महावीर स्वामी बनाये गौतम बुद्ध या कुछ भी ,छत्र बनाये छतरी , कोई पहनाये पगड़ी – क्यों जागरूक नहीं है जैन समाज और इसके संगठन

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17अप्रैल 2022/ बैसाख कृष्णा एकम, /चैनल महालक्ष्मीऔर सांध्य महालक्ष्मी/
क्यों जागरूक नहीं है जैन समाज और इसके संगठन, जिसका जो मन करता है, वह उसी तरह दर्शाता है जैन समाज को। चाहे वह जैनों के भीतर ही हो या कोई बाहर से ।

अभी हाल में भारतीय समाज ने चार पर्व मनाए। आप कहें त्योहार या कहें फेस्टिवल। वैसे तो शुरुआत नवरात्र से हुई , फिर रामनवमी भी आई , 2 दिन बाद श्री महावीर स्वामी का जन्म कल्याणक, उसके 2 दिन बाद हनुमान जयंती और आज है ईस्टर डे। सबका अपने अपने धर्म में अपना अपना महत्व है । धार्मिक सौहार्द को देखते हुए, हमारा देश सब को मनाता है । ऐसे समय में राजनीतिक और सामाजिक मंच पर शीर्ष पर कहे जाने वाले को, किसी विशेष पर झुकने की बजाए , सबको समान दृष्टि से देखना, उसका कर्तव्य बन जाता है।

पर अति प्राचीन धर्म कहे जाने वाले, जैन धर्म के प्रति कुछ कुंठा ग्रस्त भावनाएं जन्म ले रही हैं या जन्म ले चुकी हैं। कभी इस बात पर चिंतन किया है। इन सभी पर्व पर चैनल महालक्ष्मी ने विशेषकर ट्विटर का पर रिसर्च किया। सभी पर लगभग 400 से 500 ट्वीट देखें। चाहे वह नवरात्र पर थे या रामनवमी पर थे। हनुमान जयंती पर थे या फिर श्री महावीर स्वामी जन्म कल्याणक पर या आज इस ईस्टर डे पर , इन सब में एक बात जरूर थी कि चाहे किसी संप्रदाय के हों, शुभकामनाएं देने में भारतीय समाज आगे रहता है और उसे बाहर से भी शुभकामनाएं मिलती हैं। यह भारत के धार्मिक सौहार्द का एक पक्ष मजबूत जरूर करता है।

पर क्या यह पूरी सच्चाई है, या आधी अधूरी। महावीर स्वामी जन्म कल्याणक के समय किए गए सैकड़ों ट्वीट, अगर बारीकी से देखेंगे, तो आधी ट्वीट में शुभकामनाएं देने वाले चाहे राजनीतिज्ञ हो, चाहे सामाजिक शीर्ष पर हो, चाहे अपने-अपने वर्ग में लोकप्रिय रहे हो। उन्हें यह भी मालूम नहीं चल पाता कि महावीर स्वामी का स्वरूप क्या था, महावीर स्वामी और गौतम बुद्ध में फर्क क्या है, महावीर स्वामी और पारस प्रभु में फर्क क्या है, क्या है उनकी पहचान , हैरानी तो तब होती है कि कोई छत्र की जगह छतरी दिखा देता है और कोई उन्हें पगड़ी पहना देता है । कोई महावीर स्वामी को गौतम बुद्ध बना देता है। कोई उन्हें वस्त्रों में लपेट देता है। कोई अन्य स्वरूप दिखा देता है ।इसमें राजनेता भी हैं और सामाजिक नेता भी। इसमें कलाकार भी है और अदाकार भी। इसमें खिलाड़ी भी है अनाड़ी भी। इसमें छोटा भी है और बड़ा भी। इसमें ज्ञानी भी है और अज्ञानी भी । यह कैसा जैन समाज है, जो अपने तीर्थंकर की पहचान भी समाज में नहीं पहुंचा पाता । यह दोष उनका नहीं , जो शुभकामनाएं देते हैं ।

यह दोष ज्यादा उनका भी है, जो शुभकामनाएं लेकर, सही बात नहीं बता पाते । हम आज महावीर स्वामी के 2621 वर्ष जन्म के बाद भी , समाज को जयंती और कल्याणक का अर्थ नहीं बता पाए। कल पारस प्रभु का गर्भ कल्याणक है और कल था पदम प्रभु का ज्ञान कल्याणक ।हम तो कहते हैं कल्याणक ही मनाते हैं । पर, महावीर स्वामी के जन्म कल्याणक पर, कल्याणक भूल जयंती दर्शाते हैं।

जैन समाज में जागरूकता का प्रयास किया चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी ने, कुछ और भी साथ आए, पर अभी मंजिल से बहुत दूरी है। पर हां कुछ दीपक जल चुके हैं, अंधेरा मिटाने के लिए और बाकी है । हमारी संगठन शक्ति बहुत कमजोर हो चुकी है। कुर्सी से चिपकना और मौके पर चेहरे का छिपना कोई नई बात नहीं है । बेवक्त बोलना और वक्त पर मौन रखना, हमारे संगठनों और समितियों की आदत बन गई है। हम दूसरे की कुर्सी को खींचने में बहुत माहिर हैं , पर अपनी कुर्सी को ऊंचा उठाने में , कुछ करके दिखाने में , ना हमारे पैर चलते हैं , न हाथ ।

दोषी कौन। आप या मैं या हम। इन सब में ही वह कमजोर है, वह कमजोर कड़ी है , जिस को दूर करना हम सबकी जिम्मेदारी है। आइए ,नई शुरुआत करें, ट्विटर पर जाएं और सर्च करें महावीर जयंती। एक बार महावीर में Mahaveer लिखें और दूसरी बार Mahavir. आपको सैकड़ों ट्वीट मिल जाएंगे और उनमें अनेक गलत होंगे। गलत चित्र के साथ , उचित शब्दों का प्रयोग ना करना , आपको मिल जाएगा ,सब पर रिप्लाई दें कि आपके ट्वीट के लिए धन्यवाद । शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद।

पर यह महावीर जयंती नहीं , महावीर स्वामी जन्म कल्याणक है और जो गलत चित्र भी भेजते हैं , उनको संलग्न करें सही महावीर स्वामी के चित्र और बताएं कि भविष्य में ऐसी भूल ना करें , तो निश्चित ही आप की शुभकामनाएं सार्थक होंगी । करेंगे ना ऐसा प्रयास, अगर करेंगे तो हम अपने धर्म की, तीर्थंकरों की प्रभावना सही रूप में कर सकेंगे।

चैनल महालक्ष्मी ने ऐसे 200 से ज्यादा ट्वीट पर रिप्लाई किया है और सही जानकारी दी है। आप भी यह शुरुआत कीजिए , सही दिशा के लिए।
– चैनल महालक्ष्मीऔर सांध्य महालक्ष्मी परिवार द्वारा विनय पूर्वक अनुरोध