अतिशय क्षेत्र बड़ागांव में संपन्न शताब्दी प्रकट महोत्सव, पार्श्व प्रभु की कृपा सदैव हमारे साथ है – आचार्य अतिवीर मुनि

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16 मार्च/फाल्गुन शुक्ल त्रयोदिशि /चैनल महालक्ष्मीऔर सांध्य महालक्ष्मी/

महाभारत कालीन पुण्यधरा बागपत की ऐतिहासिक नगरी अतिशय क्षेत्र बड़ागांव में जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर देवाधिदेव श्री पार्श्वनाथ भगवान की अतिशयकारी प्रतिमा प्रकट होने के 100 वर्ष पूर्ण होने पर भगवान पार्श्वनाथ शताब्दी प्रकट महोत्सव का भव्य व विराट आयोजन आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज, आचार्य श्री विद्याभूषण सन्मति सागर जी महाराज तथा आचार्य श्री ज्ञान सागर जी महाराज के मंगल आशीर्वाद व असीम अनुकम्पा से महती धर्मप्रभावना के साथ दिनांक 10 से 13 मार्च 2022 तक सानंद संपन्न हुआ| इस समारोह में आचार्य श्री 108 ज्ञेय सागर जी महाराज, आचार्य श्री 108 अतिवीर जी मुनिराज, एलाचार्य श्री 108 त्रिलोक भूषण जी महाराज, मुनि श्री 108 प्रभाव सागर जी महाराज, आर्यिका श्री 105 मुक्ति भूषण माताजी, आर्यिका श्री 105 दृष्टि भूषण माताजी, आर्यिका श्री 105 अनुभूति भूषण माताजी तथा धर्मयोगी संत (डॉ.) क्षुल्लक श्री 105 योग भूषण जी महाराज आदि चतुर्विध संघ का मंगलमय सान्निध्य व आशीर्वचन जनसमुदाय को प्राप्त हुआ|

कार्यक्रम का शुभारम्भ दिनांक 10 मार्च 2022 को श्री सुशील जैन (मोदी नगर) द्वारा ध्वजारोहण से हुआ तत्पश्चात भारी संख्या में पधारे गुरुभक्तों द्वारा मूलनायक श्री पार्श्वनाथ भगवान का महामस्तकाभिषेक प्रारम्भ हुआ| इस अवसर पर श्रावक श्रेष्टि श्री अरुण कुमार श्रीश जैन ‘प्रकाश परिवार’ (दरियागंज) द्वारा श्रीजी के ऊपर 40 किलो शुद्ध चांदी का विशाल छत्र समर्पित किया गया जिसने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया| फाल्गुनी अष्टाह्निका महापर्व के पावन प्रसंग पर श्री शैलेन्द्र जैन सपरिवार ‘गैस वाले’ (कौशाम्बी) द्वारा श्री सिद्धचक्र महामण्डल विधान का आयोजन किया गया जिसका समापन दिनांक 18 मार्च 2022 को विश्वशांति महायज्ञ के साथ होगा| समस्त मांगलिक क्रियाएं ब्र. जय कुमार जैन ‘निशांत’ (टीकमगढ़), पं. अशोक जैन शास्त्री ‘धीरज’ (दिल्ली), ब्र. अनीता दीदी (मुरैना) के कुशल दिशा-निर्देशन में विधि-विधान पूर्वक संपन्न हुईं| इस चार दिवसीय शताब्दी महोत्सव में प्रतिदिन श्रीजी का महामस्तकाभिषेक, शांतिधारा, पूजन-विधान व सांध्यकालीन मनमोहक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये गए|

विशाल धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए आचार्य श्री 108 अतिवीर जी मुनिराज ने कहा कि हमारा बचपन से ही श्री पार्श्व प्रभु से विशेष लगाव है| जब मुनि दीक्षा का प्रसंग बना तो गुरुवर आचार्य श्री द्वारा दिल्ली में दीक्षा समारोह आयोजित करने का विचार बना परन्तु पार्श्व प्रभु की कृपा हुई और अंततः बड़ागांव में प्रभु की निश्रा में मुनि दीक्षा प्राप्त हुई| आचार्य श्री ने आगे कहा कि कोरोना की पाबंदियों के कारण अभी ज्यादा विराट स्तर पर कार्यक्रम आयोजित नहीं कर पाए परन्तु कार्यकारिणी समिति ऐसा निश्चय करे कि अगले वर्ष शताब्दी समारोह का समापन विशाल रूप से आयोजित हो जिसमें कम-से-कम एक लाख श्रद्धालुजन लाभान्वित हो सके| आचार्य श्री 108 ज्ञेय सागर जी महाराज ने कहा कि जीवन में सुख की खोज प्रभु की शरण में समाप्त होती है| हम अपने दुःख-तकलीफ प्रभु के चरणों में समर्पित कर देंगे तो हमारा जीवन हर्षोल्लास से भर जायेगा| क्षुल्लक श्री 105 योग भूषण जी महाराज ने उपस्थित श्रद्धालुओं को सद्मार्ग पर चलने हेतु प्रेरित करते हुए कहा कि चैतन्य चमत्कारी चिंतामणि पार्श्वनाथ भगवान की कृपा दृष्टि जिसपर हो जाये, उसका जीवन आनंदमय हो जाता है|

कार्यक्रम का समापन दिनांक 13 मार्च 2022 को श्रीजी की भव्य शोभायात्रा के साथ हुआ जो प्राचीन मंदिर से चलकर मुख्य मार्गों से होते हुए साधुवृत्ति आश्रम पहुंची जहाँ निर्मित पांडुकशिला पर श्रीजी का अभिषेक किया गया| विशाल शोभायात्रा में मनमोहक झांकियां, बग्गियां, बैंड, स्कूली बच्चे, श्रीजी का रथ आदि सम्मिलित थे जिनका जगह-जगह मंगल आरती कर भावभीना स्वागत किया गया| तत्पश्चात विश्व की प्रथम कृति त्रिलोक तीर्थ धाम में परम पूज्य आचार्य श्री 108 विद्याभूषण सन्मति सागर जी महाराज की नवम पुण्य-स्मृति सभा का आयोजन चतुर्विध संघ के पावन सान्निध्य में किया गया| इस अवसर पर मंचासीन साधुगण व त्यागी-वृन्दों ने मंगल उद्बोधन के माध्यम से पूज्य आचार्य श्री के चरणों में अपनी सादर विनयांजलि अर्पित की| शताब्दी समारोह में देशभर से हजारों श्रद्धालुओं ने सम्मिलित होकर धर्मलाभ प्राप्त किया तथा अनेक राजनैतिक, सामाजिक व प्रशासनिक अधिकारीयों ने पार्श्व प्रभु व संतों का मंगल आशीर्वाद प्राप्त किया|