5अप्रैल 2022//चैत्र शुक्ल चतुर्थी /चैनल महालक्ष्मीऔर सांध्य महालक्ष्मी/
100000 वर्ष पूर्व एक पूर्वांग और 12 वर्ष तक समोशरण के द्वारा 90 गणधर , जिनकी दिव्य ध्वनि जन जन तक पहुंचाते रहे । उसके बाद अपने आयु कर्म का क्षीण होता देख, दूसरे तीर्थंकर श्री अजीत नाथ जी शिखर जी पहुंचे।
जहां 1 माह के भोग निवृत्ति काल के बाद 1000 मुनिराजों के साथ सिद्धवरकूट से भरणी नक्षत्र में, पूर्वाहन काल में, चैत्र शुक्ल पंचमी को सिद्धालय विराजमान हो गए । शाश्वत अनादिनिधन तीर्थ श्री सम्मेद शिखरजी से इस युग में मोक्ष जाने वाले वह प्रथम तीर्थंकर बने क्योंकि इससे पूर्व प्रथम तीर्थंकर श्री आदिनाथ जी , कैलाश पर्वत से मोक्ष गए थे।
यह हुंडा अवसर्पिणी काल के कारण होता है, अन्यथा प्रत्येक युग में सभी 24 तीर्थंकर , इसी पावन तीर्थ से मोक्ष जाते हैं । इसी से एक अरब 84 करोड़ 45 लाख मोक्ष गए हैं ।
कहा जाता है कि इस टोंक की भाव सहित वंदना करने से 32 करोड़ उपवास का फल मिलता है ।
तीर्थंकर श्री अजीत नाथ जी का तीर्थ प्रवर्तन काल 30 लाख करोड़ सागर एवं तीन पूर्वांग रहा।
बोलिए , दूसरे तीर्थंकर के मोक्ष कल्याणक की जय जय जय।