विश्व के सभी धर्मों का मूल मैत्री और सद्भाव है, कोई भी धर्म कट्टरता अपनाने की इजाजत नहीं देता है, उक्त विचार राष्ट्र संत कमलमुनि कमलेश ने जैन आराधना भवन में धर्म सभा को संबोधित करते कहा कि कट्टरता अपने आप में अधर्म पाप और पतन का कारण है, इंसान को शैतान बना देती है
उन्होंने कहा कि कट्टरता अपनाने से अगले का नुकसान हो या ना हो लेकिन अपनी आत्मा में रहे हुए सद्भाव प्रेम करुणा वात्सल्य भावों की की हत्या हो जाती है
राष्ट्रसंत ने बताया कि कट्टरता से नफरत अलगाव फिरका परस्ती दुर्भावना निर्मित होती है अपने आप में हिंसा की जननी है
मुनि कमलेश ने स्पष्ट कहा कि देश में सैकड़ों पंत जाति और संप्रदाय के लोग हैं सभी कट्टरता का नारा देंगे तो देशबिखर जाएगा तो हमारा अस्तित्व कहां से आएगा कट्टरपंथी धर्म द्रोही और देशद्रोही भी है
जैन संत ने कहा कि कट्टरता अपनाने वाले चाहे संत भी क्यों ना हो वह अलकायदा तालिबान से कम नहीं है मूर्तिपूजक संत विजयरत्न विजय जी विराग रत्न विजय जी ने कहा कि जहां कट्टरता होती है वहां हिंसा का का दावानल भड़कता है