23 अप्रैल 2022/ बैसाख कृष्णा अष्टमी/चैनल महालक्ष्मीऔर सांध्य महालक्ष्मी/
11 माह हो गए थे, कठोर तप करते करते, तब वैशाख कृष्ण नवमी को, जो इस वर्ष रविवार 24 अप्रैल को आ रही है। उसी दिन पूर्वान्ह काल में नील वन के,चंपक वृक्ष के नीचे, हमारे 20 वे तीर्थंकर श्री मुनीसुव्रत भगवान को, राजगृही नगर में ,केवल ज्ञान की प्राप्ति हो गई ।
सौधर्म इंद्र की आज्ञा से कुबेर ने तत्काल ढाई योजन विस्तार के समोशरण की रचना की यानी 30 किलोमीटर विस्तार का। आपका केवलीकाल 7499वर्ष और 1 महीने का था। आपके 18 गणधरों में श्री मल्लीनाथ मुख्य गण धर थे और इसी के एक दिन बाद, यानी वैशाख कृष्ण दशमी का दिन आता है, जिस दिन आप का जन्म और तप कल्याणक भी है।
यानी 1 तीर्थंकर 2 दिन और 3 कल्याणक, वैशाख कृष्ण दशमी को आपका, राजगृही नगर के महाराजा सुमित्र जी की महारानी पद्मावती जी के गर्भ से जन्म हुआ । आपकी आयु 30000 वर्ष थी और कद था 120फुट। आपने 15000 वर्ष तक राज किया
और फिर वैशाख कृष्ण दशमी को ही प्रधान हाथी के जाति स्मरण को देखकर आपके अंदर वैराग्य की भावना बलवती हो गई। तथा 1000 राजाओं के साथ राजगृही नगर के, नील वन में, चंपक वृक्ष के नीचे कायोगत्सर्ग मुद्रा धारण कर तप में लीन हो गए ।
बोलिए 20 वे तीर्थंकर श्री मुनीसुव्रत नाथ भगवान जी के जन्म, तप, ज्ञान कल्याणक की जय जय जय।