कभी मुस्लिम , कभी हिंदू और अब बौद्ध भी, तीर्थंकर प्रतिमा को बुद्ध की प्रतिमा बताने लगे

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24 मई 2022/ जयेष्ठ कृष्णा नवमी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
बड़ी हैरानी होती है , जैन संस्कृति और विरासत पर , पिछले कई सदियों से जो चोट की थी , की जा रही है, वह अभी भी लगातार कायम है ।कहीं हमारे मंदिरों को मस्जिदों में बदल दिया जाता है । कहीं हिंदू भाई मूर्तियां बदलकर, उन्हें हिंदू देवी देवताओं के मंदिर में बदल देते हैं। और अब तो हद हो गई कि अब बौद्ध धर्म के अनुयाई, तीर्थंकर प्रतिमाओं को भगवान बुद्ध की प्रतिमा बताने लगे हैं।

ऐसा ही एक केस मध्य प्रदेश के अशोकनगर जिला मुख्यालय से 9 किलोमीटर दूर तूमेन गांव में आया। यह काफी पुरानी ऐतिहासिक नगरी रही है और यहां पर जैसा दिखाया है, वह तीर्थंकर आदिनाथ जी की प्रतिमा है , जिस पर एकाएक बौद्ध भिक्षुओं ने चारों तरफ बैठकर जबरदस्ती कब्जा कर लिया कि यह प्रतिमा आदिनाथ जी की नहीं, बुद्ध भगवान की है।

जानिए इस पर पूरी रिपोर्ट चैनल महालक्ष्मी के बुधवार शाम 8:00 बजे के एपिसोड में।

सब को स्पष्ट दिख रहा होगा, यह प्रतिमा किसकी है। 2 दिन पहले ऐसा होने पर जैन समाज के लोग एसपी महोदय के पास ज्ञापन देने के लिए रसीला चौराहे से मिलकर गए। और फिर स्थानीय विधायक , कलेक्टर , पुलिस, पत्रकार और समाज के वरिष्ठ लोगों के जनसैलाब ने स्पष्ट कर दिया कि यह प्रतिमा भगवान बुद्ध की नहीं, तीर्थंकर आदिनाथ की है।

अगर इसी तरह से हम जागरूकता में त्वरित कार्यवाही करें, तो निश्चित ही हम अपनी विरासत को बचा सकता है, अन्यथा उन्हें बदलने में देर नहीं लगती । कल तक जो जैन मूर्ति होती है, वह आज किस में पलट दे, यह पलक झपकते ही हो जाता है।