चम्बल नदी के किनारे देवो के द्वारा एक रात में निर्मित प्राचीन मंदिर – वर्तमान जिनालय 1200 वर्ष प्राचीन है एवं जिन प्रतिमाएँ 10 वीं व 11 वीं शताब्दी की

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7 अप्रैल 2022//चैत्र शुक्ल षष्ठी /चैनल महालक्ष्मीऔर सांध्य महालक्ष्मी/
तीर्थवन्दना की इस श्रृंखला में, आज एक ऐसे तीर्थ की भाव वंदना करते हैं, जिसके बारे में ऐसी मान्यता है, कि इस प्राचीन मंदिर को देवो के द्वारा एक रात में निर्मित किया गया ।

चम्बल नदी के किनारे बसे इस क्षेत्र पर इतनी अदभुत, मनोहारी प्रतिमाएं प्राप्त होती रही है, जिनके दर्शनमात्र से जीवन धन्य हो जाता है, आइये जानते हैं, इस तीर्थ के बारे में —

श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र, बरही ग्राम- बरही, तह- अटेर, जिला- भिण्ड,म.प्र.

बरासौ जिला मुख्यालय भिण्ड़ (म. प्र.) से लगभग 25 किमी दूर बेसुली (प्राचीन वृशि्चकला) नदी के तट पर स्थित है। ग्राम बरासौ जैन अतिशय क्षेत्र माना जाता है और किसी समय यह जैन धर्म का प्रमुख केन्द्र था। लगभग 2500 वर्ष पूर्व भगवान महावीर का समवशरण यहाँ कुछ समय के लिये रूका था। इसी के उपलक्ष में क्वार की दौज को प्रति वर्ष यहाँ एक मेले का आयोजन किया जाता है।

यहाँ के जैन मंदिरों में 150 से अधिक जैन तीर्थकरों की प्रस्तर एवं धातु प्रतिमायें संग्रहित हैं। इन जैन प्रतिमाओं पर 11वीं -16वीं “शताब्दी ई. के अभिलेख उत्कीर्ण है।

अभिलेखों से ज्ञात होता है कि इन प्रतिमाओं को जैनमुनि एवं उनके समर्थकों ने स्थापित किया था। इन्हीं में से एक तीर्थंकर की प्रतिमा पर प्राचीन बल्लभपुर नगर का वर्णन आया है, जिसकी पहचान वर्तमान बरही (जिला— भिण्ड) से की जाती हैं। बरही उस समय सूती वस्त्र व्यवसाय का प्रमुख केन्द्र था।

ऐतिहासिकता – किंवदन्ती है कि भगवान महावीर के समवशरण स्थल वल्लभपुर (बरही) में देवों ने भव्य जिनालय का निर्माण किया था। वर्तमान जिनालय 1200 वर्ष प्राचीन है एवं जिन प्रतिमाएँ 10 वीं व 11 वीं शताब्दी की हैं। भगवान अजितनाथ की पद्मासन मूलनायक पाषाण प्रतिमा सं. 1520 की है।

चंबल किनारे बसे जैन अतिशय क्षेत्र बरही में धर्मावलंबियों द्वारा टोल प्लाजा के समीप मंदिर स्वामित्व की चौदह बीघा जमीन पर भव्य मंदिर निर्माण कराया गया है !

हाल ही में, बरही में जैन धर्मावलंबियों द्वारा 31 फीट ऊंचे कृत्रिम पहाड़ के ऊपर 21 फीट ऊंची भगवान अजितनाथ की पद्मासन प्रतिमा विराजमान की गयी है ।

यह क्षेत्र ग्वालियर से 110 कि.मी. दूर व इटावा से 12 किमी. दूर स्थित है। फूप से 7 किमी. व भिण्ड से 25 किमी. पहले स्थित है। यहाँ का नजदीकी रेलवे स्टेशन इटावा है।

समीपवर्ती तीर्थक्षेत्र – शौरीपुर बटेश्वर – 60 कि.मी., बरासोंजी – 40 कि.मी., सिहोंनियाँजी-100 कि.मी., पावई-40 कि.मी., मरसलगंज(उ.प्र.)-100कि.मी. मंगलायतन-250 कि.मी.
महामृत्युञ्जयतीर्थ उदी इटावा-3 कि.मी.
टेलीफोन – 07534 – 287703

क्षेत्र पर उपलब्ध सुविधाएँ
आवास – कमरे (अटैच बाथरूम) – 07, कमरे (बिना बाथरूम) – 16 हाल – 02 (यात्री क्षमता – 20), गेस्ट हाऊस – X
यात्री ठहराने की कुल क्षमता – 500
भोजनशाला – अनुरोध पर

एक बार इस पावन अतिशय क्षेत्र पर आकर तीर्थंकर अजितनाथ के दर्शन का लाभ अवश्य ले !
संकलनकर्ता सुलभ जैन (बाह)