मंगलवार, 12 अप्रैल, चैत्र शुक्ल एकादशी, दिन एक तीर्थंकर एक, पर वही दिन जिस दिन, उनका जन्म, ज्ञान और मोक्ष प्राप्त हुआ

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10 अप्रैल 2022//चैत्र शुक्ल नवमी /चैनल महालक्ष्मीऔर सांध्य महालक्ष्मी/
जी हां, आज बात करेंगे, चैत्र शुक्ल एकादशी को इस धरा पर जन्म लेने वाले पांचवे तीर्थंकर, श्री सुमति नाथ जी की, जयंत नाम के विमान में आयु पूर्ण कर, साकेत नगरी में महाराजा मेघप्रभ जी की महारानी श्रीमती मंगला देवी जी के गर्भ से आपका जन्म चैत्र शुक्ल एकादशी को हुआ। आपकी आयु 40 लाख वर्ष पूर्व थी और कद अट्ठारह सौ फीट उतंग, काया तपे सोने के समान।

आपने 29 लाख वर्ष पूर्व तथा 12 पूर्वांग राज्य किया और फिर दीक्षा लेकर 20 वर्ष तक कठोर तप किया । तब इसी चैत्र शुक्ल एकादशी को सहेतुक उपवन में प्रियुंग वृक्ष के नीचे अपरांह काल में आपको केवल ज्ञान की प्राप्ति हुई । 120 किलोमीटर विस्तार का कुबेर ने समोशरण की रचना की। आपके 116 गणधर थे। आपका केवली काल एक लाख पूर्व ,12 पूर्वांग, 20 वर्ष का रहा और फिर जब आयु कर्म एक माह शेष रह गया, तब आप अनादि निधन तीर्थ श्री सम्मेद शिखरजी की अविचल कूट पर पहुंच गए ।

आठों कर्मों का नाश कर इसी चैत्र शुक्ल एकादशी को हमारे 5 वे तीर्थंकर श्री सुमतिनाथ जी 1000 राजाओं के साथ सिद्धालय पहुंच गए । इसी टोंक से एक अरब 84 करोड 14 लाख 781 महामुनिराज मोक्ष गए हैं । कहा जाता है कि इस अवि lचल कूट की निर्मल भावों से वंदना करने से 9 करोड़ 32 लाख उपवासो का फल मिलता है। बोलिए 5 वे तीर्थंकर श्री सुमति नाथ जी के जन्म कल्याणक, ज्ञान कल्याणक और मोक्ष कल्याणक की जय जय जय।