जहाँ भी कोई अनाचार की घटना हो, उसे दबाये छिपाये नहीं, तुरंत सार्वजनिक करे : डॉ चिरंजी लाल बगडा

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16अप्रैल 2022//चैत्र शुक्ल पूर्णिमा /चैनल महालक्ष्मीऔर सांध्य महालक्ष्मी/
पिछले तीन चार वर्षों मे हमारे पवित्र दिगंबर धर्म मे कुछ ऐसी दुःखद घटनाएं एक के बाद एक सामने आ रही है जिससे हमारे पूज्य संतों की सामाजिक छवि धूमिल हुई है। आचार्य शांति सागर, आचार्य सुकुमाल नंदी, मुनि नयन सागर, मुनि प्रतीक सागर, मुनि विश्रांत सागर, आचार्य विमद सागर और अब आचार्य अनुभव सागर।

समाज ने इन्हे प्रत्यक्ष अनाचार का दोषी पकड़ा, कुछ जेल मे है, कुछ पर पुलिस केस चल रहे है, कुछ को समाज ने कपड़े पहनाये, कुछ ने दुबारा मुनि वेष धारण कर लिया।

यह तो वे मामले है जो पकड़े गये। बीस मे एक घटना सामने आ पाती है। न जाने कितने मामले दबे पड़े है या समाज द्वारा धर्म की जग हंसाई ना हो, इसलिए सामने ही नहीं आ पाए, दबा दिये जाते है।

कुछ विचारणीय बिंदु –

* वर्तमान मे करीब 1700 संत है तथा करीब एक सौ आचार्य है। संत परिवार का मामला है तो संत सब चुप्पी क्यों धारण कर लेते है?
They have the responsibility to keep their pariwar in order.

*समाज मे अनेक राष्ट्रीय सामाजिक संघठन है जो बड़ी बड़ी बातें तो करते रहते है परंतु ऐसी घटना के वक्त सब किस बिल मे छुप जाते है और क्यों,
इस पर भी विचारः होना चाहिए।

*ऐसी घटनाएं क्यों हो रही है इसके कारणों पर भी विचार होना चाहिए।

स्मार्ट फोन का प्रयोग, गरिष्ठ आहार, बंद कमरे की सुविधा और विपरीत लिंगी से नजदीकी मौके..

ये चार प्रमुख कारण समझ मे आते है।


* करणीय कार्य-
भविष्य मे ऐसी घटनाओं की पुनरावृति ना हो, समाज और दिगंबर साधु की छवि स्वच्छ बनी रहे, इसके लिए बेहद जरूरी है कि अब आम श्रावक जागरुक होकर ठोस कदम उठाये।

जहाँ भी कोई अनाचार की घटना हो, उसे दबाये छिपाये नहीं, तुरंत सार्वजनिक करे, आसपास की समाज को सूचित कर दे, उनके गुरु को सूचित करे ताकि दूसरी जगह ऐसे साधु अनाचार ना कर सके और उनका स्थिति करण हो।
कुछ साधु के कारण कारण संपूर्ण श्रमण समाज बदनाम ना हो, लोगों के मन मे दिगंबर साधु के प्रति श्रद्धा पूर्व की तरह कायम बनी रहे, यह आवश्यक है।

अन्यथा संपूर्ण श्रमण समाज को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है, उसके लिए तैयार रहे, यह ना सोचे की आग पड़ोस के घर मे लगी है।

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यह घटना समाज जागरण का कारण बनें,
इसी शुभ भावना के साथ सबको जय जिनेंद्र।

डॉ चिरंजी लाल बगडा
संपादक दिशाबोध मासिक कोलकाता