोशिश की तो व्यमनस्यता फैलाने के मामलों से जुड़ी धाराओं को भी केस में जोड़ना चाहिए।

राज्यपालअनुसुइया उइके ने बताया कि उन्होंने पहले ही DGP से फोन पर बात की और कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। उन्होंने प्रदेश के चीफ सेक्रेटरी से बात की है और जल्द ही इस मसले पर मुख्यमंत्री से भी चर्चा करेंगी। उन्होंने कहा जैन समाज अहिंसक समाज है आप बेफिक्र रहें कार्रवाई होकर ही रहेगी।

छत्तीसगढ़ में जैन धर्म के इतिहास को समझिये
विगत दिनों बालोद में खुले मंच के माध्यम से तथाकथित क्रांति सेना के नाम पर अपनी राजनीति चमकाने वाले अमित बघेल द्वारा विश्व मे शांति के प्रतीक और अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाले जैन समाज के मुनियो को लेकर की गई अभद्र टिप्पणी और अमर्यादित भाषा का प्रयोग कर पशु बलि के साथ मानव बली चढ़ाने की बात करने वाला हिंसक प्राणी जो समाज के साथ पूरे प्रदेश के लिए एक कलंक है ऐसा व्यक्ति सर्वधर्म और छत्तीसगढ़ के भाई चारे और प्रेम के बीच मे अंग्रेजो की तरह फूट डालने वाला व्यक्ति छत्तीसगढ़ के हर वर्ग के लिए खतरा है। जो अज्ञानी व्यक्ति जैनियो को परदेशिया कह रहा है उसे जैन धर्म का छत्तीसगढ़ में इतिहास नही पता है आप सब को बता दू छत्तीसगढ़ पूर्व में प्रचलित नाम कौशल राज्य ( छत्तीसगढ़ ) जहां जैन इतिहास ढाई हजार साल से भी ज्यादा पुराना है । कुछ समय पूर्व ही राजिम में पुरातत्व खुदाई में प्राप्त भगवान पार्श्र्वनाथ की 1600 साल पुरानी प्रतिमा ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि सदियों से छत्तीसगढ़ में जैन धर्मावलंबी निवासरत है ।

पूर्व मुख्यमंत्री डॉ . रमन सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी दोनों अपने भाषणों में दोहरा चुके है कि छत्तीसगढ़ में जैन परंपरा ढाई हजार साल पुरानी है । दरअसल आदिवासी बहुल छत्तीसगढ़ के जंगल ऋषि – मुनियों की तपस्या के लिए उपयुक्त क्षेत्र रहे है । छत्तीसगढ़ में इसलिए ऋगी – ऋषि से लेकर वाल्मिकी आश्रम के प्रमाण मिलते है । छत्तीसगढ़ में शैव , वैष्णव , बौद्ध और जैन धर्म के अनेक प्रमाण साक्षी है । राजिम ही नहीं सिरपुर , मल्हार , डोंगरगढ़ , गुंजी , खरौद , पाली , महेशपुर , रतनपुर , शिवरीनारायण , दुर्ग , नगपुरा , भोरमदेव , सहित कई स्थान है जहां से भगवान आदिनाथ से लेकर प्रभु , पार्श्र्वनाथ , प्रभु महावीर स्वामी , प्रभु अजितनाथ , प्रभु नेमीनाथ , प्रभु श्रेयांशनाथ , श्री चंद्रप्रभु प्रमुख है । सिरपुर में मिली प्रथम तीर्थकर प्रभु ऋषभदेव की कलात्मक कांस्य प्रतिमा महेशपुर की तीन फीट ऊंची दुर्लभ प्रतिमा , मल्हार के बूढीखार और डीपाडीह सहित रामगढ़ की पहाड़ी पर स्थित प्राचीन नाट्य शाला में भी जैन धर्म का उल्लेख है ।

सबसे आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि इन प्रतिमाओं के प्रति स्थानीय लोगों की श्रद्धा । बकेला – देवसरा से प्राप्त प्रतिमा बारहवीं शताब्दी की है जो पंडरिया के जैन मंदिर में स्थापित है । कहा जाता है कि आदिवासी बैगा जन जाति में आज भी दीक्षा की रस्म इस प्रतिमा के सम्मुख होती है । मल्हार के बूढ़ीखार में प्रतिस्थापति प्रतिमा को गांव वाले परगनिहा देवता के रूप में पूजते है । मल्हार में ही केंवट जनजाति के बीच निर्मित जैन मंदिर में पूजा अर्चना स्थानीय लोग ही करते है । इसी तरह नगपुरा के प्राचीन मंदिर में गांव वालों की श्रद्धा अनुपम है पार्श्वनाथ भगवान को यहाँ के स्थानिय लोग नाग देवता के रूप में पूजते है जिसके कारण ही यहाँ का नाम नगपुरा पडा है । दुर्ग में भंगड़देव की पूजा श्री हनुमान की तरह की जाती है । सरगुजा के डीपाडीह की प्रतिमाएं दूसरी और तीसरी शताब्दी की है । सक्ती के पास गुंजी में ऋषभ तीर्थ का उल्लेख जैन संप्रदाय की पुण्य स्थली का परिचायक है । आरंग के भांड देवल मंदिर में ग्यारहवीं शताब्दी की प्रभु अजितनाथ , नेमीनाथ और श्रेयांशनाथ की संयुक्त प्रतिमा स्पष्ट कर देती है कि छत्तीसगढ़ में जैन परंपरा सदियों पुरानी है ।


और यह अज्ञानी व्यक्ति जिसे खुद अपने पुरखों का ज्ञान नही है, साथ ही जिसका समाज और देश के विकास में कोई योगदान नही, जिसने आज तक छत्तीसगढ़ के चार लोगों को रोजगार भी नही दिया होगा वैसे जैन धर्म और मुनियो के बारे में अनर्गल बाते कर रहा है जिन्होंने देश और दुनिया को अहिंसा का पाठ पढ़ाया जिसके पथ पर चल कर महात्मा गांधी जी ने देश की आजादी की लड़ाई लड़ी उस जैन धर्म के लोगो के द्वारा देश और प्रदेश के विकास में अकेले ही 30% टैक्स देकर विकास में भागीदार है। देश मे करोड़ो लोगो को रोजगार देने वाला समाज भी जैन ही है। पशु क्रूरता को रोकने वाला और देश मे सबसे ज्यादा गौशाला चलाने वाला समाज भी जैन है।

छत्तीसगढ़ के आर्थिक विकास में, रोजगार में जैन समाज की भागीदारी किसी परिचय का मोहताज नही है। और उस व्यक्ति द्वारा भिखमंगा शब्द का प्रयोग कर जैन समाज के लोगो का अपमान किया गया है

ऐसे अभद्र व्यक्ति की टिप्पणी और धर्म के प्रति नफरत को कदापि बर्दाश्त नही किया जाएगा जैन धर्म के अनुयायी अहिंसा प्रेमी है पर कायर नही इस तरह की ओछी राजनीति करने के लिए छत्तीसगढ़ के सर्व समाज और भाई चारे में जहर घोलने वाले व्यक्ति को बर्दाश्त नही किया जाएगा।

उक्त व्यक्ति की जल्द से जल्द गिरफ्तारी हो और उस व्यक्ति पर कड़ी से कड़ी कानूनी कार्यवाही होनी चाहिए।

सुशील कुमार जैन,अध्यक्ष ,जैन समाज नैला