अति दुर्लभ-अद्वितीय-सिद्धान्त चक्रवर्ती वर्तामान के सर्वोच्चतम दिगम्बर श्वेतपिच्छाचार्य श्री विद्यानन्द जी मुनिराज -98वें जन्म दिवस पर कोटि कोटि नमन

0
765

21 अप्रैल 2022/ बैसाख कृष्णा पंचमी /चैनल महालक्ष्मीऔर सांध्य महालक्ष्मी/
20वी सदी में आजादी से पूर्व सन 1946 में तीर्थभक्त शिरोमणिभगवन्त आचार्य श्री महावीरकीर्ति जी से क्षुल्लक दीक्षा ग्रहण की व सन 1963 में राष्ट्र सन्त आचार्य श्री देशभूषण जी भगवन्त से मुनि दीक्षा ग्रहण की

ऐसे महामुनि श्वेतपिच्छाचार्य श्री विद्यानन्द जी ऋषिराज जिनके मार्गदर्शन में बावनगजा से लेकर गोम्म्टेश्वर जैसे अनेक पावन तीर्थो का उद्धार हुआ

भगवान गोम्म्टेश्वर बाहुबली भगवान के सहस्रत्राब्दि महामस्तभिषेक महोत्सव को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सानिध्यता प्रदान की।
प.पू सिद्धान्त चक्रवर्ती श्वेतपिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के 98वें जन्म दिवस (जन्म 22 अप्रैल 1925) पर कोटि कोटि नमन अर्पित करता हूँ

परमपूज्य राष्ट्र्संत श्वेतपिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के दिशा-निर्देशानुसार भगवान महावीर का 2500वां निर्वाण महोत्सव राष्ट्रीय -अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर नियोजित हो इसके के लिए व्यापक महोत्सव की योजनाएं तैयार की । जिनके प्रचार -प्रसार व सफल आयोजन ने राष्ट्रीय -अन्तर्राष्ट्रीय स्तर ख्याति अर्जित की। अनेक कार्यक्रम केन्द्रीय सरकार व राज्य सरकारों ने आयोजित किये, यह सभी कार्यक्रम सफलतापूर्वक सम्पन्नता का श्रेय श्रर्द्धय आचार्यश्री को ही है। आपकी प्रेरणा व आशीर्वाद से इन कार्यक्रमों की अभूतपूर्व सफलता मे भारत की पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इन्द्रिरा गान्धी व प्रसिद्ध उद्योगपति स्वं़श्री शान्ति प्रसाद जी का विशेष योगदान रहा । इस अवसर पर विशेष रुप से सर्वत्र देश मे” धर्मचक्र” का भ्रमण किया गया जिसमें भगवान महावीर के सिद्धांतो व उद्देश्यों का प्रचार प्रसार किया गया तथा सर्वत्र देश के विभिन्न शहरों के मन्दिरों, चौहराओं, संस्थाओं में भगवान महावीर के उद्घोषणा, संदेंशो व सिद्धांतों की शिलापट् के कीर्ति स्तम्भ लगाये गये। भगवान गोम्मटेश्वर बाहुबली का सहस्रत्राब्दि समारोह महामहोत्सव भी श्रद्धेय आचार्यश्री के दिशा -निर्देश में ही सम्पन्न हुआ था, जिसे विश्व स्तर पर प्रसारित करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर केन्द्रीय सरकार में माननीय प्रधानमन्त्री व राज्य सरकारों के मुख्यमंत्रियों ने उपस्थित होकर अपनी सरकार से तन, मन, धन योगदान किया यह सब आचार्यश्री की प्रेरणा व आशीर्वाद से हुआ वह विश्व स्तर पर प्रतिफूलित सम्पन्न हुए ।

उपरोक्त दोनों कार्यक्रमों की देखरेख में आचार्यश्री का आशीर्वाद मुझे भी मिला । उनकी प्रेरणा से दोनों अवसर पर “अपरिग्रह” मासिक पत्रिका के विशेषांक का सम्पादकीय कर प्रकाशित करने मे सफलता प्राप्त की। सभी आयोजित कार्यक्रमों का हिस्सा बनने का सौभाग्य श्रद्धेय आचार्यश्री की अनुकम्पा व आशीर्वाद से प्राप्त हुआ।
आपको जैनागम की चलती फिरती लायब्रेरी,किंग ऑफ क्नॉलेज माना गया।

आध्यत्म जगत के अनेकानेंक दिग्गजों ने आपके ज्ञानामृत को पाया,स्व.पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी आपकी अनन्य परम भक्त थी,जो आपके ज्ञान बल से प्रभावित होकर समय समय पर आपके दिशा निर्देश से शासकीय कार्यक्रम व भगवान के नाम पर संस्थानों की स्थापना कर नामांकरण किया।

आपकी महान उदारता के अनेक अत्यंत प्रेरणास्पद उदाहरण है
ज्ञात इतिहास में एक श्रमण रूप में आप सर्वाधिक वर्ष से है इसीलिए आपको दीर्घकालीन महातपस्वी कहा जाता है।
आपकी साधना व साधक जीवन शाश्वत महातीर्थ सम्मेदांचल की तरह अटल, पवित्र,पूज्य है आपके दर्शन मात्र से किसी भी श्रावक के जीवन का महासौभाग्य है सकल जैन समाज भारत के प्रत्येक जैन बन्धु को ऐसे महातपस्वी के दर्शन कर सौभाग्य समझते थे।

कई भाषाओं के थे जानकार
आचार्य श्री विद्यानंद जी हिंदी, मराठी, संस्कृत, प्राकृत, तमिल, कन्नड़, अंग्रेजी एवं जैन आगम एवं श्रमण संस्कृति के जानकार थे। देश के प्रमुख नेताओं जैसे इंदिरा गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी, नरसिंह राव, राजीव गांधी आदि भी उनसे जुड़े रहे।

ऐसे श्रेष्ठ व सर्वोच्चतम महासाधक श्री विद्यानन्द जी भगवन्त जिनके दर्शन सम्पूर्ण भारत के महातीर्थो की वन्दना से भी बड़ा पुण्यदायी है उनके पावन चरणों मे नतमस्तक व नमन
– महेंद्र जैन, लक्ष्मी नगर, दिल्ली