29 अप्रैल 2022/ बैसाख कृष्णा चतुर्दशी /चैनल महालक्ष्मीऔर सांध्य महालक्ष्मी/
साल में 3 दिन ही ऐसे आते हैं, जब एक ही तीर्थंकर के तीन-तीन कल्याणक होते हैं। पहला, पिछले माह में चैत्र शुक्ल एकादशी को पांचवे तीर्थंकर श्री सुमति नाथ जी का जन्म, ज्ञान और मोक्ष कल्याणक और इस माह में वैशाख शुक्ल एकम को हमारे 17 तीर्थंकर श्री कुंथु नाथ जी का जन्म , तप और मोक्ष कल्याणक और अगले माह जेष्ठ कृष्ण चतुर्दशी को आएगा । 16वे तीर्थंकर श्री शांतिनाथ जी का जन्म, तप और मोक्ष कल्याणक।
ऐसा पावन दिन आ रहा है मई माह के पहले ही दिन, जब हमारे 17वे तीर्थंकर सर्वार्थसिद्धि विमान में अपनी आयु पूर्ण कर, हस्तिनापुर नगरी के तत्कालीन महाराजा श्री शूर सेन की महारानी श्रीकांता जी के गर्भ से कृतिका नक्षत्र में वैशाख शुक्ल एकम को जनमें। आपकी आयु 95000 वर्ष थी तथा कद 210 फुट उतंग। तपे हुए स्वर्ण के समान आपके शरीर का रंग था और आप छठे चक्रवर्ती राजा थे।
जाति स्मरण से आपको इसी बैसाख शुक्ल एकम को वैराग्य की भावना बलवती हो गई और आप हस्तिनापुर नगर, के सहेतुक उपवन में विजया पालकी से पहुंच गए तथा तिलक वृक्ष के नीचे , पंच मुष्टि केशलोंच करके तीन उपवास के साथ , कायोतसर्ग तप शुरु कर दिया । आपके साथ 1000 राजाओं ने भी दीक्षा ली थी और आपने 16 वर्ष तक कठोर तप किया था।
यही पावन दिन है जब आपकी आयु मात्र एक माह रह गई, तब आपने भोग निवृत्ति काल के साथ, पावन तीर्थ मोक्ष स्थली शिखरजी पहुंचकर , वहां पर पहले तीर्थंकर टॉक यानी ज्ञानधर कूट से 1000 मुनिराजों के साथ अपराहन काल के प्रदोष काल में ,एक समय में सिद्धालय पहुंच गए । इसी ज्ञानधर कूट से 96 कोडाकोड़ी 96 करोड़ 32 लाख 96 हजार 742 महामुनि राज मोक्ष गए हैं । इस ज्ञानधर कुट की निर्मल भावों से वंदना करने से 1 करोड़ उपवास का फल मिलता है ।
बोलिए, 17 वे तीर्थंकर श्री कुंथूनाथ भगवान के जन्म , तप और मोक्ष कल्याणक की जय जय जय।