18 मार्च/फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा /चैनल महालक्ष्मीऔर सांध्य महालक्ष्मी/
मित्र बनाना बहुत सरल है , परन्तु मित्रता को जीवित रखना बहुत कठिन है –
विश्व में जितने शत्रु हुए हैं , वे अपरिचित नहीं हुए हैं । पहले शत्रु का जन्म नहीं होता , पहले परिचय का जन्म होता है और जितना बड़ा परिचय हो जाता है , उतने बड़े शत्रु का जन्म हो जाता है
शत्रु विहीन जीवन जीना है तो मैत्रीभाव जगत् के जीवों से बनाकर रखना , परन्तु मित्र किसी को मत बनाना ।
जब तक पुण्य तेरी सत्ता में है , श्री तेरी जेब में है , तब तक सारा विश्व तेरा मित्र दिखाई देगा । और जिस दिन श्री से विहीन हो गया , जगत् के लोग बदल जायेंगे