42 डिग्री भीषण गर्मी के मौसम में भी, आचार्य श्री प्रसन्न सागर जी पहाड़ पर विगत 51 दिनों से घोर तपस्या में साधना रत

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30 अप्रैल 2022/ बैसाख कृष्णा अमावस /चैनल महालक्ष्मीऔर सांध्य महालक्ष्मी/सम्मेदशिखर जी-जैन धर्म का सबसे बड़ा तीर्थ तीर्थराज सम्मेद शिखर जी पारसनाथ पर्वत के स्वर्णभद्र कूट पर इस भीषण गर्मी के मौसम में प्रातः स्मरणीय अंतर्मना प्रसन्न सागर जी महाराज की घोर तपस्या में साधना रत है।

ज्ञात हो कि आचार्य श्री अपनी सिंहनिष्क्रिय ब्रत 596 दिन की साधना में है जिसमे 61 पारणा कर 23 जनवरी 2023 तक करेंगे ।अभी आचार्य श्री पहाड़ पर विगत 51 दिनों से साधना करते हुवे आज 42 डिग्री गर्मी के मौषम में भी अपनी तपस्या में रत है

आचार्य श्री की अगली पारणा 3 मई को स्वर्णभद्र कूट पर होगी इस अवसर पर अपनी मौन उवाच में बताया कि
कितना जीवन है, यह हमारे हाथ में नहीं है
बाबू ..
परंतु कैसे जीना, कैसे रहना है,ये तो हमारे आप के हाथ में है…।
रोते-रोते जिओगे,अपने भी पराए हो जाएंगे ।हंसते मुस्कुराते जिओगे तो पराए भी अपने हो जाएंगे ।कैसे जीना है ,,..? ये आप और हम पर निर्भर करता है ।

जीने की दिशा सही हो और विवेक पूर्वक चल रहे हो,तो कभी भी मंजिल लक्ष्य से दूर नहीं हो सकती ।अन्यथा चलते रहो -चलते रहो फिर तो मरघट भी नहीं मिलेगा,सीधे बंगाल की खाड़ी पहुँचोगे, इसीलिए मन की दुष्प्रवृत्तियों को, मन की दुर्बलताओं को छोड़कर अपनी आत्मिक शक्ति ,आंतरिक विभूतियों, आत्म विश्वास को जानकर जीवन जिये।तभी जीवन मे सफल हो पाओगेमें सफलता आदमी अपने जीवन में केवल नष्ट होने वाली संपदा के लिए खून पसीना बहा रहा है और उसी के सहारे महान बनने का प्रयास कर रहा है एक मादक पदार्थ है जो अनेक प्रकार माधव को जन्म देता है, हमने तो अर्पित की साधना यही नष्ट हो जाएगी और यहां से खाली कर दिए जाओगे, हां खा लिया, नहीं त्याग संयम धर्म के पास जाना है, यह जन्म सफल होगा, अंधभक्ति में दर्पण की दुकान जैसा हाल होगा ,

संकलनकर्ता राज कुमार जैन अजमेरा, मनीष जैन सेठी कोडरमा