24 मई 2022/ जयेष्ठ कृष्णा नवमी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
बौद्ध भिक्षुओं ने किया कार्यक्रम, जैन समाज ने कहा-आदिनाथ भगवान की प्रतिमा
10वीं शताब्दी की आठ फीट ऊंची प्रतिमा पर विवाद की स्थिति बनती नजर आ रही है। करीब दो दर्जन बौद्ध भिक्षुओं ने वहां पहुंचकर कार्यक्रम किया, सोशल मीडिया पर फोटो वायरल हुई तो जैन समाज ने नाराजगी जताते हुए कलेक्टर को ज्ञापन दिया और प्रतिमा को भगवान आदिनाथ की बताया। वहीं ग्रामीण इसे बैठादेव की प्रतिमा बताकर पूजा करते हैं। तूमेन गांव में 10वीं शताब्दी की आठ फीट ऊंची प्रतिमा चबूतरे पर विराजमान है।
श्री दिगंबर जैन पंचायत के द्वारा सोमवार को पुलिस अधीक्षक कार्यालय में ज्ञापन दिया है। उन्होंने बताया कि तूमैंन में प्राचीन समय से ही जैन प्रतिमाएं निकलती आ रही हैं। जो ग्वालियर के संग्रहालय में भी रखी है। फिर भी बौद्ध धर्म के अनुयायियों द्वारा जैन प्रतिमा पर कब्जा है।
अब बौद्ध धर्म के अनुयाई, तीर्थंकर प्रतिमाओं को भगवान बुद्ध की प्रतिमा बताने लगे हैं। ऐसा ही एक केस मध्य प्रदेश के अशोकनगर जिला मुख्यालय से 9 किलोमीटर दूर तूमेन गांव में आया। यह काफी पुरानी ऐतिहासिक नगरी रही है और यहां पर जैसा दिखाया है, वह तीर्थंकर आदिनाथ जी की प्रतिमा है , जिस पर एकाएक बौद्ध भिक्षुओं ने चारों तरफ बैठकर जबरदस्ती कब्जा कर लिया कि यह प्रतिमा आदिनाथ जी की नहीं, बुद्ध भगवान की है। जानिए इस पर पूरी रिपोर्ट चैनल महालक्ष्मी के बुधवार शाम 8:00 बजे के एपिसोड में।
जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर स्थित तूमैंन नगरी प्राचीन नगरी है यहां पर खुदाई के दौरान कई बार प्रतिमाएं निकलती हैं। जैन समाज के लोगों ने एसपी को ज्ञापन देते हुए बताया कि, आदिनाथ भगवान की प्रतिमा जो हमने चबूतरा पर विराजमान कर दी थी । गांव के लोगों ने उठा कर अशोकनगर जाने पर आपत्ति की थी। हमारे द्वारा उसे उसी स्थान पर व्यवस्थित कर दिया गया है।
बौद्ध धर्म के अनुयायीओं द्वारा अनाधिकृत रूप से कब्जा कर विवाद की स्थिति पैदा की जा रही है। जब कि बौद्ध धर्म का कोई भी उल्लेख तूमैन में प्राप्त नहीं हुआ। जैन संस्कृति की घरोहर को संरक्षित करने जैन समाज को वह स्थल सौंपा जाए, एवं जांच कराकर कब्जा करने वाले लोगों को कब्जा से रोका जाए।
कुछ साँची के बौद्ध भिक्षुओं को किसी ने साँची मैं ये अफवाह उड़ा दी थी कि अशोकनगर के पास बुद्ध भगवान की मूर्ति निकली है! तो वहाँ से एक बौद्ध भिक्षुओं की मंडली आई थी तो लोकल के अहिरवार समाज के लोगों ने वहीं पर टेंट लगवा कर उनके रुकने और भोजन की व्यवस्था कर दी थी। जब बौद्ध भिक्षुओं ने प्रतिमा जी को देख कर बोले कि ये जैन प्रतिमा है, तो वो सभी खुद वहाँ से चले गए। कोई विवाद नही हुआ। पुलिस प्रशासन और समाज के लोग भी वहाँ पहुंच गए थे।
प्रतिमा जी खंडित है और वही पर रखी है। गांव के लोग उसे बेठादेव के नाम से पूजते है। आदिनाथ भगवान की प्रतिमा है।