डूब मरना होगा, अगर एक आचार्य को खराब स्वास्थ्य के, बिना आहार के , तपती दोपहर में 12:00 बजे विहार करना पड़ जाए

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7 अप्रैल 2022//चैत्र शुक्ल षष्ठी /चैनल महालक्ष्मीऔर सांध्य महालक्ष्मी/EXCLUSIVE
आज फिर जैन धर्म शर्मसार हो गया, जब एक संत को तपती दोपहर में, जब तापमान 40 डिग्री को छू रहा था। लगभग बिना आहार किए , पूरी तरह से बीमार होने के बावजूद, मजबूरन विहार करना पड़ा। जबकि वह चल भी नहीं पा रहे थे , यह घटना है आज गुरुवार , 7 अप्रैल, दोपहर 12:30 बजे की ।

जब आचार्य श्री दयासागर जी का स्वास्थ्य और बिगड़ता गया। जैसा सभी को ज्ञात होगा कि आचार्य श्री दया सागर जी नोएडा सेक्टर 27 में पंचकल्याणक करवाने के बाद , लखनऊ की ओर बिहार कर रहे हैं । पिछले कुछ दिनों से उनको हारपीस के कारण अचानक स्वास्थ्य खराब हो गया और स्थिति बिगड़ती गई ।

पिछले दो-तीन दिन से वह कन्नौज में इसी कारण रुके हुए थे। पर जैसा उनकी संघस्थ दीदी राधा जी ने बताया कि यहां पर एक माताजी आने वाली हैं , इसलिए समाज का ध्यान उस ओर आकृष्ट होने लगा । आज तो हद हो गई , जब चैनल महालक्ष्मी को राधा दीदी ने बताया कि उन्होंने आहार तैयार किया और देने के लिए वहां की महिलाओं से विनती की । 10:00 बजे के बाद एक वृद्ध सज्जन आए और उसके बाद तीन चार महिलाएं।
https://youtu.be/9zHC3d29rDQ
सरल स्वभाव, पर अपने स्वाभिमान पर अडिग आचार्य श्री दया सागर जी के कानों में उनकी बातें पहुंच गई ।मन टूट गया और इसे अपने कर्मों का फल और उपसर्ग मानते हुए उन्होंने 11:30 बजे वहां से बिहार करने का निर्णय ले लिया। सूरज सर पर था सड़के तप रही थी । स्वास्थ्य एकदम खराब चल रहा है, पिछले चार-पांच दिन से आहार भी सही नहीं हो पा रहा। शरीर पर जगह-जगह दाने उभर गए हैं । ना बैठा जा रहा है , ना लेट आ जा रहा है , ना कुछ ग्रहण किया जा रहा है ।

इसके बावजूद आचार्य श्री दयासागर जी ने कठोर मन से, कन्नौज से लखनऊ की ओर, तपती दोपहर में बिहार शुरू कर दिया। मुश्किल से साढ़े तीन किलोमीटर ही चले थे कि तबियत और ज्यादा बिगड़ गई। ऐसे में लगभग 200 लोगों का समाज कन्नौज के लिए क्या कहा जाए। एक तरफ जहां हम अचल तीर्थों की सुरक्षा के लिए आवाज देते हैं , वहीं हमारे चल तीर्थों के लिए आहार, विहार में भी इस तरह की घटनाएं आना, पूरे जैन समाज को शर्मसार करता है।

कितने शोचनीय और चुल्लू भर पानी में डूब मरने वाली बात है कि हम एक संत को आहर भी कराने में आगे नहीं आते हैं । कुछ समय पहले ऐसी ही घटना आचार्य श्री निर्भय सागर जी के साथ भी देखी गई थी । वहां भी एक गौशाला के एक प्रबंधक ने इसी तरह का अभद्र व्यवहार किया था और आचार्य श्री निर्भय सागर जी के संघ को बिना आहार आगे बिहार करना पड़ा था। पर यहां तो स्थिति और विकट थी।

आचार्य श्री दया सागर जी का पिछले चार-पांच दिनों से स्वास्थ्य बहुत बिगड़ा हुआ है । हरपीज बीमारी पूरी तरह जकड़ चुकी है । आहार नहीं हो पा रहा। उठ पा रहे हैं , ना बैठ पा रहे हैं , ना लेट पा रहे हैं । फिर भी आज इस तरह की शर्मसार घटना ने , पूरे समाज का सिर नीचे कर दिया है। जहां एक तरफ हम अचल तीर्थों की सुरक्षा की बात करते हैं , वहां पर हमारे चल तीर्थ के साथ अगर इस तरह की घटना होगी , तो संभव है जैन समाज आज अपने धर्म को रसातल पर स्वयं ले जा रहा है। यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।

जागिए और जगाइए , जो गलती करता है उसको सामने लाइए। क्योंकि यह शम्य नहीं है। पंच परमेष्ठी पूजनीय , वंदनीय, अनुकरणीय है । बिना भेदभाव के, ऊंच-नीच, छोटे बड़े , हर संत की वैयावृत्ति, आहार-विहार कराना, जैन होने के नाते सबसे प्रथम कर्तव्य है।

डूब मरना होगा, अगर एक आचार्य को खराब स्वास्थ्य के, बिना आहार के , तपती दोपहर में 12:00 बजे विहार करना पड़ जाए।