17अप्रैल 2022/ बैसाख कृष्णा एकम, /चैनल महालक्ष्मीऔर सांध्य महालक्ष्मी/
10 भव पूर्व के अपने भाई कमठ, जिसने शत्रुता की गांठ बांधकर बार-बार अपने ही छोटे भाई मरूभूति को बार-बार मृत्यु के मुख पर पहुंचाया।
अब वह 10वै भव में उस मोड़ पर पहुंच गया जब मरुभूति का जीव, वज्रबाहु से प्राणत नाम के विमान में देव होकर , अब काशी के महाराजा विश्वसेन की महारानी वामा देवी के गर्भ में आ रहा था और उसके गर्भ में आने से 6 माह पूर्व ही कुबेर ने उनके महल पर साढ़े तीन करोड़ रत्नों की वर्षा, दिन के तीनों पहर करनी शुरू कर दी थी।
इससे स्पष्ट था कि अब वह मरूभूति का जीव तीर्थंकर बनने की ओर है और उसका गर्भ में आना , गर्भ कल्याणक के रूप में मनाया जाएगा और वही हुआ, वैशाख कृष्ण की द्वितीया को , जो इस वर्ष सोमवार 18 अप्रैल को आ रहा है ।
उस दिन 100 वर्ष की आयु वाले 23वें तीर्थंकर उत्तम क्षमा को धारण करने वाले, श्री पार्श्वनाथ स्वामी , माता त्रिशला के गर्भ में आए।
बोलिए 23वें तीर्थंकर, श्री पार्श्वनाथ भगवान के गर्भ कल्याणक की जय जय जय।